दिल्ली के इस नगर में कराया जाता है नवेली दुल्हन से देह व्यापार, वजह जानकार आप हो जायेंगे हैरान
अगर देखा जाए तो हमारा देश आजाद है। यहां पर स्त्री और पुरुष दोनों को बराबरी का दर्जा प्राप्त है। सभी को स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की आजादी है। भारत सरकार का नारा है बेटी पढ़ाओं, बेटी बचाओं। लेकिन ये बातें उस वक्त बेमानी लगती हैं जब आपको देश की राजधानी दिल्ली के इस काले सच के बारे में मालूम होगा।
हिमाचल वन विभाग में 12th पास के लिए बम्बर भर्ती- अभी भरें फॉर्म
डाक विभाग में नौकरी का मौका, 10वीं पास के लिए 2707 पदों पर बंपर भर्तियां
दसवीं पास वालों के लिए CISF कांस्टेबल और ट्रेडमैन में आई बम्पर भर्ती – देखें पूरी जानकारी
जी हां ये दिल्ली को वो काला सच है जिसे चाहकर भी झुठलाया नहीं जा सकता। यहां 12 से 13 साल की उम्र में ही लड़कियों की शादी कर दी जाती है और ससुराल वाले उस लड़की के शरीर का सौदा करके रोटियां खाते हैं। यह बात कहने में कड़वी तो जरूर हैं, लेकिन इस बात की सच्चाई को नकारा नहीं जा सकता है। आज हम 21वीं सदी में जी रहे हैं लेकिन महिलाओं की स्थिति आज भी 18वीं और 19वीं सदी जैसी है। महिलाएं आज भी स्वतंत्र रुप से जीने के लिए तरस रही हैं।
हम बात कर रहे हैं दिल्ली के नफजगढ़ के प्रेमनगर बस्ती की, जहां पर परिवार की रोजी-रोटी चलाने के लिए बहुओं और बेटियों का सौदा करना पड़ता है और यह सौदा कोई और नहीं बल्कि उस घर के मर्द ही करते हैं। यहां पर न तो किसी लड़की को सपने देखने की स्वतंत्रता है और न ही अपने मन मुताबिक जीने की। यहां पर उनके ख्वाब को बचपन में ही रौंद दिए जाते हैं। कितना अजीब लगता है यह सोचकर की किसी घर के माता-पिता अपनी ही लड़कियों के साथ ऐसा कैसे कर सकते हैं?
यहां पर लड़कियों की शादी करने की कोई चिंता नहीं रहती क्योंकि लड़के वाले खुद लड़की के घर वालों को दो, चार या फिर पांच लाख रुपये जितने में सौदा पक्का हो जाए उतनी रकम देते हैं। शादी के नाम पर यहां लड़कियों को इस समुदाय में बेच दिया जाता है। इसके बाद वह लड़की घर भी संभालती है और सबका पालन-पोषण भी करती है। यहां लड़कियां खुद ही अपने लिए ग्राहक तलाशती हैं। यहां पर परना समुदाय के इन लोगों की रोजी-रोटी का सिर्फ यही एक मात्र जरिया हैं। यहां पर लड़की पैदा होने पर खुशियां मनाते हैं, क्योंकि वह इनकी कमाई का एक जरिया हो जाती है।
ऐसा नहीं कि यह इस समुदाय की पेशा है, बहुत सी लड़कियां इसका विरोध करते हुए अपनी जान भी दे चुकी हैं। ये पढ़ना चाहती हैं, कोई काम करना चाहती हैं, लेकिन सरकार का ध्यान इस तरफ आकर्षित नहीं हो पा रहा है। सरकार बेटी बचाओं, बेटी पढ़ाओं का नारा तो दे रही है, लेकिन वह नारा इन बेटियों की गलियों तक नहीं पहुँच पा रहा है। खैर जो भी हो लेकिन लोग सिर्फ देश, देशभक्ति और देशद्रोह पर ही बातें करते हुए दिखते हैं। लेकिन देश की इन महिलाओं पर हो रहे अत्याचार पर कोई बात नहीं करना चाहता।
इस पर अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दें !!
👉 Important Link 👈 |
👉 Join Our Telegram Channel 👈 |
👉 Sarkari Yojana 👈 |