कुछ नही किया पुलिस ने तब तीन साल बाद पिता ने पकड़वाया बेटे के हत्यारों को…
अपराध : – कहते हैं पुलिस के हाथ बहुत लम्बे होते हैं, पुलिस अगर सच में थान ले तो न कोई अपराधी कानून से बच सकता है और न कोई मामला उजागर होने से रह सकता है. लेकिन ज़िले के मेढकी गांव के युवक धर्मेंद्र की हत्या के मामले में यह कहावत असफल हो गयी. तीन साल बाद भी वह हत्यारे को नहीं खोज पायी, अँधेरे में हाथ पैर चलती रही. दूसरी तरफ धर्मेंद्र के पिता ओमप्रकाश कुमावत ने हिम्मत न हारी, तीन साल जरूर लगे, लेकिन अपने इकलौते बेटे के हत्यारे को खोजकर पुलिस को जानकारी दे दी. पुलिस ने जब ओमप्रकाश के पड़ोसी जीतेन्द्र गोस्वामी को पकड़ा तो उसे टूटते देर न लगी. कुछ ही देर में हत्याकांड में शामिल अन्य पांच आरोपियों के नाम भी उगल दिए.
खबर मिलने तक इनमे से भी चार पुलिस के हाथ लग चुके हैं, हालाँकि एक आरोपी अब भी फरार बताया गया है. जानकारी के अनुसार ओमप्रकाश का इकलौता बेटा धर्मेंद्र कुमावत (24) किराना कारोबारी था. 17 अक्टूबर 2014 को वह कार से दुकान का सामान लेने शहर के लिए निकला था. शाम तक वापस आने की कहकर गया धर्मेंद्र फिर कभी न लौट सका. तीन दिन बाद उसकी कार लावारिस हालत में भोपाल के पास मिली थी और 10 दिन बाद यानि 27 अक्टूबर रायसेन जिले के सुलतानपुर के जंगल में उसकी लाश मिली. पुलिस तो कुछ पता न लगा सकी, लेकिन ओमप्रकाश ने किसी तरह पता लगा लिया और पुलिस को बता दिया कि उनके गांव मेंढ़की का जितेंद्र गोस्वामी आखिरी बार कार में धर्मेंद्र के साथ जाते देखा गया था, वह आपराधिक प्रवृत्ति का है.
लेकिन जीतेन्द्र घटना के बाद से ही गांव से गायब था. मामले को ठंडा समझ गत दिनों अचानक जितेंद्र लौटा तो ओमप्रकाश कि सूचना पर पुलिस ने उसे हिरासत में ले लिया और पूछताछ की तो वह ज्यादा न टिक सका, जल्दी ही टूट गया. उसने कबूल किया कि हत्या उसी ने की. पुलिस के मुताबिक, आरोपी का कहना है कि दोनों के घर आमने-सामने थे. उसकी पत्नी के प्रति धर्मेंद्र गलत नजर रखता था, इसलिए उसका अपहरण कराकर हत्या करा दी थी. इसमें उसके पांच साथियों ने उसकी मदद की थी.
इस तरह की थी वारदात :
जितेंद्र गोस्वामी ने बताया कि उस दिन जब चाणक्यपुरी रोड पर धर्मेंद्र कार से जा रहा था, तो मैंने उसे रोका और अपने साथी संदीप यादव निवासी उज्जैन के साथ उसकी कार में बैठ गया. इसके बाद उसे धमकाकर सारंगपुर ले गए. सारंगपुर में उसे रामबाबू मालवीय ढांकनी-सारंगपुर, आसिफ, राजा उर्फ राजेश व दुर्गा के सुपुर्द कर दिया. इसके बाद जितेंद्र खुद देवास लौट आया. उधर, धर्मेंद्र के पिता से रुपये हड़पने के लिए इसी दौरान डरा धमकाकर धर्मेंद्र की आवाज को भी मोबाइल में रिकॉर्ड किया, जिसमें वह अपने पिता से कह रहा है कि- पापा, इन लोगों को जो ये मांग रहे हैं, रुपए दे देना. इसके बाद उसके पर्स से पैसे निकाले और रस्सी से गला घोंटकर हत्या कर दी. पत्थर से मुंह कुचलकर उसकी लाश को रायसेन जिले के जंगल में फेंक दिया. कार भोपाल के पास छोड़ दी. उसपर शक न हो इसलिए जितेंद्र मृतक धर्मेंद्र के परिवार को गुमराह करने के लिए उसकी खोज में ओमप्रकाश के साथ भी घूमता रहा.
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