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जो व्यक्ति बुरे को भी अच्छा बना दे बात तब बनती है, हर मनुष्य के अंदर कमियों और अच्छाइयों का मिश्रण होता ही है

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व्यक्ति का महत्व कम हो जाता है,अच्छे के साथ तो सभी लोग खुश रहते हैं परंतु जो व्यक्ति बुरे को भी अच्छा बना दे

बात तब बनती है क्योंकि अक्सर लोग अपने साथ हुए व्यवहार के कारण अच्छे या बुरे का निर्धारण कर लेते हैं।

बहुत से व्यक्ति नकारात्मक परिस्थितियों के कारण भी गलत व्यवहार करने लगते हैं जो कि समय के साथ अपने आप सही हो जाता है।

अधिकतर मामलों में देखा गया है की जो व्यक्ति सहनशील होते है वह अपने विनम्रता के बल पर बहुत से लोगों के ह्र्दय परिवर्तन कर देते हैं

क्योंकि हर व्यक्ति के अंदर एक आत्मा का निवास होता है।व्यक्ति अच्छा और बुरा बाहर की दुनिया के संपर्क में आकर अपने परिवेश के अनुकूल आचरण करता है।

बचपन से ही कोई अच्छा या बुरा नही होता है,कभी कभी तो अत्यधिक विनम्रता भी व्यक्ति को आक्रामक बनने पर मजबूर कर देती है,

कारण चाहे जो भी हो मनुष्य को मानव धर्म का पालन करते हुए कमियों को नज़रन्दाज़ करते हुए अच्छाइयों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए क्योंकि बुराई को बुराई से नही जीता जा सकता है

और दुनिया में कोई ऐसी समस्या नही है जिसका समाधान संभव ना हो।एक माँ के चार बच्चों का स्वभाव अलग तरह का हो सकता है क्योंकि सभी के अंदर समान रूप से गुण नही हो सकते है,

आजकल दूसरों के साथ ताल मेल बिठाकर चलना मुश्किल होता जा रहा है क्योंकि सभी को यह लगता है अगले व्यक्ति से मैं श्रेष्ठ हू।

आत्मसम्मान की भावना व्यक्ति के अंदर होनी ही चाहिए परंतु उसके साथ ही साथ दूसरों को सम्मान दे कर आप जो खुशी देते है वही खुशी किसी ना किसी माध्यम से लौटकर आपके पास आ जाती हैं।

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