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भारतीय अर्थव्यवस्था पर उभरते वैश्विक मंदी के माहौल का प्रभाव

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भारतीय रिजर्व बैंक वैश्विक आर्थिक मंदी के कारण भारत से निर्यात पर इसके कथित प्रभाव को देखते हुए चालू वित्त वर्ष के लिए आर्थिक विकास दर के अपने अनुमान को कम कर सकता है। आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिवसीय बैठक पांच दिसंबर से शुरू हो रही है।

रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष यानी 2022-23 के लिए देश की जीडीपी सात फीसदी रहने का अनुमान लगाया है. अगले हफ्ते की बैठक में ब्याज दरों में बढ़ोतरी के अलावा बाजार की नजर जीडीपी पर आरबीआई के आउटलुक पर है। एक विश्लेषक ने कहा कि एमपीसी निश्चित रूप से इस बात पर चर्चा करेगी कि निर्यात में गिरावट का आर्थिक विकास पर क्या प्रभाव पड़ रहा है।

एसएंडपी सहित कई वैश्विक शोध फर्मों ने हाल ही में भारत के जीडीपी अनुमानों में कटौती की है। हाल ही में जारी सितंबर तिमाही के आंकड़े साल-दर-साल आधार पर कमजोर रहे। चालू वर्ष की इस अवधि में भारत की आर्थिक वृद्धि दर पिछले वर्ष की सितंबर तिमाही में 8.40 प्रतिशत के मुकाबले 6.30 प्रतिशत रही है।

रिसर्च फर्म नोमुरा ने गुरुवार को एक रिपोर्ट में कहा कि भारत की आर्थिक सुधार चरम पर है और सभी क्षेत्रों में मंदी शुरू हो गई है।

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