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आंवला खाने के चमत्कारी फायदे, और इसके विभिन्न उपयोग क्या है

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आंवला भारत में पुरातनकाल से आयुर्वेदीक जडीबुटी का इस्तमाल किया जाता है. उसी आयुर्वेदीक जडी बुटी में आवले को बढा स्थान प्राप्त हो गया आपको बता दे की आवला को आयुर्वेद में वैदजी अमृत फल कहा करते थे यह फल पोषक तत्वो के साथ खनिज पदार्थ से भारी है. जिसे हमारे शरीर को स्वस्थ बनाने में लाभ होता है.

आवला में इतने तत्व पाये जाते है. विटामिन सी, कैल्शियम, जिंक, आयरन, फास्फोरस, पोटाशियम, प्रोटीन, विटामिन ए, विटामिन ई जैसे तत्व भारी मात्रा में पाये जाते है. आवला को त्रिदोषनाशक कहा जाता है. ये त्रिदोषनाशक शरीर में पित, कफ और वायू को कम करणे का काम आवला करता है.

आवला हमारे मस्तिष्क को स्वस्थ बनाए और दिमाग को तेज बनाने के लिये कचा आवला लाभकारी साबित हो सकता है. आवला एक मात्र एैसा फल है जिस में विटामिन और एंटी ऑक्सीडेंट पाए जाते है. जिसकी वजसे हमारे मस्तिष्क को ठंडक और बलवान बनाये रखता है.

इन्सान के शरीर में लिवर एक अहम भूमिका निभाता है. ये लिवर अगर खराब हो गया या ठीक तरसे काम नही करता एैसे समय आवले का सेवन लिवर के लिये स्वस्थ रेहता है. आवले में विषैले एसिड को खत्म करने के तत्व पाये जाते है. जिससे लिवर में इन्फेक्शन की संभावना कम होती है. इस लिये आवले का सेवन लिवर के लिये अच्छा साबित होता है.

आवला आंखो के लिये अमृत के समान है. आवला आखो के रोशनी को बढाने का काम करता है. हर रोज एक चमच आवला चूर्ण के साथ शहद को मिलाकर खाने से मोतियाबिंद जैसी बिमारी ठीक होती है.

आवले के सेवन से खून की शुगर की मात्रा नियंत्रित रखती है. आवला के सेवन से हड्डी या मजबूत बनती है. आवले के सेवन से तणाव चीडचिडा पण दूर होता है. आवले के सेवन से बाहिय बिमारीया दूर होती है. आवले के सेवन से मूत्र विकार से छुटकारा मिलता है. आवले के सेवन से वजन कम हो सकता है.

आवले के रस से हृदय मास पेशी में उपयोग होता है. आवले के रस से कुष्ठ रोग दूर होता है. आवले के चूर्ण और मिश्री मिलाकर खाने से उल्टी आणा बंद होती है. आवले के बारे में जितना कहे जितना लिखे कम ही है. क्योकी आवला 100 रोगो की एक दवा है. इस लिये आवले को वैदजी अमृत यु ही नही कहते.

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