centered image />

राहो को मंजिल नहीं एक हमसफ़र की तलाश जो आधे अधूरे बिखरे हुए सपनों को उड़ान दें

0 1,107
Join Telegram Group Join Now
WhatsApp Group Join Now

पता है विनय, कल एक तो सर्दी जुकाम, ऊपर से काम करके थक गयी थी| सोचा थोड़ी देर आराम ले लूँ, तभी वॉचमैन ने चार बजे वापस पानी छोड़ा था, पर थकान की वजह से मैं नहीं भर पाई| सोचा सुबह जब रोज की तरह आठ बजे छोड़ेगा तब भर लेंगे।

सोना की बात सुन, विनय जो कब से मोबाइल हाथों में ले फेसबुक देखे जा रहा था, मोबाइल को साइड में रखते हुए बोला- “क्या सोना तुम भी, एक पानी नहीं भर सकती थी? क्या तो करना था, सिर्फ सारे नल ही तो खोलने थे, पानी का क्या, वह तो अपने आप ही भर जाता। कल पूरा भर लेती तो अभी आठ बजे तो न भरना पड़ता।”

stay-looking-for-a-destination-not-a-humsafar-who-can-fly-half-baked-dreamsतलाश

सोना ने कहा “क्या सिर्फ सारे नल खोल देने से अपने आप पानी भर जाता है।

उसके पीछे दूसरा कोई काम नहीं होता?”

विनय बोला “मुझे तो नहीं लगता कुछ काम।

बस पानी भर जाने के बाद, वापस नल बंद करने के लिए उठना। यही एक काम तो होता है।”

सोना ने कहाँ- “विनय घर के सारे काम पानी के पीछे ही होते है।

पुरे घर में कम से कम पचास बार लेफ्ट राईट हो जाती है मेरी, एक पानी के पीछे।

कभी बाथरूम में तो कभी किचन में, कभी वाशिंग मशीन में पानी भरो तो कभी ड्रम में भरो, घर में जितने टब, बाल्टी है सारे भरो।

ऊपर से घर का सारा काम एक तरफ, और बच्चों का काम एक तरफ।”

विनय ने सोना की बातों पे हसतेहुए कहाँ- “तुम तो ऐसे कह रही हो जैसे मैंने तुम्हे पानी भरने को नहीं कोई जंग लड़ने को कह दिया हो।

तुम तो मुझे ऐसे अपने काम गीनाने बैठ गयी, जैसे पुरे दिन में एक पल के लिए भी रेस्ट ही नहीं मिलता हो तुम्हे।

जबकी हर रोज़ बच्चों के स्कूल जाने के बाद से, मेरे ऑफिस जाने तक मैं तो तुम्हे कुछ करते नहीं देखता।

वो देखो सामने घर में निधि भाभी, बेचारी सुबह से काम में लगी हैं पति से बात तक करने की फुर्सत नहीं।”

सोना ने गुस्से में कहाँ- “बस करो विनय, तुम्हे जिस बात के बारे में पता न हो वह मत करो।

मैं यह सोचकर, के आपके शॉप जाने के बाद अकेली हो जाती हूँ, बच्चे भी तीन बजे आते हैं

, इसी बिच अपना सारा काम निपटाऊ, ताकि यह वक़्त जब आप और मैं घर पे अकेले हो तो एक दुसरे के साथ कुछ पल शांति से बताये।

कुछ बाते करे।

पर आप हो के हमेशा या तो अपने मोबाइल में बिजी रहते हो या मैं कुछ भी बात करने की शुरुआत करू तो छोटी छोटी बातों में बहस पे आ जाते हो।

गलती मेरी ही हैं जो अपना सारा काम काज छोड आपके पास आ बैठती हु,

और आपको लगता है के मैं कुछ काम ही नहीं करती।” कहते हुए सोना किचन की तरफ चली गयी।

इधर विनय भी चाए नाश्ता कर ऑफिस को निकल गया।

पिछले हफ्ते भर से विनय देख रहा था के सोना सुबह से ही अपने सारे काम निपटाने में लगी रहती थी।

