यूनेस्को से भारत की टॉप 10 हेरीटेज जगह
भारत की संस्कृति के रूप को ‘स प्रथम संस्कृति विश्वरा’ कहा जाता है। जिसका मतलब है ‘दुनिया में पहली और सर्वोच्च संस्कृति। भारत में हर क्षेत्र, धर्म के लोग रहते हैं और जहां कपड़े, फेस्टीवल, कला, स्थापत्य शैली, धर्मों और भाषाओं देश के विभिन्न रूप देखने को आपको मिल जायेंगे। यही देख कर यूनेस्को ने भारत के सबसे महत्वपूर्ण 25 हेरीटेज जगह को अपनी सूची में जोड़ा है। साथ ही साथ यूनेस्को इन विरासतों की देखभाल में भी अपना सहयोग देता रहता है। हम आपको उन्हीं 25 हेरीटेज जगह में से भारत की 10 महत्वपूर्ण सांस्कृतिक विश्व धरोहर स्थलो के बारे में बताने जा रहे है।
1. ताज महल, आगरा, (भारत)
भारत में स्थित आगरा शहर में बना ताजमहल सन 1983 के बाद से विरासत स्थल सफेद संगमरमर की एक विशाल समाधि जिसे अपनी मनपसंद पत्नी की याद में मुगल बादशाह शाहजहां के आदेश से 1632 और 1653 के बीच बनाया गया। यह 35 मीटर ऊंचा (115 फीट) है। गुंबद को एक कमल डिजाइन के साथ सजाया गया है। इसके आस पास के गार्डन तो देखते ही बनते है। टूरिस्टों के लिए यह एक अच्छा आकर्षण है। पूरे संसार से लोग इस यादगार ताजमहल को देखने आते है। ताजमहल भारत के पूरे उपमहाद्वीप के सबसे प्रसिद्ध स्मारक है। यही वजह थी कि यूनेस्को ने इसे अपनी सूची में शामिल किया।
2. छत्रपति शिवाजी टर्मिनल (मुंबई)
छत्रपति शिवाजी टर्मिनल एक ऐतिहासिक रेलवे स्टेशन और वल्र्ड हेरिटेज सिटी है जोकि मुंबई में स्थित है। यह स्टेशन विक्टोरिया टर्मिनल के नाम से पहले जाना जाता था। सन् 1996 इस स्टेशन का नाम बदलकर छत्रपति शिवाजी टर्मिनल रख दिया गया था। इस जगह को 1887 में रानी विक्टोरिया की स्वर्ण जयंती के मनाने के लिये बनाया गया था। यह भारत के सबसे व्यस्त रेलवे स्टेशनों में से एक है। और यह एक विक्टोरियन गाॅथिक आर्किटेक्चर और मुगल के डिजाइन का उतम उदाहरण है। आज 3 मिलियन से भी ज्यादा लोग इस स्टेशन का प्रयोग करते है। इस स्टेशन का निर्माण 1878 मे शरू किया गया था और यह 1888 मे पुरा बना और इसको पूरा करने वाले थे ब्रिटिश के फ्रेडरिक विलियम स्टीवन। यह स्टेशन ब्रिटिश और भारतीय वस्तुकला शैलियो दोनो को प्रस्तुत करता है। एस स्टेशन की दीवारों पर जानवरों, फूलों, प्रतीकों और मानवीय आकृतियों बनी हुई कुछ चित्र तो 3डी नक्कशियों में तैयार किये गये है।
3. चोला मंदिर (तमिलनाडू)
विशाल और बड़े चोला मंदिर में थंजावुर मंदिर, गंगईकोंडचोलिसवाराम में बृहदिश्वरा मंदिर और दारासुरम में ऐरावतेश्वर मंदिर शामिल है। यह मंदिर किंग ओफ चोला के राज्य में 11वीं और 12वीं शताब्दी मे बनाया गया था। ये मंदिर तमिल संस्कृति और चोल वास्तुकला के विकास के महत्वता को दर्शाते है। चोला मंदिर में थंजापुर मंदिर, गंगईकोंडचोलिसवाराम में बृहदिश्वरा मंदिर जो थंजावुर में है। यह चोल वास्तुकार का सबसे बडा उपहार माना जाता है और चोला मंदिर 1987 में विश्व विरासत स्थल बन गया। बृहदिश्वरा मंदिर का निर्माण 985 और 1012 सीई के बीच मे किया गया था। इस मंदिर को चोल राजा राजाराज ने भगवान शिव के लिये समर्पित किया। इस मंदिर मे उच्च गुणवत्ता वाली मूर्तियां और कांस्य निर्मित मूर्तिया है। मंदिर के दीवारों मंहगे और बहुत सुंदर चित्रों से सजाया गया है।
4. हिल फोर्ट (राजस्थान)
