मनोहर पर्रिकर के जाने के बाद बदल सकता है लोकसभा चुनाव का मौसम
गोवा ही नहीं देश भर में अपनी सादगी के लिए जाने जाते थे मनोहर पर्रिकर. उन्होंने राजनीति में आम व्यक्ति की छवि को स्थापित करने में सफलता हासिल की. लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया शुरू होने से ठीक पहले उनके निधन का असर राष्ट्रीय राजनीति पर दिखना तय है.
राष्ट्र ने सच्चे देशभक्त मनोहर पर्रिकर के रूप में खोे दिया
मनोहर पर्रिकर पक्के भाजपाई थे। उन्होंने पूरा जीवन पार्टी को समर्पित कर दिया। गोवा में विधानसभा चुनाव होने के बाद जिस प्रकार से राज्य की राजनीति में उन्हें लौटना पड़ा था, यह उनकी ताकत व राज्य सत्ता में पकड़ को दर्शाता था। वे ऐसे व्यक्तित्व थे, जिन पर गोवा की जनता आंख मूंदकर भरोसा करती थी। पैंक्रियाज कैंसर से पीड़ित मनोहर पर्रिकर 63 साल की आयु में हमें छोड़कर चले गए। उनका जाना एक ऐसे नेता का जाना है, जिनसे हर समय प्रेरणा मिलती थी। एक मुख्यमंत्री या रक्षा मंत्री ऐसा भी हो सकता है कि बिना सुरक्षा घेरा के कहीं पहुंच जाए। मनोहर पर्रिकर ने ऐसा करके दिखाया था।
बीमारी के बाद भी पर्रिकर लगातार सक्रिय थे.
मनोहर पर्रिकर की सादगी की चर्चा हमेशा होती रहती है। गोवा में अपने स्कूटर पर वे आम लोगों की तरह घूमते थे। उनकी यही सादगी लोगों के दिलों को छूती थी। दिल्ली में पीएम नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद उन्हें बुलाया गया। वे यहां खुद को बंधा हुआ महसूस करते थे। लेकिन, रक्षा सौदे जैसे गंभीर मुद्दों पर पीएम मोदी ने उनपर भरोसा जताया। बड़ी जिम्मेदारी दी। सेना के आधुनिकीकरण का खाका तैयार करने को कहा। राफेल खरीद को लेकर उनका प्रस्ताव देश की रक्षा को लेकर किया गया बड़ा फैसला रहा। हालांकि, इसको लेकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सवाल खड़ा किया।
मनोहर पर्रिकर अपने जीवन के आखिरी दिनों तक एक्टिव रहे। बीमारी के बाद भी जब उन्होंने गोवा की एक जनसभा में हाउज द जोश पूछा तो हर किसी ने कहा, हाई सर। ऐसे थे मनोहर पर्रिकर। जिन्होंने अपनी बीमारी को भी अपने जोश से हराने की ठानी थी। उनके इस जोश की प्रशंसा पूरे देश में हुई थी। ग्रासरूट के नेता के तौर पर उन्होंने अपना एक अलग मुकाम बनाया था। भाजपा ने जब ‘मेरा परिवार भाजपा परिवार’ कैंपेन लांच किया तो पर्रिकर 12 फरवरी को अपने घर पर भाजपा का झंडा लहराते नजर आए थे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक के रूप में भी उन्होंने खुद का अलग स्थान बनाया।
मनोहर पर्रिकर ने 12 मार्च को अपना आखिरी ट्वीट किया था। उसमें उन्होंने गोवा के प्रथम मुख्यमंत्री दयानंद (भाउसाहेब) बंदोदकर को उनकी जन्मतिथि के मौके पर याद किया था। उन्होंने गोवा के प्रथम मुख्यमंत्री को राज्य के विकास के लिए किए गए कार्यों को याद किया। पर्रिकर अपने सरल स्वाभाव के लिए जाने जाते थे। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने अपने संदेश में कहा है कि मनोहर पर्रिकर जी का निधन बेहद दुखद है। राष्ट्र ने एक सच्चे देशभक्त को खो दिया है, जिसने निस्वार्थ रूप से अपना पूरा जीवन देश व विचारधारा को समर्पित कर दिया है। पर्रिकर जी की अपने लोगों और कर्तव्यों के प्रति प्रतिबद्धता अनुकरणीय थी।