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जंगल कहानी : आदमी का शिकार

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जंगल की कहानी : जंगल के सभी पशु-पक्षियों के दिन आराम से बीत रहे थे। राजा शेर के प्रशासन में किसी को कोई कष्ट न था। अचानक एक दिन एक आदमी जंगल मे आ गया। यह पता लगते ही सारे पशु-पक्षी सकते में आ गए क्योंकि उन्होंने सुन रखा था कि आदमी बहुत खतरनाक जाति होती है। आदमी के आने की खबर आग की तरह तुरन्त पूरे जंगल में फैल गई।

जानवरों ने अकेले घर से बाहर निकलना छोड़ दिया। क्या पता अकेला पाकर आदमी कब आक्रमण कर दे। सावधानी के तौर पर चूहों ने अपने अनाज के बोरों पर आदमी नाशक दवा छिड़क दी। उन्हें डर था कि कहीं आदमी अनाज के बोरे न कुतर दे। बिल्लियाँ अपना दूध-दही छिपा कर रखने लगीं। भेड़िया मादाएँ अपने बच्चों को डराने लगीं। खबरदार! शैतानी की तो आदमी उठा ले जाएगा।

साँप सम्प्रदाय में यह अफवाह फैल गई कि आदमी का काटा पानी नहीं मांगता। यानि पूरे जंगल में भय और आंतक का वातावरण व्याप्त हो गया।

जंगल में आदमी के आने की खबर शेर के कानों तक भी पहुँच चुकी थी। वह भी इस मुसीबत से छुटकारा पाने के लिए मंत्रिमण्डल की बैठक बुला रहे थे। आखिर यह तय किया गया कि समस्या से निपटने के लिए आदमी का शिकार किया जाए। उसे जिन्दा या मुर्दा किसी भी अवस्था में तुरन्त पकड़ा जाए तभी जंगलवासी चैन की नींद सो सकेंगे।

अब प्रश्न यह उठा कि आदमी का शिकार कैसे किया जाए? जानवरों को बंदूक, पिस्तौल या कोई और हथियार चलाना तो आता न था इसलिए सब गम्भीरता से शिकार की कोई और विधि सोचने में जुट गए।

मच्छरों व खटमलों का सुझाव था कि सारे जंगल में डी.टी.टी का छिड़काव करा दिया जाए ताकि आदमी खुद ही डरकर भाग जाए। जबकि कुत्ते उसे मारने या भगाने के पक्ष में नहीं थे, वे चाहते थे आदमी को पकड़ कर तथा उसके गले में जंजीर डालकर रात में जंगल की चौकसी कराई जाए। मुर्गे बकरे, भैंसे, आदि आदमी को हलाल करना चाहते थे क्योंकि उन्होंने सुन रखा था कि आदमी की बिरयानी बहुत स्वादिष्ट होती है।

इसी तरह प्रत्येक पशु-पक्षी ने आदमी का आंतक समाप्त करने की विधियाँ बताई, मगर शेर को कोई पसंद नहीं आई। शेर चाहता था कोई ऐसी विधि हो जिसमें कोई नुकसान न हो यानि आदमी भी मर जाए और लाठी भी न टूटे। यह सोचकर शेर और अधिक उपयुक्त विधि के बारें में विचार करने लगा।

इस बीच जंगल में आदमी का आंतक और बढ़ गया था। पिछले दिनों में वह एक किसान हाथी की फसल रौंद चुका था। बंदरों के बच्चे व सामान लेकर भाग चुका था, कई कुत्ते उसके काटने से पागल हो गए थे। अब सारा जंगल आदमी के आतंक से त्राहि-त्राहि करने लगा था।

दिन प्रतिदिन बढ़ते आंतक के कारण शेर की आँखों की नींद छीन ली थी। हालांकि शेर प्रशासन ने अपनी तरफ से पूरे प्रबन्ध कर रखे थे। पूरे जंगल में आदमी की फोटो के पोस्टर चिपका दिए गए थे जिन पर लिखा था। सावधान आदमी की उपस्थिति स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। जंगलवाणी से रेडियो पर भी विशेष कार्यक्रम प्रसारित किए जाने लगे कि आदमी के हमले का बचाव कैसे करें?

तभी एक दिन एक नन्हें से चूहे ने शेर की मांद में प्रवेश किया। शेर उस समय भी आदमी की ही फिक्र में डूबा हुआ था। चूहे को अचानक आया देख शेर ने उससे आने का कारण पूछा।

चूहा बोला। महाराज काफी सोच विचार के बाद मैंने एक तरकीब सोची है जिसके सहारे आदमी को जीवित ही पकड़ा जा सकता है।

यह सुनते ही शेर हर्ष से उछल पड़ा और बोला। तुम्हारे मुहँ में एक टन अनाज जल्दी बताओ वह विधि क्या है?

महाराज यदि आप मुझे एक बड़ा पिंजरा दिला दें तो मैं आदमी को पकड़ सकता हूँ चूहे ने कहा।

चूहे की साधारण सी बात सुनकर शेर का सारा उत्साह ठंडा हो गया और उसने चूहे से कहा। ऐ पिलपिले चूहे! आदमी इतना बेवकूफ नहीं है कि पिंजरे में फँस जाएगा?

महाराज आप मुझे केवल पिंजरा दिला दें, बाकी मैं संभाल लूंगा, आप चिन्ता न करें, चूहे ने पुनः उसी विनम्रता से कहा।

चूहे को इतने आत्मविश्वास से बाते करता देखकर शेर ने कुछ सोचकर उसे एक पिंजरा दिला दिया।

अगली सुबह शेर सोकर भी न उठ पाया था कि मांद के बाहर जानवरों का शोर सुनाई पड़ा तो उसकी आँखे खुल गई। वह क्रोध में आँखे मलता हुआ मांद के बाहर आया तो यह देखकर आश्चर्य में पड़ गया कि वह पिददी सा चूहा वास्तव में आदमी को पिंजरे में कैद कर लाया था। इसी खुशी में जंगल के पशु-पक्षी नाच गा रहे थे।

यह देखकर शेर ने उसी चूहे को बुलाया और पूछा कि इतना जटिल कार्य कैसे हो गया?

चूहे ने बताया। महाराज सीधी सी बात है मैंने आदमी की कमजोरी को पकड़ लिया था। कल रात मैंने इस पिंजरे में रोटी की जगह एक पर्ची लिखकर लटका दी कि नौकरी के लिए जगह खाली है बस उसे देखते ही आदमी सीधे शिकंजे में आ फँसा।

चूहे की बुद्धिमानी पर शेर बहुत खुश हुआ और उसने उसे अपना महामंत्री बना लिया।

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