centered image />

हिमालय पर्वत के ऊपर से नहीं गुजरता कोई पैसेंजर प्लेन, ये हैं पीछे की वजह

0 91
Join Telegram Group Join Now
WhatsApp Group Join Now

हिमालय पर्वत श्रृंखलाएं जितनी सुंदर हैं उतनी ही पवित्र भी मानी जाती हैं। फिर भी लोग उन्हें हवाई जहाज के अंदर से नहीं देख सकते क्योंकि हिमालय के ऊपर से किसी भी हवाई जहाज को उड़ने की अनुमति नहीं है। हर किसी के मन में यह सवाल उठता है कि जब कोई विमान इतनी ऊंचाई पर उड़ता है तो वह हिमालय की चोटियों के ऊपर से क्यों नहीं गुजर सकता?

हिमालय पर्वत श्रृंखला हमारे देश की सुंदरता में बहुत कुछ जोड़ती है और हमारे लिए गर्व की बात भी है। हर कोई इन्हें देखना चाहता है, लेकिन इस पहाड़ की सबसे ऊंची चोटियों को खतरनाक ट्रेकिंग के जरिए ही देखा जा सकता है। यदि कोई उन्हें हवाई जहाज से देखना चाहे तो संभव नहीं है क्योंकि कोई भी यात्री विमान हिमालय के ऊपर से उड़ान नहीं भरता। आज हम आपको इसके पीछे के कुछ वैज्ञानिक और वाजिब कारण बताएंगे।

ऑक्सीजन का स्तर और ऊंचाई इसका कारण है

हिमालय पर्वत समुद्र तल से बहुत ऊँचे हैं। इसकी चोटियाँ 23 हजार फुट और अधिक हैं, जो समताप मंडल को छूती हैं। यहां हवा बहुत पतली होती है और ऑक्सीजन लेवल कम हो जाता है। यात्री विमान समुद्र तल से 30-35 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ान भरते हैं, इसलिए हिमालय की ऊंचाई पर उड़ान भरना उनके लिए खतरनाक हो सकता है। इमरजेंसी के वक्त प्लेन में 20-25 मिनट ऑक्सीजन होती है और इतने ही वक्त में प्लेन को 8-10 हजार फीट नीचे उतरना पड़ता है। हिमालय में इतने कम समय में विमान नीचे नहीं उतर सकते, जिससे उड़ान खतरनाक हो जाती है।

यहां तक ​​कि मौसम भी अविश्वसनीय है

हिमालय की ऊंचाई पर मौसम इतनी तेजी से बदलता है कि विमानों को संभलने का मौका ही नहीं मिलता। यह वायुदाब की दृष्टि से भी यात्रियों को हानि पहुँचाता है तथा पर्वतीय क्षेत्रों में नौसंचालन सुविधा भी पर्याप्त नहीं है। यदि कोई आपात स्थिति होती है, तो वायु नियंत्रण से संचार भी कट जाता है। इतना ही नहीं इस इलाके में कोई एयरपोर्ट नहीं है, जहां इमरजेंसी लैंडिंग हो सके। यही वजह है कि कोई भी कमर्शियल फ्लाइट हिमालय की ऊंची चोटियों के ऊपर से उड़ान नहीं भरती, भले ही उसे इसके बजाय लंबी दूरी तय करनी पड़े।

Join Telegram Group Join Now
WhatsApp Group Join Now
Ads
Ads
Leave A Reply

Your email address will not be published.