छोटे शिशु की देखभाल में क्या क्या सावधानी होनी चाहिए
शिशु की आंखों की सामान्य देखभाल व सुरक्षा के लिए माताओं को नेत्र-विशेषज्ञ के निम्न सुझावों पर ध्यान देना चाहिएः
1. यह धारणा गलत है कि काजल, सुरमा डालने से शिशु की आंखे मोटी होंगी, सुरक्षा की दृष्टि से भी इनका कोई लाभ नहीं है। हां, सफाई नियमों का पालन न करने से इससे आंखों को संक्रमण से बचाव के लिए काजल सुरमा न डालने में ही भलाई है।
2. शिशु के नाखुन बढने पर काट दें, जिससे वह आंख में घाव कर उसे हानि न पहुंचाए।
3. उसे चुभने वाले नुकीले खिलौने देने से भी आंखों में चोट लगने का भय रहता है। इसलिए शिशु को हमेशा देखभाल कर गोलाइयों वाले बिना रंग के या पक्के रंग के खिलौने ही दें व उन्हें धोकर स्वच्छ करके दें। विशेष रूप से जब बच्चा दांत निकाल रहा हो या घुटनों के बल चल कर हर चीज नीचे से उठाकर आंखों से लगा लेता हो या मुंह में डाल लेता हो। दांत निकालते समय आंखे दुखने का संबंध गंदगी से लगने वाले संक्रमण से ही होता है अतः यह सावधानी बरतनी आवश्यक है।
4. घर में पालतू पशु-पक्षी हों, तो उनकी खुराक साफ करते समय उड़ने वाले कणों से भी शिशु की आंखो को हानि पहुंच सकती है। इसी तरह पक्षी के परों व जानवर के रोएं से भी। इनमे बचाव के लिए सावधानी बरतनी चाहिए।
5. घर में सफाई करते समय भी शिशु की आंखो की धूल-मिट्टी से यथासंभव बचाएं। इसी तरह अंगीठी के धुएं से, बाहर ले जाते समय आंधी से व रेलयात्रा के समय उड़ने वाले कोयला-कणों आदि से भी।
6. शिशु की आंख में काली की जगह सफेद पुतली दिखाई दें, तो लापरवाही न करें, तुरंत डॉक्टर को दिखाएं, यह मोतियाबिंद या कैंसर का लक्षण हो सकता है।
7. उसकी आंखे एक जगह स्थिर न रह कर हिलती रहती हों, तो यह दिमागी कमजोरी या नजर की कमजोरी का लक्षण हो सकता है। नवजात शिशु मे ऐसा होना संभव है, पर महीने-डेढ महीने बाद भी यह लक्षण रहे, तो डॉक्टरी जांच करानी चाहिए।
8. शिशु को अकसर दस्तों का रोग होने पर कमजोरी बढ़ने से उसकी आंखो को हानि पहुंच सकती है। इसलिए उसके पोषण पर विशेष ध्यान देना चाहिए। पोषक-तत्वों की कमी होने पर डॉक्टर की राय से विटामिन ‘सी’ ‘ए’ व प्रोटीन की उसके भोजन में अतिरिक्त देखभाल करनी चाहिए।
9. शिशु की आंखो को किसी भी चोट, दुर्घटना व संक्रमण से बचाने के लिए माताओं को ही उन पर निगरानी रखनी होगी। घर में खेलते छोटे बच्चे का स्वयं ध्यान रखें। बड़े शहर को बाहर खेलने जाते समय आवश्यक निर्देश दें और उसके बाहर से आने पर उसके हाथ व आंखें दोनों धुलाएं।