कहीं आपके हाथों में भी तो नहीं है पर्वतों का जाल, हो जाएं सावधान
हथेली की पर्वतों पर जाल का विशेष महत्व है. हथेली पर रेखाओं के अतिरिक्त जाल का भी अपना विशेष महत्व है. हथेली की कुछ पर्वतों पर स्थित जाल व्यक्ति के जीवन की बहुत सारी गंभीर बातों को दर्शाता है. हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार हथेली की कुछ पर्वतों पर जाल का होना व्यक्ति के दुर्भाग्य को दर्शाता है.
हथेली की तर्जनी अंगुली के नीचे का क्षेत्र गुरु पर्वत होता है. हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार इस पर्वत पर जाल व्यक्ति को क्रोधी, घमंडी, लालची, स्वार्थी और क्रूर बनाते हैं. ऐसे लोग दूसरों की भावनाओं को नहीं समझते हैं. यदि आपने भावनाओं की कोई बात करता है तो तुरंत गुस्से में आ जाते हैं.
हथेली में शनि पर्वत मध्यमा अंगुली के नीचे का का भाग होता है. इस पर्वत पर जाल होने से व्यक्ति महाकंजूस माना जाता है. साथ ही इस पर्वत पर जाल वाला व्यक्ति बेहद आलसी भी होता है. ऐसे लोग किसी भी कार्य को मन से नहीं करते हैं। कामों से जी चुराते हैं और अपनी चीजें दूसरों को ना देना पड़े इसके लिए कुछ भी करते हैं. अपनी इस आदत के कारण ये दूसरों के मजाक का पात्र भी बनते हैं.
हथेली में बुध पर्वत कनिष्ठा अंगुली यानी सबसे छोटी अंगुली के नीचे का भाग होता है. इस पर्वत पर जाल होने से व्यक्ति पूरा जीवन पछतावे भरी जिंदगी जीता है. ऐसा व्यक्ति अपनी गलती या किसी कारणवश कोई निर्णय ले लेता है जिसके कारण उसे हमेशा पछतावा ही होता है.
हथेली में मंगल पर्वत अंगूठे के अंतिम पोर (हथेली और अंगूठे के जोड़ का स्थान) से ऊपर (जीवनरेखा जहां से निकलती है) की ओर बढ़ते हुए बीच का भाग होता है. यहां जाल का बनना व्यक्ति को मानसिक अशांति देता है. जीवन के हर क्षेत्र में उसका जीवन कलहपूर्ण होता है और इस कारण वह हमेशा अशांत रहता है.