क्या भारत में भी मंकीपॉक्स के फैलने का बढ़ रहा खतरा?
मंकीपॉक्स वायरस की शुरुआत 2022 में हुई थी और इसके बाद से इसका प्रकोप जारी है. लगभग 116 मुल्कों में इस वायरस की एंट्री हो चुकी है. ऐसे में आम लोगों में घबराहट स्वाभाविक है. इस बीच एमपॉक्स से बचाव को लेकर अच्छी खबर आई है. मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, जिन लोगों को छोटी चेचक या चिकनपॉक्स हो चुका है या इससे संबंधित टीका (वैक्सीन) लग चुका है, उनमें इस बीमारी के होने का खतरा नहीं के बराबर है.
बता दें कि अफ्रीका के कुछ देशों और स्वीडन के बाद अब यह वायरस पाकिस्तान में पहुंच चुका है. पाकिस्तान में इस वायरस का एक मामला सामने आया है. अभी तक यह वायरस लगभग 116 देशों को प्रभावित कर चुका है. अफ्रीका में इस साल इस वायरस के लगभग 14 हजार मामले दर्ज किए गए और इसकी वजह से लगभग 524 मौतें हुई हैं.
क्या है Mpox वायरस?
एमपॉक्स एक वायरल बीमारी है जो मंकीपॉक्स वायरस के कारण होती है, जो ऑर्थोपॉक्सवायरस जीनस की एक प्रजाति है. एमपॉक्स को पहले मंकीपॉक्स के नाम से जाना जाता था. इस वायरस की पहचान पहली बार 1958 में की गई थी. उस समय बंदरों में इस बीमारी का प्रकोप काफी ज्यादा बढ़ गया था. Mpox वायरस का संबंध चेचक, काउपॉक्स, वैक्सीनिया जैसी बीमारियों से है. यह वायरस उसी ऑर्थोपॉक्स वायरस के परिवार से है जिसमें बाकी सभी पॉक्स वायरस हैं. एमपॉक्स वायरस बंदरों में फैलने वाला एक संक्रमण है, इसीलिए इसे मंकीपॉक्स वायरस कहा जा रहा है. संक्रमित जानवर के संपर्क में आने से यह वायरस इंसानों में भी फैलता है.
ये लोग रहें बेफ्रिक
हाल ही में सामने आई मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, जिन लोगों को छोटी चेचक या चिकनपॉक्स हो चुका है या इससे संबंधित टीका (वैक्सीन) लग चुका है, उनमें इस बीमारी के होने का खतरा ना के बराबर है.
मंकीपॉक्स वायरस के लक्षण
मंकीपॉक्स वायरस के लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, थकान और त्वचा पर दाने या फुंसियां शामिल हो सकते हैं. यह वायरस आमतौर पर एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में संपर्क के माध्यम से फैलता है, जैसे कि संक्रमित व्यक्ति के साथ शारीरिक संपर्क, या संक्रमित व्यक्ति द्वारा इस्तेमाल की गई चीजों के संपर्क में आने से. इस वायरस के लक्षण 2 से 4 हफ्तों तक रहते हैं. बच्चों, प्रेग्नेंट महिलाओं और कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोगों में इस संक्रमण का खतरा ज्यादा होता है.