विनय कुछ कहता भी तो अपने काम करते करते ही उसका जवाब देती थी।

और ना ही विनय के पास बैठ बातें करती थी।

विनय अकेले मोबाइल देख देख के बोर होने लगा था।

क्युकी उसे आदत पड़ गई थी मोबाइल देखते देखते सोना के साथ हर सुबह बहस करने की।

इसलिए आज उसने किचन में जा सोना से कहाँ- “क्या बात है, आज कल तुम्हारे पास कोई बात नहीं मुझसे करने लायक।

या नाराज़ हो मुझसे। मैं कितने दिनों से देख रहा हूँ तुम मुझे और मेरी बातों को अनदेखा कर रही हो, न मेरे पास बैठ बात करती हो ना कुछ।

सरकारी नौकरियां यहाँ देख सकते हैं :-

सरकारी नौकरी करने के लिए बंपर मौका 8वीं 10वीं 12वीं पास कर सकते हैं आवेदन

1000 से भी ज्यादा रेलवे की सभी नौकरियों की सही जानकारी पाने के लिए यहाँ क्लिक करें 

सोना ने कहाँ- “विनय फिलहाल मुझे बहुत काम है, तुम्हारे इन सवालो का मेरे पास कोई जवाब नहीं।”

सोना की बात सुन विनय ने कहाँ- “काम तो बाद में भी कर सकती हो, जब मैं शॉप चला जाऊगा तब कर लेना।

वैसे भी उस वक़्त तुम घर पे अकेली रहती हो, तो शांति से काम निपटा सकती हो।”

सोना ने कहाँ- “नहीं विनय, अब मैंने तय कर लिया है के मैं भी सामने वाली निधि भाभी की तरह सुबह उठते ही,

पहले सुबह सुबह ही अपने सारे काम निपटा लिया करुगी।

ताकी मेरे सारे काम जल्दी से निपट जाये, और देखने वालो को भी ऐसा नहीं लगे के मैं पुरे दिन खाली फ़ोकट बैठी हूँ।

और जो वक़्त तुम्हारे साथ बहस करके रोज बर्बाद किया करती थी,

उस समय में सारे काम निपटा, आपके शॉप जाने के बाद जो वक़्त मिलेगा, उस वक़्त को, उस पल को, अपने आप के लिए जिऊ।

उस वक़्त अपने मन का करूँ। अपनी पसंद का करूँ।”

विनय ने अपनी गलती मानते हुए सोना को सॉरी कहाँ।

इसपे सोना ने कहाँ- “आप सॉरी मत कहो विनय, बल्कि मुझे आप को थैंक्स कहना चाहिए।

आपकी वजह से ही मैं अपने आप को वक़्त दे पा रही हूँ।

कुछ सपने जो अधूरे रह गए थे, इस खाली वक़्त के अकेलेपन में उन्हें पूरा कर पा रही हूँ।

अपने अपनो और दोस्तों को वक़्त दे पा रही हूँ।

अभी तो अपनी मंजिल को तलाशना शरू किया है। अभी उस तक पहुंचने का रास्ता ढूंढना है मुझे।

अपनी मंजिल तक पहुँचना है मुझे। अब मैंने अपने लक्ष्य की तरफ कदम बढा दिए हैं। अब मत रोकना मुझे।”

विनय समझ गया के सोना किस विषय में बात कर रही हैं।

उसका बचपन का सपना था की वह अपने दोस्तों की एक टीम बना, समाज सेवा का काम करे

और जरुरत मंद लोगो की मदद करे।

अब सोना ने जब ठान लिया है, तो जब तक वह कुछ कर नहीं दिखायेगी, वह रुकने वाली नही।

इसलिए ज्यादा कुछ न कहते हुए उसके माथे को चुम विनय शॉप की तरफ निकल गया।

Join Telegram Group Join Now
WhatsApp Group Join Now
Ads
Ads
Leave A Reply

Your email address will not be published.