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कर्नाटक के सीएम के खिलाफ बोलने की शिंदे की हिम्मत नहीं, जानिए एकनाथ से क्यों नाराज हुए उद्धव?

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शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने गुरुवार को कहा कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे में कर्नाटक के मुख्यमंत्री के खिलाफ बोलने की हिम्मत नहीं है। विवाद तब शुरू हुआ जब कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोमई ने दावा किया कि महाराष्ट्र के कुछ सीमावर्ती गांव कभी उनके राज्य का हिस्सा बनना चाहते थे। शिंदे पर तंज कसते हुए ठाकरे ने कहा, ”क्या हम हिम्मत हार गए हैं क्योंकि कर्नाटक के मुख्यमंत्री आसानी से महाराष्ट्र के गांवों पर दावा कर रहे हैं।”

इस बीच, एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी कर्नाटक मुद्दे से भाग नहीं सकती है। वहीं, कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोमई ने सीमा विवाद को लेकर महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर निशाना साधा और इस मुद्दे पर उनके बयान को भड़काऊ बताया। इसके साथ ही अंतरराज्यीय सीमा विवाद को लेकर सियासी पारा तेज हो गया है।

फडणवीस ने कहा, ”महाराष्ट्र का कोई गांव कर्नाटक नहीं जाएगा! कर्नाटक के बेलगाम-कारवार-निपानी समेत मराठी भाषी गांवों को वापस पाने के लिए राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष मजबूती से रखेगी! उनका (फडणवीस का) सपना कभी पूरा नहीं होगा। हमारी सरकार हमारे राज्य की भूमि, जल और सीमाओं की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।” उन्होंने यह भी कहा कि कर्नाटक के सीमावर्ती जिलों में कोई जगह छोड़ने का सवाल ही नहीं उठता। उन्होंने आगे कहा, ‘दरअसल हमारी मांग है कि महाराष्ट्र के सोलापुर और अक्कलकोट जैसे कन्नड़ भाषी इलाकों को कर्नाटक में शामिल किया जाए.’

बेलागवी पर विवाद 1960 के दशक में भाषाई आधार पर राज्यों के पुनर्गठन का है। महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार ने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से पहले कानूनी टीम के साथ समन्वय के लिए दो मंत्रियों को नियुक्त किया। बोम्मई ने कहा कि इसके तुरंत बाद, राज्य ने अपना मामला पेश करने के लिए मुकुल रोहतगी और श्याम दीवान सहित कई वरिष्ठ वकीलों को नियुक्त किया।

बोमई ने दावा किया कि महाराष्ट्र के सांगली जिले में जाट तालुका की कुछ ग्राम पंचायतों ने पहले कर्नाटक में विलय की मांग करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया था, जब वे गंभीर जल संकट का सामना कर रहे थे। बोमई ने कहा कि कर्नाटक सरकार ने पानी मुहैया कराकर उनकी मदद के लिए योजनाएं तैयार की हैं और उनकी सरकार जाट गांवों के प्रस्ताव पर गंभीरता से विचार कर रही है. इसके जवाब में फडणवीस ने बुधवार को नागपुर में पत्रकारों से कहा, ‘इन गांवों ने 2012 में पानी की कमी के मुद्दे पर एक प्रस्ताव पेश किया था। वर्तमान में किसी भी गांव ने कोई प्रस्ताव प्रस्तुत नहीं किया है।

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