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इस पहाड़ पर आज भी जीवित हैं भगवान श्री हनुमान जी

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शास्त्रों के अनुसार 8 व्यक्तियों को अमर होने का वरदान प्राप्त है, जिसमें हनुमान जी का नाम भी शामिल है। हनुमान जी को यह वरदान भगवान श्री राम और सीता माता ने दिया था।

पौराणिक मान्यता के अनुसार यह पर्वत कैलाश पर्वत के उत्तर दिशा में स्थित है, जहां भगवान हनुमान जी आज भी विराजमान है। इस दुर्गम पर्वत पर किसी भी प्रकार से पहुंचना असंभव है।

इस स्थल का वर्णन बहुत से ग्रंथों में भी किया गया है। इस नाम का एक पर्वत रामेश्वरम में भी है, जहां से हनुमान जी ने लंका जाने के लिए छलांग लगाई थी। पुराणों के अनुसार गंधमादन पर्वत पर हनुमान जी रहते हैं। अपने वनवास के दरमियान भीम सहस्त्रदल कमल लेने के लिए वहां पहुंचे तो उन्होंने हनुमान जी को सोते हुए देखा था।

शास्त्रों के अनुसार गंधमादन पर्वत कैलाश पर्वत की उत्तर दिशा में आया हुआ है, जहां पर कश्यप ऋषि ने तप किया था। इस पर्वत पर गंधर्व किन्नर अप्सराओं और सिद्ध साधुओं का निवास स्थल है।

इस पर्वत पर किसी भी प्रकार के वाहन से पहुंचना असंभव है। गंधमादन पर्वत पर हनुमान जी के साथ-साथ भगवान श्रीराम का भी मंदिर है। इस पर्वत पर भगवान श्रीराम ने अपनी वानर सेना के साथ युद्ध की योजना बनाई थी। इस पर्वत पर भगवान राम के चरणों के निशान भी हैं।

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