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Strawberry Farming: क्या आप स्ट्रॉबेरी की खेती से लाखों कमाना चाहते हैं? फिर अगस्त में लगाएं यह पौधा और कमाएं लाखों

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Strawberry Farming पिछले कुछ वर्षों में देश में स्ट्रॉबेरी की खेती का लगातार विस्तार हो रहा है। पहले इस फसल की खेती केवल ठंडे क्षेत्रों में की जाती थी लेकिन अब इसकी खेती गर्म क्षेत्रों में भी की जाती है। इसके लिए किसान खेत में स्ट्रॉबेरी की फसल के लिए पोषक वातावरण बनाए रखता है।

इसकी खेती से किसानों को अच्छा मुनाफा हो रहा है। लेकिन हाल ही में दो या तीन साल पहले भारत में स्ट्रॉबेरी की एक नई किस्म (स्ट्रॉबेरी वैरायटी) आई है, जिसके बारे में दावा किया जाता है कि यह अन्य किस्मों की तुलना में किसानों के लिए बहुत फायदेमंद है। इस नस्ल का नाम ‘अकिहिमे’ है।

स्ट्रॉबेरी की खेती करने वाला कोई भी किसान हिमाचल प्रदेश से अपनी पौध प्राप्त करता है। इस स्थान पर अब स्ट्रॉबेरी की एक नई किस्म, अकिहाइम की खेती की जा रही है। कहा जाता है कि हिमाचल प्रदेश के किसानों ने दक्षिण कोरिया से इस किस्म का आयात किया है।

Strawberry Farming

कहा जाता है कि इस किस्म की खेती भारत में पहली बार हिमाचल प्रदेश में की गई थी। इस किस्म की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसके फल सख्त होते हैं इसलिए यह जल्दी खराब नहीं होते हैं। अन्य किस्मों की फसलें बहुत नरम होती हैं और जल्दी खराब हो जाती हैं। अकिहाइम स्ट्रॉबेरी की एक और विशेषता यह है कि इन किस्मों के फल 22 से 40 ग्राम तक होते हैं, जबकि अन्य किस्मों के फल केवल 15 से 30 ग्राम तक होते हैं।

दोस्तों हम यहां बताना चाहेंगे कि स्ट्रॉबेरी के पौधे अगस्त से नवंबर तक बाहरी इलाकों में लगाए जाते हैं। एक एकड़ में 32 हजार स्ट्रॉबेरी के पौधे लगाए गए हैं। दूसरी किस्म का एक पौधा 400 से 600 ग्राम स्ट्रॉबेरी पैदा करता है, जबकि इस अकिहाइम किस्म का एक पौधा 800 से 900 ग्राम स्ट्रॉबेरी पैदा करता है। निश्चित रूप से स्ट्रॉबेरी की यह नई किस्म किसानों को दोगुना लाभ दिलाने वाली है। दावा किया जा रहा है कि अगस्त में इस किस्म को लगाने से किसानों को अच्छी पैदावार मिलेगी।

दोस्तों किसी भी फसल की कोई भी किस्म चुनने से पहले अपनी जलवायु, अपनी मिट्टी पर विचार करना बहुत जरूरी होगा। इसके कारण किसी भी फसल की कोई भी किस्म बोने से पहले कृषि विशेषज्ञों के साथ-साथ कृषि सेवा केंद्र चालक से परामर्श करना अनिवार्य होगा।

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