अपने घर में सुख शांति के लिए इन बातों का रखें ख्याल
माता पिता और बड़ों को चाहिए कि वे बच्चों में रोज सुबह अभिवादन करने की आदत डालें। बच्चे जब अभिवादन करें, माता पिता एवं बड़ों को उन्हें आर्शीवाद देना, प्यार करना और थपथपाना चाहिए। स्मरण रखें कि प्रेमपूर्वक स्पर्श से बच्चों को ही नहीं, वर्ना बड़ों को भी मानसिक शांति और उत्साह मिलता है।
बच्चों के सामने लडाई-झगड़ा न करें
बच्चों के सामने माता-पिता अथवा घर के बड़ों द्वारा लडाई-झगड़ा, गाली-गलौज, चुगली एवं अश्लील बातें नहीं करना चाहिए। संतान अपने माता-पिता और बड़े बुजुर्गो के विचारों, बातों तथा कार्यो की नकल करती है। यह एक मनोवैज्ञानिक नियम है।
उम्र के अनुसार यौन शिक्षा आवश्यक
बच्चों को उनकी आयु के अनुसार उचित यौन शिक्षा आवश्यक है, अन्यथा वे अपने साथियों और मित्रों से उन्हीं बातों को गलत विधि या रूप में सीख लेंगे।
डॉक्टर से सलाह लेने में संकोच न करें
एक उम्र के बाद पति-पत्नि प्रायः एक-दूसरे के स्वभाव से परिचित हो जाते है। उनमें परस्पर प्रेम तथा विश्वास की भावना विकसित होने लगती है। यदि ऐसा न हो तो उसे विकसित करने का प्रयत्न अवश्य करना चाहिए। इसके बावजूद सफलता न मिलने पर मनोवैज्ञानिक विशेषज्ञों अथवा मनोचिकित्सकों की सलाह लेने से पर्याप्त लाभ मिलता है। यौन संबंधी रोग अथवा समस्या होने पर योग्य और अनुभवी डॉक्टर से सलाह लेने में संकोच या लज्जा का अनुभव न करें। इस प्रकार की समस्याएं अधिकाशं लोगो को रहती है।
मासिक बजट बनाये
अपने परिवार के खर्चे का मासिक बजट बनाइए। पत्नी तथा बच्चों का इसमें पूरा सहयोग लीजिए। उन्हें उत्साहित करिए कि वे अपने जमा-खर्च का नियमित रूप से हिसाब रखें।
माता-पिता की सेवा करें
यदि आप इतने सौभाग्यशाली हैं कि माता-पिता अथवा परिवार का कोई बुजुर्ग आपके साथ रहता है। तो उसकी सच्चे हदय से सेवा करिए। महत्वपूर्ण विषयों मे उसकी सलाह लीजिए। माता-पिता और बुजुर्गो द्वारा दिए हुए आर्शीवादों में बहुत अधिक शक्ति होती है। उनसे आपका शारीरिक-मानसिक स्वास्थ्य बनता है और संपन्नता प्राप्त होती है। इसके अतिरिक्त जब आपकी संतान आपको अपने माता-पिता की सेवा करते हुए देखती है तो वह भी व्यस्क होने पर आपकी सेवा करती है।
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