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अब तकनीक बताएगी आपके दिल का हाल, एक्स-रे बताएगा अगले 10 साल में हार्ट अटैक का खतरा

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पिछले कुछ महीनों में हार्ट अटैक से होने वाली मौतों में तेजी से इजाफा हो रहा है। सबसे चिंताजनक बात यह है कि अब युवा भी इसकी चपेट में आने लगे हैं। हमने ऐसे कई मामले सुने हैं जहां जिम में एक्सरसाइज या डांस करने के दौरान किसी व्यक्ति की हार्ट अटैक से मौत हो गई हो। इस तरह की घटनाओं से लोग दहशत में हैं। लोग उनके दिल का हाल जानना चाहते हैं। हालांकि वैज्ञानिकों ने ऐसी तकनीक खोज ली है,

जिससे लोगों के इस डर को कुछ हद तक कम किया जा सकता है। गौरतलब है कि एआई यानी आर्टिफिशियल टेक्नोलॉजी की मदद से अगले दस सालों तक दिल से जुड़ी बीमारियों का अंदाजा लगाया जा सकता है। यह तकनीक बताएगी कि अगले 10 वर्षों में किसी व्यक्ति को दिल का दौरा या स्ट्रोक होने की कितनी संभावना है। खास बात यह है कि यह सब एक्स-रे की मदद से किया जा सकता है।

तकनीक को सीएक्सआर-सीवीडी जोखिम कहा जाता है

रिपोर्ट के मुताबिक इस तकनीक को सीएक्सआर-सीवीडी रिस्क नाम दिया गया है। इस तकनीक का आविष्कार अमेरिका के नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने किया है। संस्थान ने इस तकनीक के जरिए 11430 लोगों पर अध्ययन किया है। इन सभी का एक्स-रे भी किया गया। एक्स-रे के बाद मरीज स्टैटिन थेरेपी के लिए योग्य था। यह थेरेपी रोगियों में हृदय रोग के जोखिम को कम करती है।

वैज्ञानिकों ने हृदय रोग के पैटर्न पर विशेष ध्यान दिया

अध्ययन के परिणाम उत्तरी अमेरिका के रेडियोलॉजिकल सोसायटी की वार्षिक बैठक में प्रस्तुत किए गए। बताया गया कि यह एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस है। यह एक्स-रे फिल्म के समुचित अध्ययन से हृदय रोग के पैटर्न के बारे में जाना जाता है।

अध्ययन के प्रमुख लेखक और मैसाचुसेट्स जनरल अस्पताल में कार्डियोवास्कुलर इमेजिंग रिसर्च सेंटर से जुड़े डॉ। जैकब वीस ने कहा कि एक मॉडल एक्स-रे फिल्म को देखकर किसी व्यक्ति की उम्र 10 साल तक आंकी जा सकती है। इससे पता चल जाएगा कि किसी व्यक्ति को अगले 10 साल में हार्ट अटैक या स्ट्रोक का खतरा है या नहीं। इस तकनीक के जरिए ऐसे लोगों की पहचान करना संभव होगा, जिनका दिल से जुड़ी बीमारियों का इलाज नहीं हुआ है और उन्हें स्कैटिन थेरेपी से फायदा होगा।

जांच के लिए अभी गाइडलाइन जारी है

इस तकनीक को लेकर कुछ गाइडलाइंस जारी की गई हैं, जिसके मुताबिक गंभीर हृदय रोगियों की दस साल तक की भविष्यवाणी की जा सकती है। इसके साथ ही यह भी अंदाजा लगाया जा सकता है कि किसी व्यक्ति को स्टैटिन थेरेपी की जरूरत है या नहीं। इस तकनीक में व्यक्ति की उम्र, लिंग, रक्तचाप, उच्च रक्तचाप, धूम्रपान, टाइप-टू मधुमेह और रक्त परीक्षण किए जाते हैं। स्टेटिन उपचार केवल उन लोगों को दिया जाता है जिन्हें अगले दस वर्षों के भीतर हृदय रोग का खतरा होता है

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