ऐसी 10 सबसे रहस्यमयी पुरातात्विक खोजों से दिमाग आज भी पागल है
रहस्यमयी पुरातात्विक खोजें हमें हमेशा हमारे पूर्वजों के रचनात्मक दिमाग कि याद दिलाती है। आज हम आपको 10 सबसे रहस्यमयी पुरातात्विक खोजों के बारे में बताते है।
1. माउंट ओवेन मोअ
सन 1986 में न्यूज़ीलैण्ड में पुरातत्वविदों ने एक गुफा खोदते हुए एक पक्षी के पंजो की खोज की थी। अभी भी उसकी चमड़ी और मांसपेशियां उसके साथ जुड़ी हुई है। बाद में पुरातत्वविदों ने एलान किया की यह बिना पंख के पंछी मोअ का पैर है जो धरती से 2000 साल पहले ही गायब हो गया. बिना पंख के पंछी मोअ एक भरी पक्षी था जिसकी लम्बाई 12 फ़ीट और वजन 250 किलो था। आज इसके पंजे न्यूज़ीलैण्ड के म्यूजियम में पड़े है।
2. सकसायुमन
सकसायुमन एक पौराणिक दीवार का समूह है जो पेरू के माचू पिच्चू में स्थित है। इस दीवार का निर्माण महाराजा पचकुटि ने 1440 में शुरू किया था। इसे पूरा होने में 100 साल का समय लगा। यह दीवार अलग अलग पथरों जैसे दिओरिटे ब्लॉक, यूके लाइमस्टोन और अंदेसिते से बनी थी। 600 मीटर लम्बी इस दीवार का आकर जिंगजैंग है। इस दीवार के हर ब्लॉक का वजन 100 टन है।
3. नाज़्का लाइन
जब आप दक्षिण पेरू के रेगिस्तान के ऊपर से हवाई जहाज़ से जो सफ़ेद लाइनों द्वारा बनने वाले अजीब से आकर को नाज़्का लाइन कहते है। यह इस देश की सबसे मशहूर यूनेस्को की धरोहर कार्यस्थल है। इस पौराणिक रहस्यमयी निर्माण में समलम्ब, समकोण, त्रिकोण के आकर बनते है। अगर आप ध्यान से देखे तो आपको उसमे 70 जानवर, पेड़ पौधे, 300 ज्यामितीय शेप भी दिखते है। इस लाइनों का मकसद अभी तक रहस्यमयी है। पुरातत्वविदों के मुताबिक नाज़्का लाइनों को नाज़्का भारतियों ने 500 बी सी से 700 ऐ डी के बीच में बनाया गया था। ज़्यादातर लोग मानते है की यह एलियन द्वारा बनाये गए चिह्न है।
4. गोबेकली टेपे
दुनिया की सबसे पुरानी पुरातात्विक जगह है जो टर्की में स्थित है। यह स्मारक आपको 11000 साल पहले पाषाण युग की रचनात्मक शक्ति की याद दिलाएगा। इस स्मारक को बनाने में जिन कंकड़ों का इस्तेमाल हुआ है वह 15 से 22 टन के थे। इस अभियान में पुरातत्वविद को 200 बड़े बड़े खम्बे मिले थे। इस स्मारक को पौराणिक लोगो के मंदिर या इक्कठा होने वाली जगह के रूप में माना जाता है।
5. टेराकोटा आर्मी
1974 में चीन के क्सियन में पुरातत्वविद के एक समूह ने ऐसी खोज की जो सबसे बड़ी अंत्येष्टि कला की खोज थी जिसका नाम टेराकोटा आर्मी था। उन्होंने देखा की महाराज किन सही हुआंग की स्मारक के साथ हज़ारों मिटटी के जवानो को दफनाया गया था। किन सही हुआंग चीन के पहले राजा थे। ऐसा इसलिए किया गया था की राजा को मौत के बाद शक्तियों से बचाया जा सके. इस स्मारक की उम्र 2200 साल होगी। पुरातत्वविद को इसके साथ कई अलग अलग अस्त्र शस्त्र भी मिले थे।
6. मोऐ मूर्ति, ईस्टर आइलैंड
ईस्टर आइलैंड की मोऐ मूर्ति सबसे ज़्यादा रहस्यमई पुरातात्विक खोज है। चाइल के बिना पेड़ो वाले इस द्वीप की यह सबसे खास आकर्षण है। इसे रपा नई के पौराणिक लोगों ने 1300 से 1500 ऐ डी के बीच बनाया था। इस द्वीप पर 277 मोऐ मूर्तियां है जो अलग अलग पथरों पर बनी हुई है। इसकी लम्बाई 13 फ़ीट है और यह 70 टन के वजन की है। रपा नई के लोग मरे हुए ज्वालामुखी के पथरों से इस मूर्तियों को बनाते थे।
7. स्टोनहेंज
5000 साल पहले बना यह स्मारक इंग्लैंड के सेलिस्बरी शहर में स्थित है। यह स्मारक कई बड़े और छोटे पथरों से बना था. बड़े पत्थर की लम्बाई 30 फ़ीट थी और उसका नाम सरसेंस है और उसका वजन 25 टन है। इस स्टोनहेंज को बनाने का मकसद आज तक किसी को नहीं पता। इसे 3000 बीसी से 2000 बीसी के बीच में बनाया गया था। माना जाता है की इस एरिया में 250 मरे हुए लोग दफन है।
8. महान पिरामिड
धरती पर देखे जाने वाले महान पौराणिक स्मारकों में से एक पिरामिड है। हालाँकि कई सभ्यताओं ने पिरामिड बनाये लेकिन मिस्त्र के पिरामिड सबसे अलग है। माना जाता है की मिस्त्र के लोगों ने 2700 बी सी में पिरामिड बनाना शुरू किया था। इसे एक खम्बे की तरह बनाया गया था ताकि इसमें रॉयल शरीर मम्मीज़ को रखा जा सके। ग़िज़ा के महान पिरामिड सबसे पुराने और लम्बे पिरामिड है जिनकी लम्बाई 471 फ़ीट है और इसे बनाने में करीब 20 साल लगे थे और इसमें कई मिलियन कंकरो का इस्तेमाल हुआ था।
9. अटलांटिस शहर
गुमा हुआ शहर अटलांटिस आज तक की सबसे रहस्यमई पुरातात्विक खोज है. प्लेटो ने 360 बी सी में अटलांटिस शहर के बारे में जानने की कोशिश की थी जो महासागर में बह गया था। शोधकर्ता मानते है की एक खतरनाक सुनामी ने 10वीं मिललेनियम बी सी में यह शहर डूब गया था। लेकिन इसकी सच्चाई अभी तक किसी को नहीं पता। पौराणिक कहानियों के मुताबिक अटलांटिस को समुद्र के भगवन पोसिडों ने बनाया था जो आज के एशिया से बड़ा था।
10. वॉयनिक हस्तलेख
यह हस्तलेख दुनिया का सबसे रहयस्यमयी हस्तलेख माना जाता है। यह उत्तरी इटली में 1912 में खोजा गया था। इस हस्तलेख कि भाषा, इसके लेखक का अभी तक पता नहीं लग पाया है। पुरातत्वविद के अनुसार इस हस्तलेख के कई पन्ने खो चुके है और अब सिर्फ 240 पन्ने ही बचे है। इस हस्तलेख पर पाए गए हर्बल पौधे इसमें सबसे दिलचस्प चीज़ है। माना जाता है कि वॉयनिक हस्तलेख 15वीं शताब्दी में लिखा गया था।