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अगर आप भी खाते हैं मृत्यु भोज तो अगली बार खाने से पहले जरूर जाने लें ये बातें

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मृत्यु भोज: अक्सर आपने देखा होगा की हिन्दु धर्म में किसी परिवार के सदस्य की अगर मृत्यु हो जाती हैं तो उस परिवार को भोज देना होता हैं इसे मृत्यु भोज कहा जाता हैं ये समाज में रह रहें हर व्यक्ति के लिए आवश्यक होता हैं समाज के लिए यह परंपरा हर किसी को निभानी पड़ती हैं चाहे वे व्यक्ति अमिर हो या गरीब उसे ये भोज देना ही पड़ता हैं, लेकिन इस प्रथा के पीछे वर्णन पुरानी कहाँनी का उल्लेख महाभारत में मिलता हैं।

If you also eat death food then next time you must go before eating these thingsबताया गया हैं की एक बार श्रीकृष्ण ने दुर्योधन के घर जाकर युद्ध ना करने के लिए सन्धि करना का आग्रह किया तो दुर्योधन ने इन आग्रह को ठुकरा दिया इससे श्रीकृष्ण जी को कष्ट हुआ और वह वापस जाने लगे तभी दुर्योधन ने श्रीकृष्ण जी से भोजन करने का आग्रह किया लेकिन जब खिलाने वाले एंव खाने वाले के दिल में दर्द हो तो ऐसी स्थिति में भोजन कभी नहीं करना चाहिए।

If you also eat death food then next time you must go before eating these thingsवैसे तो हिन्दू धर्म में 16 संस्कार हैं, जिसमें प्रथम संस्कार गर्भाधान व अन्तिम संस्कार अंत्येष्टि है। इस तरह से जब 17 वां संस्कार बनाया ही नहीं गया तो सत्रहवाँ संस्कार तेरहवीं संस्कार कहाँ से आ गया ये समाज के दिमाग की उपज है बता दें कि किसी भी धर्म में मृत्युभोज का विधान नहीं है बल्कि महाभारत में लिखा गया है कि मृत्युभोज खाने वाले की ऊर्जा नष्ट हो जाती है।आपने देखा होगा कि जानवरों में अगर उसका साथी बिछुड़ जाता है तो वह उस दिन चारा नहीं खाता है जबकि इस संसार में सर्वश्रेष्ठ मानव युवा व्‍यक्ति की मृत्यु पर भी हलुवा पूड़ी खाकर शोक मनाने का ढ़ोंग रचता है इससे बढ़कर निन्दनीय कोई दूसरा कृत्य हो नहीं सकता।

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