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संतुलित आहार और व्यायाम के जरिए सर्दियों को सेहत का मौसम बनाएं

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सेहतमंद रहने के लिए मौसम से तालमेल बिठाना जरूरी है। सर्दियों में स्वस्थ रहना चुनौतीपूर्ण होता है। इन दिनों कम तापमान, उच्च आर्द्रता और कोहरे के कारण वातावरण में धूल के कण अधिक नहीं होते हैं। इस वजह से धूल के कण और प्रदूषक जमीन से कम ऊंचाई पर वातावरण में मौजूद होते हैं। सर्दियों में प्रदूषण का स्तर अधिक होता है। पीएम-10 और पीएम-2.5 जैसे हानिकारक कण भी सांस के जरिए शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। जिससे जो लोग किसी बीमारी से ग्रसित हैं उनकी परेशानी बढ़ जाती है। इसके अलावा सर्दियों में मौसमी बीमारियों की चपेट में आने की संभावना भी अधिक होती है। जहरीली हवा का असर स्वस्थ लोगों के स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। इसलिए सतर्क रहें और ठंड से बचने के सभी उपायों का पालन करें, ताकि आपकी सेहत पर कोई असर न पड़े।

ठंड से अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और सीओपीडी बढ़ जाते हैं। इसके साथ ही हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा भी बढ़ जाता है। गले में खराश, सर्दी-खांसी जैसी मौसमी बीमारियां भी संक्रमण फैलाती हैं। ठंड के संपर्क में आने से अनियंत्रित रक्तचाप और मधुमेह हो सकता है। इसलिए सांस या अन्य किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित लोगों को अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत है। इसलिए आप जब भी घर से बाहर निकले तो मास्क का प्रयोग अवश्य करें।

शुष्क त्वचा

सर्दियों के मौसम में त्वचा रूखी हो जाती है और रूखापन आ जाता है। इसलिए नहाने के बाद शरीर पर कोई तेल या क्रीम लगाएं, ताकि त्वचा को पर्याप्त पोषण मिल सके।

जोड़ो की समस्या बढ़ जाती है

सर्दियों में लोग अधिक चिकनाई युक्त और मसालेदार भोजन का सेवन करते हैं। शारीरिक गतिविधियाँ कम हो जाती हैं और अधिकांश लोग व्यायाम करने से बचते हैं। जिससे वजन बढ़ता है। यह शरीर के जोड़ों को प्रभावित करता है। सर्दियों में कई दिनों तक धूप कम या बिल्कुल नहीं आती है। इससे शरीर में विटामिन-डी की कमी हो जाती है, जिससे जोड़ों में दर्द, अकड़न और गठिया की समस्या बढ़ जाती है।

सर्दियों में सुबह तीन से चार बजे के बीच का समय अधिक संवेदनशील होता है। ठंड के कारण धमनियां सिकुड़ जाती हैं। इससे रक्त संचार और ऑक्सीजन की आपूर्ति प्रभावित होती है। यह स्थिति उच्च रक्तचाप का कारण बनती है। ऐसे में हृदय रोग के रोगियों को अधिक सतर्क रहना चाहिए। दिल के दौरे और स्ट्रोक को रोकने के लिए नियमित रूप से रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल और मधुमेह की जाँच करें। अगर आप किसी बीमारी से पीड़ित हैं तो समय पर दवाई लेना न भूलें और अपनी जांच करवाएं। अत्यधिक थकान, सांस लेने में तकलीफ और सीने में भारीपन जैसे तनाव से बचें।

सर्दी का मौसम वायरस और बैक्टीरिया के लिए अनुकूल होता है। ये वातावरण में मौजूद धूल के कणों से चिपक जाते हैं, जिससे ये फैलते हैं। ऐसे में बच्चों, बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओं को संक्रमण का खतरा ज्यादा होता है।

इन्फ्लूएंजा के खिलाफ टीका लगवाएं। छोटे बच्चे, बुजुर्ग और गर्भवती महिलाएं भी यह टीका लगवा सकती हैं। जिन बुजुर्गों को निमोनिया का टीका नहीं लगा है, उन्हें निमोनिया का टीका लगवाना न भूलें। इससे संक्रमण की संभावना काफी हद तक कम हो जाएगी।

हरी सब्जियों और मौसमी फलों का अधिक सेवन करें। ज्यादा मसाले और ऑयली खाना ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल और शुगर लेवल को अनियंत्रित रखता है. पर्याप्त पानी पियें। वैसे तो बेहतर होगा कि आप गुनगुना पानी पिएं।

शारीरिक गतिविधि प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करती है। सर्दियों में बाहर जाना सेहत के लिए अच्छा नहीं होता है। इसलिए अपनी क्षमता के अनुसार घर पर ही व्यायाम करें। इससे हर अंग की सक्रियता बढ़ेगी और वजन नियंत्रित रहेगा।

ठंड होने पर अनावश्यक रूप से घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए। ठंड से बचने के लिए गर्म कपड़े पहनें। इसके अलावा ऐसे रूम हीटर का भी इस्तेमाल किया जा सकता है, जिसके इस्तेमाल से कमरे में ऑक्सीजन कम न हो

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