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Rochak Facts : क्यों फटते है बादल

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हम सभी को बारिश का बेसब्री से इंतज़ार होता है। रिमझिम बारिश में भीगना और उसके पानी में कागज़ की नाव चलाना हर बच्चे को भाता है। लेकिन ज़्यादा वर्षा भी अक्सर तबाही का कारण बन जाती है। खासकर पहाड़ी क्षेत्रों में। वहाँ तो कभी-कभी बादल तक फट जाते हैं जिससे भारी जानमाल का नुकसान होता है।

Image Credit : Vagabond Images

कैसे और क्यों फटता है बादल?

बादल के बारे में जाने के लिए पहले जानना ज़रूरी है कि बादल कितने प्रकार के होते हैं। आकार, ऊँचाई और रंग के आधार पर इन्हें तीन वर्गो में बांटा जाता है। इन तीन वर्गो में कुल दस तरह के बादल होते हैं। पहले वर्ग में आते हैं निचले या कम ऊँचाई वाले बादल। इनकी ऊँचाई पृथ्वी से ढाई किलोमीटर तक होती है।

Image Credit : weather forecast

दूसरे तरह के बादल होते हैं मध्य मेघ या बीच की ऊँचाई वाले बादल या मिडिल क्लाउड। इनकी ऊँचाई ढाई से साढ़े चार किलोमीटर तक होती है। इस वर्ग में दो तरह के बादल होते हैं अल्टोस्ट्रेटस और अल्टोक्यूमलस।
तीसरी तरह के बादलों को उच्च मेघ या हाई क्लाउड कहा जाता है। इनकी ऊँचाई सबसे अधिक होती है। इस वर्ग में सफेद लहरदार साइरोक्यमलस और पारदर्शी रेशेयुक्त साइरोस्ट्रेटस बादल आते हैं।

बादलों के इन सभी प्रकारों में कुछ हमारे लिए फायदेमंद बारिश लाते हैं तो कुछ विनाशकारी। बादल फटने की घटना के लिए सिर्फ एक बाद ज़िम्मेदार होता है और वह क्यूमोलोनिंबस। यह देखने में फूल गोभी की शक्ल का लगता है। लगता है जैसे आसमान में गोभी का कोई फूल तैर रहा है। इनकी लंबाई 14 से 15 किलोमीटर तक होती है।

दरअसल जब क्यूमोलोनिबस बादलों में एकाएक नमी पहुँचनी बंद हो जाती है या फिर ठंडी हवा का झोंका इनमें प्रवेश कर जाता है तो ये सफेद बादल गहरे काले रंग में बदल जाते हैं और तेज़ गरज के साथ एक ही स्थान पर फटकर नाले के रूप में बरस पड़ते हैं। इसी को बादल फटना कहते हैं। इस बादल के बरसने की रफ्तार इतनी तेज़ होती है कि कुछ ही पलों में पूरी की पूरी नदी ज़मीन पर उतर जाती है।

 

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