centered image />

21 मई को सोनिया की चीख से गूंज उठा था पूरा 10 जनपथ

0 826
Join Telegram Group Join Now
WhatsApp Group Join Now

देश विदेश : मद्रास से 40 किमी दूर श्रीपेरंबदूर में 21 मई 1991 का वो काला दिन जब राजीव गांधी को आत्मघाती हमलावर ने बम से उड़ा दिया था। देश ने राजनीति के उस सौम्य प्रधानमंत्री को खो दिया था जो हकीकत में देश का विकास करना चाहता था। उस दिन हादसे के बारे में रात में एक फोन 10 जनपथ में किया गया। जानें क्या हुआ था सोनिया के साथ जब उनको पता चला कि राजीव नहीं रहे।

जॉर्ज ने रिसीव किया था वो फोन

सोनिया की जीवनी लिखने वाले लेखक राशिद किदवई ने अपनी किताब में लिखा है कि मद्रास में हुए धमाके के बाद खुफिया विभाग के अफसर ने दिल्ली में 10 जनपथ में फोन किया था। फोन वहां मौजूद जॉर्ज ने उठाया था। फोन करने वाला सोनिया गांधी या राजीव गांधी के निजी सचिव से बात करना चाहता था। जब उसने बताया कि पेरंबदूर में धमाका हुआ है तो सन्नाटा छा गया। Win IPL FInal Ticket  :  http://quizoffers.online/

सोनिया की चीख से गूंज उठा था पूरा 10 जनपथ

फोन करने वाले ने बताया कि यहां राजीव की रैली में रात 10.21 धमाका हुआ है। जॉर्ज ने पूछा राजीव कैसे हैं तो दूसरी ओर से जवाब नहीं आया। फिर अचानक से आवाज आई वो नहीं रहे। इतना सुनते ही जॉर्ज अंदर की ओर भागे और सोनिया को बताया। सोनिया ने घबराकर पूछा कि राजीव कैसे हैं तो जॉर्ज चुप हो गये। सोनिया को समझते देर न लगी और सोनिया गांधी इतनी जोर से रोकर चीखीं कि पूरा 10 जनपथ ही हिल उठा था।

चीख सुनकर इकट्ठा होने लगे कांग्रेसी

अपने 46 साल के पति को इतनी कम उम्र में खोने की खबर मिलते ही सोनिया गांधी के ऊपर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। वो लगातार चीखें जा रही थीं। हमेशा शांत रहने वाली महिला अचानक इतनी शोक में डूब गई कि पूरे 10 जनपथ में सिर्फ उनकी ही चीखें गूंज रही थीं। उनके रोने का शोर सुनकर वहां डरे-सहमे कांग्रेसी भी इकट्ठा हो गये थे लेकिन सोनिया की चीख बंद नहीं हो रही थीं। Win IPL FInal Ticket  :  http://quizoffers.online/

पड़ गया अस्थमा का अटैक, हो गईं थी बेहोश

राजीव गांधी की मौत की खबर से बेहाल सोनिया गांधी को इतना बड़ा सदमा लगा कि उनकी सांसें ही उखड़ने लग गईं। उनको अस्थमा का अटैक पड़ गया और वो वहीं फर्श पर बेहोश होकर तड़पने लगीं। इतने में प्रियंका गांधी ने उनको संभाला था और वो फौरन उनकी अस्थमा की दवा लेकर आई थीं ताकि मां की हालत ठीक की जा सके।

हमेशा गम में ही रही सोनिया गांधी

21 मई 1991 को राजीव की मौत के गम को तो धीरे-धीरे सोनिया ने पचा लिया और जिन्दगी में आगे बढ़ने लगीं लेकिन पति की मौत के गम को वो अपनी पूरी जिन्दगी भुला नहीं सकीं। वो आज भी राजीव गांधी को उतना ही प्यार करती हैं जितना उनके जिंदा रहने पर करती थीं..

Also Read :- सवालों के जबाब देकर जीते हजारो रुपये 

100% Working !! एक ही रात में पिम्पल्स का हटाने का उपचार | Pimples se Kaise Chhutkara Paayen

Desh  Videsh से जुड़ी  जानकारी पाने के लिए गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड करे एंड्राइड ऐप- Download Now

Join Telegram Group Join Now
WhatsApp Group Join Now
Ads
Ads
Leave A Reply

Your email address will not be published.