centered image />

लकवा होने से पहले के लक्षण और उसके आयुर्वेदिक उपचार

0 1,584
Join Telegram Group Join Now
WhatsApp Group Join Now

लकवा (Paralysis) loss of muscle function. यह रोग शरीर के स्नायुओं और स्नायु केंद्र, दिमाग का रोग है। जिस इंसान के शरीर का स्नायुमंडल, स्नायु केंद्र और मस्तिष्क अच्छी तथा स्वाभाविक दशा में रहते हैं, उसे लकवा कभी नहीं होता। आरंभ से ही यदि प्राकृतिक जीवन पद्धति को अपनाया जाए, संयम, नियम से काम किया जाए, स्वास्थ्यवर्धक एवं उपयुक्त आहार-विहार का आश्रय लिया जाए तथा हर प्रकार के मानसिक तनावों एवं चिंताओं से बचा जाए तो लकवा होने की संभावना बहुत कम हो जाती है।

यह बीमारी ज्यादातर 30 से ज्यादा की उम्र वालों को होता है । यह एक ऐसा रोग हैं जो की व्यक्ति को असहाय कर देता हैं, जिसको लकवा हुआ होता हैं उसकी और देखा भी नहीं जा सकता, रोगी की ऐसी हालत हो जाती हैं. ऐसे में लकवा का रोगी लाचार असहाय-सा दूसरे व्यक्तियों के मुंह की तरह देखता रहता हैं ।

हम यहां आपको पैरालिसिस के संबंध में जानकारी देंगे जो की एक लकवा ग्रस्त रोगी के लिए जरुरी होती हैं, जैसे :- लकवा के लक्षण, लकवा होने के कारण, इसके इलाज के लिए आयुर्वेदिक घरेलु नुस्खे आदि ।

लकवा के लक्षण :-

इस बीमारी में रोगी का आधा मुंह टेढ़ा हो जाता है। गर्दन टेढ़ी हो जाती है, मुंह से आवाज नहीं निकल पाती है। आंख, नाक, भौंह व गाल टेढ़े पड़ जाते हैं, फड़कते हैं और इनमें वेदना होती है। मुंह से लार गिरा करती है।

स्नायु की शिथिलता :-

जब भी शरीर में लकवा लगने वाला होता है तो शरीर के स्नायु धीमे हो जाते हैं, वह ठीक तरह से काम करना बंद कर देते हैं. उदाहरण के लिए अगर किसी को जीभ में लकवा लगने वाला है तो उसे इस तरह से लक्षण दिखाई देने लगेंगे – कई बार जीभ उसके इशारे से इधर उधर नहीं मुड़ेगी, कई बार एहसास होगा की जीभ हिल नहीं रही है, जीभ का शुन्य पढ़ जाना आदि इस तरह से शरीर के सभी अंग लक्षण देने लगते हैं।

जिस भी व्यक्ति को लकवा लगने वाला होता है उसमे उत्साह की कमी देखी जा सकती है जैसे

-सीढ़ियां उतरने व चढ़ने में दिक्कत आना

-हाई ब्लड प्रेशर का बढ़ना

-पूरी नींद नहीं आना

-भूख कम लगना

-लकवा लगने वाले अंग की स्पर्श शक्ति का कमजोर होना

-लिखने व पढ़ने, बोलने में समस्या आने लगती है

जानिये लकवे के इलाज में सहायक औषधियां :-

वृहत चिंतामणि का रस :-

यह एक चमकतारी दवा हैं जो की शरीर के दाए तरफ के हिस्से में लगे पैरालिसिस के लिए रामबाण होती है। इसका उपयोग भी बहुत ही आसान हैं, इसमें छोटी-छोटी सी गोलियां होती हैं. पैरालिसिस के रोगी को इस दवा का सेवन दोनों समय सुबह व शाम शुद्ध शहद के साथ करना होता हैं।

वीर योगेंद्र रस :-

यह रस भी ऊपर दिए गए रस की तरह ही असरकारी हैं, दोनों में फर्क सिर्फ इतना हैं की वह रस शरीर के दाएँ तरफ के लकवे का इलाज करता हैं और यह वीर योगेंद्र रस शरीर के बाई तरफ के हिस्से का उपचार करता हैं। इस रस का प्रयोग भी दोनों समय सुबह व शाम शुद्ध शहद के साथ करना होता हैं। इसमें भी ठोस गोलियां ही होती हैं उनको बारीक़ करके ही प्रयोग में लाना हैं।

तुलसी :-

तुलसी प्रत्येक रोग में अपनी अहम् भूमिका निभाती हैं। लकवा में भी तुलसी का सेवन बहुत लाभप्रद रहता हैं इसके साथ ही तुलसी का लकवा में दो अन्य तरीको से भी उपयोग किया जाता हैं जो की इस तरह से है – एक बर्तन में थोड़े तुलसी के पत्ते डालकर उसे पानी से भर दें फिर तेज आग पर इसे देर तक उबाले व फिर इसकी भांप लें। इस तरह तुलसी के पत्तों की भांप लेने से लकवाग्रस्त रोगी को बहुत लाभ होता हैं।

और जिन व्यक्तियों को पैरालिसिस होने का डर रहता हैं उनको यह प्रयोग जरूर करना चाहिए । तुलसी के पत्ते तोड़कर उसकी एक माला बनाये और इस माला को अपनी कमर में बांध लें ऐसा करने से इस रोग के होने की संभावना काफी कम हो जाती है ।

Join Telegram Group Join Now
WhatsApp Group Join Now
Ads
Ads
Leave A Reply

Your email address will not be published.