सऊदी अरब का एक श्रापित शहर जिसकी बातें कुरान में भी लिखी है
इस दुनिया में अलग-अलग लोगों ने अलह-अलग जगहों पर हुकूमत किया| उन्होंने अपना देश कायम किया बड़े-बड़े शहरों और सभ्यताओं का निर्माण किया, लेकिन समय के साथ सारी सभ्यताओं का पतन होता गया और वो इतिहास में कहीं खो गए और कई सदियों तक वीरान रहने के बाद उन्हें फिर से खोजा गया|
एक ऐसा ही शहर खोजा गया है सऊदी अरब में, जो सदियों से कहीं खोया हुआ था, और इसका जिक्र पवित्र कुरान में भी मिलता है| सऊदी अरब की राजधानी जद्दा से 1040 किलोमीटर दूर अल-उला शहर के पास मदैन सालेह के रेगिस्तानों में हजारों साल पुराने खंडहर और 131 रॉक कट स्मारक मिले है| पहाड़ों को काट कर बड़े-बड़े स्मारक बनाये गए है जिन्हें देख कर हैरानी होती है|
इन्हें विशेष रूप से बड़े-बड़े पहाड़ों में तरास कर बनाया गया है, जिनपर तरह-तरह की नक्काशी भी की गयी है| आखिर कैसे 2000-3000 पुराने सभ्यता ने इसे बनाया था? इन मकबरों की बनाने की तकनीक के बारे में आजतक किसी को पता नहीं चल पाया है| कुछ विशेषज्ञ जिन्होंने इस मकबरें की जांच की थी उन्होंने पाया की कुछ संरचनाओं को बड़ी ही बारीकी से तरासा गया है जिनका पुनः निर्माण के लिए आज के ज़माने में लेज़र तकनीक की जरुरत पड़ेगी|
मदैन सालेह से ही 220 किमी० की दुरी पर अल-सलह नामक बहुत बड़ा चट्टान मिला है जो बीच से कटी हुई है| ये चट्टान प्रमाणित करती है की उस ज़माने में भी बड़े-बड़े चट्टानों को काटने की तकनीक मौजूद थी|
खोज में ये पता चला है की ये शहर और इमारतें नेबेतियन सल्तनत की है, जो इस्लाम के आखिरी पैगंबर मोहम्मद (स०) से पहले के पैगंबर सालेह अलैहिस्सलाम के ज़माने की है| नेबेतियन सल्तनत सऊदी अरब से लेकर फिलिस्तीन तक फैली हुई थी| सऊदी अरब में इस सल्तनत के बहुत सारे इमारतें मौजूद है और इनमे से सबसे ज्यादा फेमस जॉर्डन का पेतरा शहर और दूसरा बड़ा शहर है मदैन सालेह| यहां जाने पर आपको एक कतार में 131 मकबरें मिलती है|
मदैन सालेह के सभी मकबरों में सबसे बड़ा मकबरा कस्र-अल-फरीद का मकबरा सबसे बड़ा है| नेबेतियन सल्तनत का कोई लिखित इतिहास नहीं मिलता है, मकबरों में लिखे शिलालेखों से ही कुछ जानकारी मिलती है हो अरामाइक भाषा में लिखी गयी है|
इसकी लिखित कोई इतिहास नहीं है बस पवित्र कुरआन में इसका थोड़ा जिक्र है जिसके अनुसार-
एक ईश्वर की उपासना कराने के लिए ईशदूत हज़रत सालेह अलैहिस्सलाम को भेजा गया, परन्तु उस कौम ने उनकी अवहेलना की तो ईश्वर ने उस कौम पर सात दिन और आठ रात तक भयंकर आंधी और बिजली नाजिल कर दी गयी, जिसके फलस्वरूप उस कौम (सभ्यता) के लोग, जो बहुत लंबे-लंबे कद के होते थे, तथा वह पहाड़ों को खोद कर उसमें घर बनाने में माहिर थे, ये सब मारे गये। अतः जो भी ईश्वर की अवहेलना करेगा, ईश्वर उसको इस दुनिया में भी ज़लील करेगा और मृत्यु के पश्चात वह नर्क में रहेगा। (Source: Saleh – Wikipedia)
तभी से मदैन सालेह को श्रापित माना जाता है और शायद यही कारण है कि विश्व धरोहर होने के बावजूद भी यह उपेक्षित शहर है|
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