अगर ये पौधा आपके घर के पास है तो आप बहुत ही खुशनसीब हैं, जानिए क्यों
आज हम एक ऐसे पौधे के बारे में बात कर रहे हैं जो ढूढ़ने पर हमारे चारो और मिल जायगा। लेकिन ज्यादातर लोगो को इसके गुण मालुम न होने के कारण इसे घरपतवार के श्रेणी में मान कर, उखाड़ के फैक दिया जाता है। कैंसर ऐसी बीमारी है जिसका पता सामान्यत: रोग बढऩे के बाद ही चल पाता है। इस स्थिति में सर्जरी ही बीमारी के विकल्प के रूप में सामने आती है।
आयुर्वेद शोधकर्ताओं ने सफेद फूल वाले सदाबहार पौधे को इस बीमारी में प्रभावी माना है। भारत में पायी जाने वाली प्रजाति का वैज्ञानिक नाम केथारेन्थस रोजस (Catharanthus) है। यह फूल न केवल सुन्दर और आकर्षक है, बल्कि औषधीय गुणों से भी भरपूर माना गया है। इसे कई देशों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है।
पौधा करेगा संजीवनी बूटी का काम
भारत में ही केंद्रीय औषधीय एवं सुगंध पौधा संस्थान द्वारा की गई खोजों से पता चला है कि सदाबहार की पत्तियों में विनिकरस्टीन नामक क्षारीय पदार्थ भी होता है जो कैंसर, विशेषकर रक्त कैंसर (ल्यूकीमिया) में बहुत उपयोगी होता है। आज यह विषाक्त पौधा संजीवनी बूटी का काम कर रहा है। बगीचों की बात करें तो 1980 तक यह फूलोंवाली क्यारियों के लिए सबसे लोकप्रिय पौधा बन चुका था।
दाबहार ( सदाफूली ) के पौधे के चार पत्तों को साफ़ धोकर सुबह खाली पेट चबाएं और ऊपर से दो घूंट पानी पी लें, इससे मधुमेह मिटता है। यह प्रयोग कम से कम तीन महीने तक करना चाहिए।