लीवर को स्वस्थ रखना ज़रूरी है, तो जान लीजिये जानिए इससे जुडी महत्वपूर्ण जानकारी
मानव शरीर को गतिमान और स्वस्थ बनाए रखने के लिए जरूरी है कि हमारी नसों में शुद्ध और स्वच्छ रक्त दौड़े, उसमें किसी भी प्रकार का विकार हमें बीमार कर सकता है। हमारा यकृत (लीवर) रक्त की रीसाइक्लिंग करते हुए उसे स्वच्छता प्रदान करता है।
पाचन क्रिया और रक्त की रीसाइक्लिंग, यकृत द्वारा किए जाने वाले दो प्रमुख कार्य हैं। रीसाइक्लिंग का यह कार्य बहुत कुछ सीवरेज वाटर ट्रीटमेंट प्लांट की तरह का होता है। शरीर के अंदर पैदा होने वाले या भोजन से प्राप्त होने वाले किसी प्रकार के विषैले तत्वों को रक्त से दूर करने की जिम्मेदारी लीवर की ही होती है।
जो भी भोजन हम खाते हैं शरीर में पहुंचने के बाद उसमें जो बाइल जूस निकलता है वह सीधे शरीर को प्राप्त होने की बजाए गॉल ब्लेडर में इक्ट्ठा होता है। गॉल ब्लेडर सिर्फ एक स्टोर का काम करता हैं बाइल जूस उसमें तब तक जमा होता रहता जब तक ये भर न जाएं। गॉल ब्लेडर के भरते ही बाइल जूस लीवर में जाने लगता है। लीवर बाइल में से विषैले तत्वों को अलग कर उसे मल नलिकाओं में डाल देता है।
यकृत हमारे शरीर में पैदा होने वाले विषैले तत्वों को भी रिसाइक्लिंग के द्वारा रक्त से दूर कर देता है। हमारे रक्त का निर्माण विभिन्न कोशिकाओं द्वारा हुआ है। इनकी आयु 120 दिनों की होती है। इस अवधि के पश्चात ये अपने आप नष्ट हो जाती हैं। रक्त में उपस्थित ये कोशिकाएं जैसे ही नष्ट होती हैं इनमें टाक्सिन्स उत्पन्न होने शुरू हो जाते हैं।
एक्यूट और क्रॉनिक हैपेटाइटिस भी लीवर की अन्य बीमारियां हैं जो विभिन्न कारणों से हो सकती हैं। एक्यूट हैपेटाइटिस में शरीर में विषाणु उत्पन्न हो जाते हैं जिन्हें डॉक्टरी भाषा में आगे ए,बी,सी,डी और ई वर्गों में बांट दिया गया है।
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