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याचिकाकर्ता को प्रोन्नति देने का हाई कोर्ट ने डीजीपी को दिया निर्देश

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पटना .9 दिसंबर हाई कोर्ट ने राज्य के डीजीपी को निर्देश दिया कि वह याचिकाकर्ता को 26 सितंबर, 1995 की तिथि से पुलिस इंस्पेक्टर के पद पर में प्रोन्नति दे दें नहीं तो आगामी गुरुवार को स्पस्टीकरण के साथ अदालत में उपस्थित हो । जस्टिस पी बी बजन्थरी की एकलपीठ ने याचिकाकर्ता रमा कांत राम कीअओर से दायर रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए आज यह निर्देश दिया।एकलपीठ ने 18 नवंबर को सुनवाई करते हुए डीजीपी सह विभागीय प्रोन्नति कमेटी के अध्यक्ष को कहा था कि वह इस मामले में एक विस्तृत हलफनामा सप्ताह में दायर कर स्थिति स्पष्ट करे।

कोर्ट ने हलफनामा में यह भी बताने को कहा था कि याचिकाकर्ता 26 सितंबर, 1995 के प्रभाव से प्रोन्नति के योग्य थे कि नहीं, अगर थे तो इन्हें 23 सितंबर, 1998 के प्रभाव से सब इंस्पेक्टर से इंस्पेक्टर के पद पर क्यों प्रोन्नति दी गई। कोर्ट ने डीजीपी हलफनामा में डीजीपी को यह भी बतलाने को कहा गया था कि यदि याचिकाकर्ता की ओर से किये गए दावे के अनुसार प्रोन्नति नहीं दी गई तो इसकी वजह क्या थी। हाई कोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार के रवैये पर नाराजगी करते हुए 10, 000 रुपये का अर्थदंड भी लगाया था ।

मालूम हो कि याचिकाकर्ता बिहार से झारखंड के बंटवारे के बाद झारखंड कैडर में चले गए थे। इस तरह से याचिकाकर्ता झारखंड पुलिस का अधिकारी हो गया था। याचिकाकर्ता ने 11 दिसंबर, 1998 को पटना हाई कोर्ट में रिट याचिका दायर कर अपनी याचिका में कहा था कि वह 26 सितंबर, 1995 के प्रभाव से प्रोन्नति के योग्य है। जिस तिथि से अनुसूचित जाति में आने वाले इसके जूनियरों की प्रोन्नति दी गई थी। जबकि, याचिकाकर्ता को तीन वर्षों के विलंब के बाद प्रोन्नति दी गई थी।

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