प्याज की खेती : मानसून में प्याज की खेती बना देगी किसानों को करोड़पति, बस करना होगा ये काम
प्याज की खेती: देश में प्याज की फसल व्यापक रूप से प्रचलित है। हमारे राज्य (महाराष्ट्र) में प्याज की खेती विशेष रूप से उल्लेखनीय है। खरीफ सीजन फसल चक्र के दौरान, कई किसान अपने खेतों में खरीफ प्याज की फसल लगा रहे हैं।
दरअसल, बारिश के मौसम में मौसम में बदलाव के लिए प्याज की फसल की निगरानी और उचित प्रबंधन की जरूरत होती है, क्योंकि तापमान में बदलाव से फसल में कीटों, बीमारियों और खरपतवारों की संख्या बढ़ जाती है। कीट नियंत्रण की बात करें तो खरीफ प्याज की फसल में थ्रिप्स कीट का प्रकोप होता है, इसकी रोकथाम के लिए निवारक उपाय या जैविक कीट नियंत्रण फायदेमंद है।
दोस्तों हमारे राज्य में प्याज की खेती ज्यादातर रबी के मौसम में की जाती है, हालांकि खरीफ प्याज की फसल भी बहुत ही उल्लेखनीय है। ऐसे में किसानों के लिए प्याज की फसल से गुणवत्तापूर्ण उपज प्राप्त करने के लिए कुछ पहलुओं का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। आज हम यह जानने जा रहे हैं कि खरीफ मौसम में लाल प्याज की फसल में थ्रिप्स को कैसे नियंत्रित किया जाए, जब थ्रिप्स सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं।
प्याज में थ्रिप्स कीट
खरीफ प्याज की फसल पर थ्रिप्स के प्रकोप को खत्म करना बहुत जरूरी है। प्रारंभ में, ये कीट फसल की पत्तियों पर बैठते हैं और उनका रस चूसते हैं, जिससे पत्तियों पर चमकदार चांदी की धारियाँ विकसित हो जाती हैं। इनका प्रकोप बढ़ने पर पत्तियों पर भूरे धब्बे भी नजर आने लगते हैं। दोस्तों हम आपको बताना चाहते हैं कि थ्रिप्स बहुत छोटे कीड़े और सफेद-पीले रंग के होते हैं।
थ्रिप्स कीट नियंत्रण के उपाय
खरीफ प्याज यानी लाल प्याज की फसल में थ्रिप्स कीट के नियंत्रण के लिए नीम आधारित कीटनाशकों का छिड़काव फायदेमंद होता है।
किसान चाहें तो इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एसएल 125 मिली कीटनाशक को 500-600 लीटर पानी में मिलाकर प्रति हेक्टेयर फसल में छिड़काव करना चाहिए।
यदि खरीफ प्याज की फसल में कीट का प्रकोप बढ़ जाता है, तो कन्फिडोर 0.5 मिली को 3 लीटर पानी में घोलकर टिपोल जैसे चिपचिपे पदार्थ का छिड़काव करना चाहिए।
लाल प्याज की फसल
अक्सर बारिश के बाद खरीफ प्याज की फसल में अवांछित पौधे उग आते हैं, जिन्हें खरपतवार कहते हैं। इनकी रोकथाम के लिए पहली निराई बुवाई के 20-25 दिन बाद करने की सलाह दी जाती है।
एक खरीफ प्याज की फसल में कम से कम 3 से 4 निराई या निराई की आवश्यकता होती है, ताकि खरपतवारों को उखाड़कर फेंका जा सके।
फसल में खरपतवारों की संख्या अधिक होने पर रासायनिक नियंत्रण भी किया जा सकता है।
इसके लिए 2.5 से 3.5 लीटर पेंडीमेथालिन या 600-1000 मिली ऑक्सीफ्लोरोफेन को 750 लीटर पानी में मिलाकर हर तीन दिन में हर हेक्टेयर फसल पर छिड़काव करना चाहिए।
दोस्तों हम आपको बताना चाहेंगे कि किसी भी प्रकार की दवा का छिड़काव करने से पहले कृषि क्षेत्र के जानकार या कृषि विशेषज्ञों के साथ-साथ कृषि सेवा केंद्र के संचालक की सलाह अनिवार्य होगी।