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हमने अपनी जीवनशैली नहीं बदली तो 2040 तक हवा नहीं जहर में सांस लेंगे!

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अगर हमने अपनी हरकतें नहीं बदली अपनी जीवनशैली में बदलाव नहीं लाया तो हो सकता है 2040 तक हमें यह पृथ्वी जीने लायक प्राणवायु ही ना दे सके। अगर हमने इस बारे में आज नहीं सोचा तो कहीं ऐसा ना हो कि कल हम इसे सोचने लायक ही ना रहे।

If we do not change our lifestyle, then by 2040 the air will not breathe in poison!

पॉलीथिन तो हम इतनी इस्तेमाल करते हैं जितना भी शायद कोई और देश कभी नहीं करता होगा और ना ही करने की सोचता होगा। लेकिन कभी सोचा आपने कि जो पॉलीथिन आप इस्तेमाल कर रहे हैं वह लगभग 1000 से भी ज्यादा सालों तक इसी धरती पर रहेगी पर आसानी से नष्ट भी नहीं हो पाएगी। लेकिन आपको क्या? यदि आप अपने बारे में नहीं सोचते तो अपने बच्चों के बारे में सोचिए क्या आप उन्हें भविष्य में साफ-सुथरी सांस में उपलब्ध करा सकेंगे? कम से कम अगर आप पॉलीथिन का इस्तेमाल इसी तरह से करते रहे तो कभी नहीं।

If we do not change our lifestyle, then by 2040 the air will not breathe in poison!

हम पेड़ों को काटकर लगातार शॉपिंग मॉल घर पुरानी चीजें बनाते जा रहे हैं क्या यह पेड़ जरूरी नहीं है पेड़ हैं इसलिए हम सांस ले रहे हैं, और यदि सांस ले रहे हैं तभी हम जिंदा है। आज नई दिल्ली का तापमान यदि आप किसी भी अन्य छोटे शहर शहरों से तुलना करके देखें तो दो से चार डिग्री ज्यादा ही मिलता है। क्यों ऐसा क्योंकि औद्योगिक करण के जाल में फंस कर हम इतने आगे बढ़ आए जिसके पीछे हम स्वास्थ्य को इतना पीछे छोड़ चुके हैं कि क्या वापस जाने की राह आसान नहीं लगती। उठिए सोचिए और पेड़ लगाइए, ये फल भी देंगे और लंबी सांसें भी।

If we do not change our lifestyle, then by 2040 the air will not breathe in poison!

धड़ल्ले से कार, ट्रक, मोटरसाइकिल का इस्तेमाल करते हैं हम दूसरों के सामने तो जैसे हमारा माचो (मर्दाना) बन जाता है। लेकिन कभी नहीं सोचा किस से जो दुआ निकलता है, वह आप ही को कैंसर दे रहा है। क्यों अन्य देश इलेक्ट्रॉनिक व्हीकल को बढ़ावा दे रहे हैं? क्यों अन्य देश छोटे सफर साइकिल ओं से तय कर रहे हैं? खैर छोड़िए आपको इससे क्या आपको दो कूल ब्वॉय लगना है। कीजिए जो करना है।

If we do not change our lifestyle, then by 2040 the air will not breathe in poison!

कुछ समय और अपने मनमर्जी की कर लीजिए क्योंकि यदि आप यूं ही इसी तरह से पर्यावरण का मजाक उड़ाते रहे तो एक दिन प्रकृति का भी समय आएगा और वह आपका उपहास करेगी। और तब भाई आपकी एक नहीं सुनेगी आपको इतनी बीमारियां दे देगी। कि शायद उस समय अपने पैरों पर खड़ा होना भी आपके लिए मुनासिब नहीं होगा आपके शरीर पर मक्खियां भिंभिनाएंगी और उन्हें हटाने के लिए भी कोई पास खड़ा दिखाई नहीं पड़ेगा।

तब हो सकता है आपको मेरी बात याद आई लेकिन तब तक इतनी देर हो चुकी होगी कि आपके हाथ में अब कुछ नहीं होगा।

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