रोचक बात : जाने पंजाबी समुदाय में ‘सिंह’ और ‘कौर’ लगाने का राज
भारत एक जाति प्रधान देश है और यहां विभिन्न धर्म में अनगिनत प्रकार के सरनेम सुनने को मिलते हैं। आपने अक्सर सुना होगा कि पंजाबी मर्दों के नाम में सिंह और महिलाओं के नाम में कौर जरूर लगाया जाता है, लेकिन आपने कभी सोचा है कि आखिर ऐसा क्यों होता है।
पंजाबी मर्दों के नाम में सिंह और महिलाओं के नाम में कौर लागाना जरूरी मना जाता है। इससे सिख धर्म की पहचान भी होती है। दरअसल, सन् 1699 में सिख धर्म के दसवें नानक गुरु गोविंद सिंह जी ने बैसाखी का पर्व मनाया और इस दिन उन्होंने एक बहुत बड़ा ऐलान किया जिसे जानकर आपको यकीन नहीं होगा।
इस दिन गुरु गोविंद सिंह जी ने सिखों को एक नई पहचान दी। उन्होंने जातिवाद और ऊंच नीच को खत्म करने का फैसला लिया। इस दिन गुरु जी ने दो नए शब्दों का ऐलान किया जोकि पंजाबी मर्दों और महिलाओं की पहचान बन गई। उन्होंने पंजाबी मर्दों के नाम में सिंह और महिलाओं के नाम में कौर लगाने का ऐलान किया। इसके बाद से पंजाबी मर्दों के नाम में सिंह और महिलाओं के नाम में कौर लगाया जाता है।
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