सिर्फ तुझे ही सोचते रहना मेरी आदत बन गयी, वो सलामत रहे यही फरियाद करते है
काश वो समझते इस दिल की तड़प को,
तो हमें यूँ रुसवा न किया जाता,
यह बेरुखी भी उनकी मंज़ूर थी हमें,
बस एक बार हमें समझ तो लिया होता।
मेरी बस एक तमन्ना थी जो हसरत बन गयी,
कभी तुमसे दोस्ती थी अब मोहब्बत बन गयी,
कुछ इस तरह शामिल हुए तुम ज़िन्दगी में की,
सिर्फ तुझे ही सोचते रहना मेरी आदत बन गयी
टपकती है निगाहों से… झलकती है अदाओं से,
मोहब्बत कौन कहता है की पहचानी नहीं जाती ?
तन्हाइयों में उनको ही याद करते हैं..
वो सलामत रहे यही फरियाद करते है..
हम उनकी ही मोहबत का इंतज़ार करते है..
उनको क्या पता हम उनसे कितना प्यार करते हैं।
एक दिन तो सो ही जाना है
हमेशा के लिये
रोना तो इन रातों का है
जिनमे तेरी यादें हमे सोने नही
देती
अजनबी बन के कोई आया था,
ऐसा लगा जैसे वो मेरा साया था,
लोग करते हैं रौशनी घर में
उसने तो ”दिल” में दिया जलाया था
आँखों में रहा दिल में उतर कर ना देखा;
कश्ती के मुसाफिर ने समंदर ना देखा;
पत्थर मुझे कहता है मुझे चाहने वाला;
मैं मोम हूँ उसने मुझे छु कर ना देखा।
बेवफाई उसकी मिटा के आया हूँ;
ख़त उसके पानी में बहा के आया हूँ;
कोई पढ़ न ले उस बेवफा की यादों को;
इसलिए पानी में भी आग लगा कर आया हूँ