centered image />

एल्युमीनियम के बर्तन में खाना ना बनाये नहीं तो हो सकती, है ये बीमारियाँ

0 555
Join Telegram Group Join Now
WhatsApp Group Join Now

घरों में एलुमिनियम के बर्तन होना आम बात है यहां तक की विश्व में भी ६०% लोग एलुमिनियम के ही बर्तन इस्तेमाल करते हैं। इसके मुख्य दो कारण है पहला तो ये सस्ता टिकाऊ होता है दूसरा ये हीट का अच्छा कंडक्टर होता है। उष्मा के सुचालक होते हैं।परन्तु एलुमिनियम के बर्तन स्वास्थ्य के लिए अच्छे नहीं बताए जाते हैं। जब एलुमिनियम के बर्तन में भोजन पकाया जाता है तो भोजन और पानी के साथ एलुमिनियम भी अवशोषित हो जाता है।

माना जाता है कि एक औसत मनुष्य में एक दिन में लगभग ४ से ५ मिलीग्राम तक एलुमिनियम चला जाता है। और मनुष्य का शरीर एक दिन में इतना एलुमिनियम शरीर से बहार निकालने में सक्षम नहीं है। जिससे एलुमिनियम खून में जाकर मिल जाता है और हमारे शरीर के अंदरूनी अंगों जैसे किडनी , लिवर और हड्डियों में जमा हो जाता है। जिससे कई तरह की बीमारियां घर कर लेती हैं।

एलुमिनियम एसिडिक पदार्थों से रियेक्ट करता है। भोजन पकाने के कुछ समय बाद गौर से देखने पर पाएंगें एलुमिनियम में बने भोजन का रंग कुछ बदल जाता है। इसलिए खट्टी चीजें जैसे टमाटर, चाय, और कॉफी एल्युमीनियम के बर्तनों में बिल्कुल नहीं बनानी चाहिए।एलुमिनियम के बर्तन में पका खाना जब लम्बें समय तक खाया जाता है तो ये एक किस्म का धीमा जहर का काम करता है।

इससे हाइपरएसिडिटी, पेप्टिक अल्सर, अपाचन, स्किन की परेशानियां, एग्जिमा और आंतों में सूजन इत्यादि तो देखीं गईं हैं। इसके इलावा हड्डियों की बीमारी ओस्टोप्रोसिस भी आम बात है।

घरों में पाए जाने वाले प्रेशर कुकर, कढ़ाई, फ्राइंग पैन और चाय बनाने के बर्तन अक्सर ही एलुमिनियम के होते है। एक दशक से अब कुछ लोगों में एलुमिनियम के बारे में जाग्रति देखने को मिली है। इसलिए बाजार में स्टील के कुकर और अन्य बर्तन बहुतायत से मिलने लगे हैं।

लेकिन टेफलॉन की कोटिंग कर एलुमिनियम के बर्तन अभी भी बाजार में उपलब्ध हैं। कहा जाता है कि टेफलॉन की कोटिंग एलुमिनियम को भोजन में मिलने से रोकने के लिए होती है। लेकिन समय के साथ जो कोटिंग है यह स्क्रैच होती रहती है और फिर से एलुमिनियम भोजन के साथ मिलने लगता है।

रिसर्च से पता चला है कि टेफलॉन कोटिंग वाले नॉन स्टिक बर्तन धीरे-धीरे शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति को कम कर देते हैं और किडनी खराब होने का रिस्क बढ़ जाता है साथ ही साथ खून का कैंसर होने का रिस्क बढ़ जाता है।एलुमिनियम की विशेषता है कि 30 से 40 साल तक अगर लगातार एलुमिनियम भोजन में घुलता रहे तो यह मस्तिष्क के विकास को रोक देता है

जिससे धीरे-धीरे दिमाग की शक्ति शिथिल होने लगती हैऔर अलमाजर या भूलने का रोग का खतरा बढ़ जाता है। जिसका ट्रीटमेंट अभी संभव नहीं है बाजार में काफी खाद्य पदार्थ जैसे कोल्ड ड्रिंक्स, बियर, रसगुल्ले, पाइनएप्पल , बिन्स, बिलकुल छोटे बच्चों के डिब्बा बंद भोजन इत्यादि एलुमिनियम टीन में पैक होते हैं। और ये कई दिन पुराने होते हैं।

इसके इलावा टूथपेस्ट, सॉस इत्यादि एलुमिनियम टूयब में मिलते हैं।

चीज़, चॉकलेट और काफी तरह का सामान एलुमिनियम की थैलियों में पैक्ड मिलता है।

१० मिलीग्राम तक एलुमिनियम हमारा शरीर एक दिन में पचा सकता है।

नोट करें कि ताजा संतरे, मौसमी, अंगूर और पाइनएप्पल का जूस शरीर से एलुमिनियम को निकालने में मदद करता है।

अब कुछ देशों में स्वास्थ्य को नजर रखते हुए एलुमिनियम के बर्तन पर पाबंदी हैं जैसे जर्मनी, फ्रांस ,बेल्जियम, ग्रेट ब्रिटैन, स्विट्ज़रलैंड , हंगरी , ऑस्ट्रिया और ब्राज़ील।

अभी शायद हमारा देश इस पाबन्दी के लिए तैयार नहीं है। किसी भी पाबन्दी से पहले उसके विकल्प बाजार में लाना जरूरी होता है। परन्तु आगे जाकर सरकार को कुछ कदम तो उठाने भी पड़ेंगें। अभी तो जागरूकता लाने की आवश्यकता है ताकि हम हमारे लेवल तक तो स्थिति को सुधार सकें और अपने व परिवार के स्वास्थ्य का ध्यान रख सकें।

Join Telegram Group Join Now
WhatsApp Group Join Now
Ads
Ads
Leave A Reply

Your email address will not be published.