इस साल 14 के बदले 15 जनवरी को मनेगा मकर संक्रांति, जानिए पूरा इतिहास और क्या करना चाहिए इस दिन
नए साल के आगमन के बाद पूरे भारत में लोग जो सबसे पहला पर्व धूमधाम से मनाते हैं वो है मकर संक्रांति। ग्रामीण और शहरी दोनों ही इलाकों में ये त्योहार बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। देशभर में मकर संक्रांति का पर्व अलग-अलग तरह से मनाया जाता है।
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मकर संक्रांति का जहां वैज्ञानिक महत्व है वहीं इस पर्व को मनाने के पीछे धार्मिक मान्यताएं भी हैं। पौराणिक कथाएं भी इस पर्व के मनाने के पीछे एक कारण है। मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति के दिन गंगा नदी का धरती पर अवतरण हुआ था।
पंजाब में मकर संक्रान्ति की पूर्वसंध्या पर “लोहड़ी” का त्यौहार मनाया जाता है। हिन्दी भाषी क्षेत्रों में खिचड़ी के रूप में मनाते हैं। इस दिन पूर्वोत्तर में “बिहू” का त्यौहार मनाते हैं, तथा दक्षिण भारत में “पोंगल” के रूप में मनाते हैं।
ये भी हैं मान्यताएं-
सूर्य के धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करने को ‘मकर संक्रांति’ कहा जाता है।
मकर संक्रांति के दिन ही गंगाजी भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर में जा मिली थीं।
मान्यता यह भी है कि इस दिन यशोदा जी ने श्रीकृष्ण को प्राप्त करने के लिए व्रत किया था।
मंत्र –
‘यथा भेदं न पश्यामि शिवविष्णवर्कपद्मजान्।
तथा ममास्तु विश्वात्मा शंकरः शंकरः सदा।।‘
इसका अर्थ है- मैं शिव एवं विष्णु तथा सूर्य एवं ब्रह्मा में अन्तर नहीं करता। वह शंकर, जो विश्वात्मा है, सदा कल्याण करने वाला हो।
क्या करना चाहिए –
इस दिन ‘गंगा’ नदी में स्नान करने का बहुत बड़ा महत्व माना जाता है।
सुबह जल्दी उठकर घर का काम जल्दी कर लेना चाहिए।
गंगा मइया की आरती करनी चाहिए।
रात और सुबह घर के भीतर व बाहर आग जलानी चाहिए।
पड़ोस में मूँगफली का वितरण जरूर करें।