राजस्थान के पहाड़ी किलो में राज्य के छह राजसी किले शामिल है- चित्तोड़गढ़ किला, जैसलमेर किला, अंबर किला, गग्रोन किला, राठमूर किला और कुंभलगढ किला। यह छह किले राजस्थान में चटानी अरावली पर्वतों पर स्थित है। यूनेसको में 2013 में विश्व धरोहर स्थलों की सूची में राजस्थान के पहाडी किले शामिल हैं इसका निर्माण 8वीं और 18वीं सदियों के बीच में हुआ था। यह किलें महलों , दीवारों और प्रमुख व्यापारिक केन्द्रों रक्षा भी करते हैं, यह किले राजपूत रियासतों की शक्ति को दर्शाते हैं। राजस्थान के पहाड़ी किलो में पानी की कटाई के लिए सेन्य गार्ड और संरचनाओ के लिए आवास उपलबध है। इन छह किलो में से चित्तोड़गढ़ किले में 8वीं और 18वी सदी के बीच स्थापतन शैली को अलग-अलग तरीके सेे दर्शाया गया है। यह भारत का सबसे बडा किला है, 280 हेक्टेयर के क्षेत्र में फैला है। चित्तोड़गढ़ किला, कुंभलगढ किला और राठमुर किला भी भारत के पुरातत्व सवक्षण द्वारा संरक्षित है।
5. अजन्ता की गुफाए (महाराष्ट्र)
अजन्ता गुफाए महाराष्ट्र की औरंगाबाद जिले में स्थित 30 पत्थरों को काटकर बुद्ध गुफा बनाई गई है। इन गुफा मे से कुछ पहली और दूसरी शताब्दी बीसी की है। अजन्ता गुफा बौद्ध कला चित्रांे और बुद्ध की मूतियों की कलाकृतियों को बरकरार रखे हुये है। यह जगह को 1983 में यूनेस्को द्ववारा विश्व विरासत स्थलो में शामिल किया गया था।
अजन्ता गुफा को दूसरी शताब्दी बीसी में घोड़े नुमा शक्ल में बनाया गया था। उसके बाद नौवीं शताबदी में यह बौद्ध भिक्षु के लिये प्रार्थना हाल बना दिया गया। मगर बाद में इन गुफा को त्याग दिया गया। एडी 650 और 1819 में एक ब्रिटिश अधिकारी द्वारा फिर खोजा गया। उनमें से तीस अलग गुफा और पांच गुफा स्टूपा स्मारक हाॅल को चैत्यागुरूहास के नाम से जाना जाता है। बाकी गुफा को विहार्स के नाम से जाना जाता है। यह मठवासियो का निवास स्थान है। अजन्ता गुफा में बने चित्र बुद्ध के जीवन को प्रस्तुत करते हैं। महायना प्रार्थना हाॅल जहां गुफा 26 में भगवान बुद्ध की मृत्यु को उजागर किया हुआ है। बाकी बची हुई गुफा में बुद्ध की मूर्ति और चित्रों से सजाया है।
6. कोणार्क मंदिर (उड़ीसा)
कोणार्क सूरज मंदिर, सूर्य भगवान के लिए समर्पित विशाल रथ के आकार देने वाला एक हिंदू मंदिर है। यह मंदिर कोणार्क के जिले में है, यह बंगाल की खाड़ी के तट पर स्थित है। कोणार्क मंदिर प्राचीन भारत की वस्तुकला के चमत्कार और अपार भक्ति को दर्शाता है। यह भगवान सूर्य के रथ को प्रतिनिधित्व करता है, जिसमें 24 नक्काशीदार पाहिये को सात घोडों द्वारा खींचा गया है। कोणार्क मंदिर को 13वीं सदी में राजा नरसिन्ह देव ने बनवाया था और 1984 में यह विश्व विरासत स्थल बन गया। कोणार्क मंदिर कलिंगा मंदिर की वस्तुकला का पालन करता है। इसमें 12 अलग पहिये है जो वर्ष के 12 महीने का को दर्शाते हैं। रथ के सात घोडे़ सप्ताह के 7 दिन को दर्शाते हैं और रथ के पहियो पर सूरज नुमा डायल बना हुआ है जो पूरे दिन के समय को दर्शाता है, मंदिरो की दीवारों पर संगीतकारो और नर्तकियों की मूर्तियो से बनाई गई है।
7. सांची के स्थित बुद्ध की स्मारक (मध्यप्रदेश)
सांची में बौद्ध स्थल पहली और दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व की सबसे पुराना बौद्ध की पवित्र जगह है। इस जगह में बोद्ध स्मारकों जैसे स्तंभ, मंदिर, मठ और महलांे का समूह शामिल है। सांची में धार्मिक केंद्र की नींव तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में सम्राट अशोक द्वारा की गई थी। उन्होने सांची में महान स्तूप भी बनाया। यह भारत में सबसे पुराने संरक्षित पत्थर की सरचना है। 1989 में यूनेसको ने एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक मूल्यों पर विचार करते हुए इस जगह को विश्व विरासत केंद्र के रूप में सूचीबुद्ध किया था।
