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फेफड़ों में संक्रमण की एंट्री इस तरह रोकें, जानिए

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आमतौर पर यह माना जाता है कि किसी व्यक्ति को फेफड़ों में संक्रमण 50 या 60 की उम्र के बाद दिल का दौरा पड़ सकता है, लेकिन हाल के दिनों में 30 से 40 साल की उम्र के लोगों में दिल का दौरा पड़ने की खबर भी चिंता का कारण है आंकड़े बताते हैं कि दुनिया भर में युवा अचानक दिल का दौरा पड़ने से मर रहे हैं। इससे भी अधिक आश्चर्य की बात यह है कि कई मामलों में मृतक के हृदय में कष्ट के कोई लक्षण नहीं दिखते हैं।

दिल का दौरा तब पड़ता है जब कोई लक्षण न हो। दिल से जुड़ी कोई शिकायत न होने पर डॉक्टर अचानक दिल का दौरा पड़ने से होने वाली मौत को लेकर चिंतित हैं। इस संबंध में शोध अब यूरोपियन रेस्पिरेटरी सोसाइटी इंटरनेशनल कांग्रेस को प्रस्तुत किया गया है।

इस शोध का दावा है कि किशोरों में फेफड़ों की विफलता का सीधा संबंध अचानक हृदय की मृत्यु से है। इसका मतलब यह है कि अगर युवा लोगों के फेफड़े ठीक से काम नहीं कर रहे हैं तो उन्हें अचानक दिल का दौरा पड़ने का खतरा अधिक होता है।

स्वीडन के एक विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के एक दल ने ऐसे 28,584 लोगों का अध्ययन किया। इन सभी की उम्र 20 से 45 साल के बीच थी। इन लोगों में पहले से हृदय रोग से संबंधित लक्षण नहीं थे। शोधकर्ता 40 साल से इन लोगों पर नजर रख रहे हैं।

शोध से पता चला है कि जिन लोगों के फेफड़े ठीक से काम नहीं करते हैं उनमें अचानक मौत का खतरा अधिक होता है। मध्यम आयु वर्ग के लोगों में भी मृत्यु का जोखिम 23 प्रतिशत तक था। दूसरी ओर, जब ये लोग बड़े हुए, तो आश्चर्यजनक रूप से, उनके मृत्यु का भय पहले की तुलना में कम हो गया। बढ़ती उम्र के साथ ऐसे लोगों में मौत का खतरा 8% कम हो गया।

मौत की संभावना को कैसे कम करें

शोधकर्ताओं का कहना है कि फेफड़ों के कार्य और हृदय स्वास्थ्य के बीच सीधा संबंध है
लेकिन आजकल के युवा फेफड़े कमजोर होने की वजह से हार्ट अटैक का शिकार क्यों होते हैं?
इसका मुख्य कारण क्या है, इसका कोई निर्णायक प्रमाण नहीं है, इसलिए शोधकर्ता कहते हैं,
30-35 साल की उम्र से लोगों के लिए नियमित रूप से दिल और फेफड़ों की जांच करवाना सबसे अच्छा है।
यदि फेफड़े का कार्य ठीक से काम नहीं कर रहा है, तो डॉक्टर कुछ सावधानियां सुझा सकते हैं।

दिल की अच्छी सेहत के लिए बरतें ऐसी सावधानियां

दिल के अच्छे स्वास्थ्य के लिए अपने आहार में एंटीऑक्सिडेंट, ओमेगा -3 एस, फाइबर और खनिज शामिल करें। तली-भुनी और मसालेदार चीजों से परहेज करें।

दिन में आधा घंटा व्यायाम करें। जॉगिंग, साइकिलिंग और वॉकिंग भी की जा सकती है।

मोटापे पर नियंत्रण रखें और शरीर को सक्रिय रखें।

रक्तचाप को नियंत्रित करें। उच्च रक्त शर्करा रक्त वाहिकाओं को ऑक्सीडेटिव क्षति का कारण बन सकता है।

सिगरेट और शराब से दूर रहें, दिल का स्वास्थ्य अच्छा है

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