बढ़ रही है ब्लॉकेज समस्या और कैसे बच सकते हैं, जानें कारण और बचाव
आए दिन सुनने में आता है कि अमुक व्यक्ति के 80 प्रतिशत ब्लॉकेज है। सवाल उठता है कि यह ब्लॉकेज क्या है? दरअसल जब ह्रदय तक रक्त पहुंचाने वाली मांसपेशियों में जमाव हो जाता है तो इसे ब्लॉकेज कहते हैं। जब यह जमाव 70 प्रतिशत से अधिक हो जाता है तो व्यक्ति को छाती में बायीं ओर दर्द होने लगता हैं।
इस जटिलता में धमनियों में रक्त के कतरे जम जाते हैं। इस तरह ह्रदय तक खून व ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाता है और ह्रदय की मांसपेशियां भरने लगती हैं जिससे मस्तिष्क तक रक्त का प्रवाह नहीं हो पाता हैं। फलस्वरूप मोनोप्लेगिया, हैमीपैरेसिस और यहां तक कि रोगी की हार्ट अटैक से मृत्यु तक हो सकती हैं।
इसका इलाज क्या है?
प्रकति ने ह्रदय को जन्मजात यह शक्ति दी है कि वे फफड़ों के माध्यम से रक्त की सफाई करता है और इसका संचालन करता हैं। अधिक मात्रा में वसा लेने, असंतुलित जीवनचर्या और शारीरिक गतिविधियों में कमी के कारण रक्त के शुद्धिकरण में दिक्कत आती हैं।
यदी फेफड़ों में ऑक्सीजन की खपत को 20 गुना बढ़ा दिया जाए तो धमनियों में होने वाले सभी प्रकार के 90 प्रतिशत ब्लॉकेजों को दूर किया जा सकता हैं। इसके लिए जरूरी है कि आप अपनी दिनचर्या में आवश्यक बदलाव करें।
खान – पान
सुबह खाली पेट लहसुन की 4-5 कली के साथ एक गिलास नींबू पानी लें।
नाश्ते में अंकुरित मूंग, दानामेथी, प्याज, लहसुन, अदरक के मिश्रण के साथ एक गिलास नींबू पानी पिएं।
दोपहर के खाने में जौं, ज्वार व चने की रोटी, मौसमी सब्जी और नींबू पानी लें।
दोपहर में सौसमी फल खाएं।
रात के खाने में सूप, खिचड़ी,दलिया, सलाद और प्याज खाएं।
रात को सोने से पहले अर्जुन छाल का काढ़ा पिएं।
सुबह 3-4 किलोमीटर घूमने के लिए जाएं, नियमित व्यायाम जैसे प्राणायाम, वज्रासन, नौकसान, पवनमुक्तासन और सूर्य नमस्कार आदि करें। यदी रोगी के दो से अधिक ब्लॉकेज हैं जो कि 90 फीसदी से ज्यादा हैं तो ह्रदय व छाती का गर्म और ठंडा सेंक करें। साथ ही एनीमा व धूप स्नान लगातार लें।
धमनियों में रक्त के प्रवाह को बनाए रखने के लिए खान-पान व जिनचर्या में बदलाव करना जरूरी होता हैं।