सांची में जातक कहानियों और भगवान बुद्ध की जीवन घटनाओं पर नक्काशी की गई है। यहां पर अशोका द्वारा बनाया गये एक अन्य स्तूप और स्तंभो की संख्या भी काफी है। सांची में इन धार्मिक स्थल ने ईसा पूर्व पहली शताब्दी और ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी के बीच बौद्ध धर्म के एक मुख्य केंद्र के रूप में सेवा की गई थी। उसके बाद हिंदू धर्म के प्रसार सांची को 600 साल तक छोड़ दिया गया था उसके बाद 1818 मे जनरल टेलर ने फिर से खोज निकाला
8. कुतबमीनार (दिल्ली)
कुतब मीनार यह दिल्ली में स्थित 72.5 मीटर लम्बी भारत में यह दूसरी सबसे ऊंची मीनार है। यह स्मारक भारत-इस्लामी अफगान वस्तुकला का सबसे अच्छा उदाहरण है। इसके आस पास की जगहों में कई सारी कब्रों, मस्जिदों और ग्रीष्मकालींन महल है। इस पुरातत्विक स्थल पर क्वाट-उल-इस्लाम मस्जिद सबसे पुरानी मस्जिद है। घूरिड वस्तुकला शैलियो को इसके निर्माण के लिये उपयोग किया गया था। कुतुब मीनार को यूनेस्को ने 1993 में विश्व विरासत सूची शमिल किया।
1192 में कुतुबद्दीन ऐबक के द्वारा कुतब मीनार का निर्माण किया गया था और 1368 में उनके अधिकारी इल्तुतमिश के द्वारा पुरा किया गया। लाल रेत के पत्त्थर और मार्बल इसके निर्माण के लिए उपयोग की जाने वाली मुख्य सामग्री बने। कुतब मिनार की हर एक मंजिल को बहुत खूबसूरती से सजाया गया है। अलग अलग बालकनियों को भी सजाया गया है। कुतुब मीनार में कई अरबी और नागरी शिलालेख भी शामिल है।
9. हुमायूं का मकबरा (दिल्ली)
हुमायूँ का मकबरा, दिल्ली में स्थित भारतीय उप महाद्वीप पर सबसे पहले कब्र है। यह मुगल सम्राट हुमायूं के लिए बनाया गया था, जो उनकी विधवा बेगम द्वारा 1570 में बनवाई गई थी। मुगल वास्तुकला के विकास के इतिहास में इसका बहुत महत्व है। 1993 में यूनेस्को ने एक विश्व विरासत स्थल के रूप में हुमायूं की कब्र का वर्णन किया।
फारसी वास्तुकार मिराक मिर्जा घियास जिसनेे इस कब्र को तैयार किया था। मुगल संरचनात्मक शैली को इस कब्र के लिए इस्तेमाल किया गया था, जो एक बड़े बगीचे के केंद्र में स्थित है। लाल रेत के पत्थर और पत्थर इस कब्र के निर्माण के लिए उपयोग की जाने वाली मुख्य सामग्री हैं। परिसर के कक्ष में अष्टकोणीय डिजाइन हैं। मकबरे के इंटीरियर में परस्पर जुड़े गैलरी भी हैं।
10. लाल किला (दिल्ली)
लाल किला एक मजबूत किला जो की मुग़ल के पांचवे राजा शाहजहाँ के लिए 1648 में बनवाया गया था । लाल किला महल सलीमगढ़ किले के पास है जोकि इस्लाम शाह सूरी ने 1648 में बनवाया था। इन दोनों महल को मिलाकर लाल किला बनता है
लाल किला का चित्र मुग़ल, इस्लाम , पर्शियन और हिन्दू वास्तुकला को दर्शाता है । लाल किला 255 एकड़ तक फैला हुआ है और 2.4 किलेमीटर तक इसकी बड़ी बड़ी दीवारे है। यह जगह 2007 में विश्व की विरासत में आई थी। मुग़ल के राजा लाल किला अपने घर की तरह इस्तेमाल करते थे, उन्होंने ने ऐसा 200 साल तक किया, यानी 1657 से 1857 तक। मुग़ल शाषक के अंत साल 1848 में ब्रिटिश ने इस किले के दो से अधिक भवन तबाह कर दिए थे। लेकिन जो दीवारे थी किले की उनको कोई नुकसान नहीं पहुँचाया था ।
लाल किला का मुख्या दरवाज़ा लाहौर गेट है क्यूंकि यह किले के पश्चिम भाग में स्थापित है जो की लाहौर सिटी की दिशा में जाता है । स्वंत्रता के बाद भी लाल किला सेना की छावनी के लिए इस्तेमाल किया जाता है। 1947 से हर स्वतंत्रता दिवस के दिन यहाँ पर राष्ट्र झंडा लहराया जाता है ।
Author : Khyati Verma