centered image />

जानिए !! आखिर क्या है ? भगवान शिव के शेर / बाघ की खाल वाला वस्त्र धारण करने का राज़ ?

0 877
Join Telegram Group Join Now
WhatsApp Group Join Now

हिंदू धर्म विज्ञान आधारित सत्य सनातन धर्म है. यह सभी धर्मों में सबसे पुराना है. हिंदू धर्म में अनेकों देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना की जाती है और हर देवी-देवता की अपनी एक अलग मान्यता होती है. पर आज भी ऐसे कई लोग मिल ही जायेंगे जिन्हें अब भी अपने खुद के इस महान धर्म के बारे में ज़्यादा कुछ पता ही नहीं होता. आज हम बात करने जा रहे हैं भगवान शिव की. भगवान शिव को संहार का देवता भी कहा जाता है. इसी तरीके से भगवान शिव के कुल 12 नाम प्रख्यात हैं. पूरे भारत में शिव भगवान के भक्तों की संख्या सबसे अधिक है. शिव भगवान अपने अनोखे रूप की वजह से सबसे अलग भी दिखते हैं. महिला से लेकर पुरुष सभी उनकी भक्ति में लीन रहते हैं.  अगर देखा जाए तो भगवान शिव का रूप सबसे हटके है.

भगवान की सौम्य आकृति और रुद्र रूप दोनों ही विख्यात हैं. पौराणिक कथाओं में हमें भगवान के जिस रूप का वर्णन मिलता है, वह है- एक हाथ में डमरू, दूसरे में त्रिशूल, गले में लिपटा हुआ सांप, शारीर पर भस्म और बदन पर शेर के खाल वाले कपडे. पर आप क्या जानते हैं की भगवान की इस वेश-भूषा के पीछे एक रहस्य छुपा है. क्या आपने कभी जानने की कोशिश की है कि आखिर क्यों भगवान शिव शेर की खाल को पहना करते हैं ? इसके पीछे जुड़ी है एक कहानी, जिसे बहुत कम लोग ही जानते हैं. तो आईये हम आपको बताते हैं..

शिव पुराण के अनुसार, भगवान शिव एक बार ब्रह्माण्ड का भ्रमण करते हुए किसी जंगल में पहुंच गए. उस जंगल में ऋषि-मुनि अपने परिवार के साथ रहा करते थे. भगवान शिव इस जंगल से निर्वस्त्र गुज़र रहे थे. उन्हें इस बात का बिल्कुल भी अंदाज़ा नहीं था कि उन्होंने वस्त्र धारण नहीं किये हैं. ऋषि-मुनि की पत्नियां शिवजी के सुडौल और सुन्दर शारीर को देख कर आकर्षित होने लगीं. अपने सारे काम-धाम को छोड़ वह शिवजी को निहारने लगीं. जब ऋषियों ने देखा की उनकी पत्नियां अपने मार्ग से भटक रही हैं तो वे बहुत गुस्से में आ गए. तब तक उन्हें पता नहीं था की ये साधारण सा दिखने वाला मनुष्य भगवान हैं.

क्यों क्रोधित हुए सभी ऋषि-मुनि:

उसके बाद सभी ऋषि-मुनियों ने मिलकर भगवान को सबक सिखाने की सोची. उन सब ने मिलकर शिवजी के मार्ग में एक बड़ा गड्ढा बना दिया. वहां से गुज़रते ही शिवजी गड्ढे में गिर गए. जैसे ही ऋषि-मुनियों को लगा की उन्होंने शिवजी को अपने जाल में फंसा लिया है, तो गड्ढे में उन्होंने एक शेर को छोड़ दिया, ताकि शेर उन्हें खा जाए. पर उसके बाद कुछ ऐसा हुआ जिसे देख कर सभी ऋषि-मुनि अचंभित रह गए. उन सब ने देखा की शिवजी ने उस शेर को मार उसकी खाल धारण कर ली है. तब जाकर उन्हें एहसास हुआ की जिसे वो साधारण मनुष्य समझ रहे थे, असल में वो भगवान हैं.

सभी भगवान शिव की शरण में आ गए और उनसे क्षमायाचना करने लगे। इस पौराणिक कथा के आधार पर ही माना जाता है कि शिवजी बाघ की खाल पहनते हैं और उस पर विराजमान रहते हैं। भगवान शिव बहुत सरल और साधारण जीवन जीते हैं। मान्यता हैं कि भोलेनाथ बहुत भोले हैं और सच्‍चे मन से की गई प्रार्थना से भी, वो अपने भक्‍तों के सब दुख दूर कर देते हैं। अगर आप भी शिव को प्रसन्‍न करना चाहते हैं तो ये बात समझ लें कि भोले भंडारी को किसी कीमती वस्‍तु या धन आदि का मोह नहीं है। किसी भी प्रकार के दिखावे से नहीं, वो बस सच्‍ची भक्‍ति से ही प्रसन्‍न होतें हैं।

ॐ नमः शिवाय हर हर महादेव

Join Telegram Group Join Now
WhatsApp Group Join Now
Ads
Ads
Leave A Reply

Your email address will not be published.