भगवान विष्णु हो रहे हैं इन 2 राशि वालों की कुंडली पर मेहरबान, जिनकी वजह से होगा बड़ा धन लाभ
1.लग्न भाव का स्वामी द्वितीय भाव में हो और द्वितीय भाव का स्वामी ग्याहरवें भाव में हो तो अचानक धन लाभ हो सकता है।
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कुंडली में चंद्रमा से तीसरे, छठे, दसवें या ग्यारहवें भाव में शुभ ग्रह होंगे तो ये शुभ योग होता है।
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कुंडली के पंचम भाव में चंद्र एवं मंगल दोनों हों और पंचम भाव पर शुक्र की दृष्टि हो तो ये धनदायक योग है।
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चंद्र और मंगल एक साथ हों, धन भाव (दूसरा भाव) और लाभ भाव (ग्याहरवां भाव) के कारक ग्रह एक साथ चतुर्थ भाव में हों तथा चतुर्थ भाव का स्वामी शुभ हो तो धन लाभ होता है।
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कुंडली के द्वितीय भाव में मंगल तथा गुरु की युति हो तो शुभ योग है।
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धन भाव (दूसरा भाव) का स्वामी अष्टम भाव में तथा अष्टम भाव का स्वामी धन भाव में हो तो धन लाभ होता है।
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कुंडली के पंचम भाव में बुध हो तथा लाभ भाव (दूसरा भाव) में चंद्र-मंगल की युति हो।
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गुरु नवम भाव का स्वामी होकर अष्टम भाव में हो तो शुभ रहता है।
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वृश्चिक लग्न कुंडली में नवम भाव में चंद्र और बृहस्पति की युति हो तो धन लाभ होता है।
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मीन लग्न कुंडली में पंचम भाव में गुरु-चंद्र की युति होती है तो अचानक धन लाभ हो सकता है।
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कुंभ लग्न कुंडली में गुरु और राहु की युति लाभ भाव (दूसरा भाव) में होती है तो शुभ रहता है।
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चंद्र, मंगल, शुक्र ये तीनों ग्रह दूसरे भाव में होंगे तो लाभ हो सकता है।
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कन्या लग्न कुंडली के दूसरे भाव में शुक्र व केतु होते हैं तो लाभ के योग बनते हैं।
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तुला लग्न कुंडली के लग्न भाव में सूर्य-चंद्र तथा नवम भाव में राहु हो तो श्रेष्ठ रहता है।
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मीन लग्न कुंडली में ग्यारहवें भाव में मंगल हो तो लाभ होता है।