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जल्दी जल्दी सांस फूलती है तो हो जाएँ सावधान हार्ट अटैक का हो सकता है, खतरा

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अक्सर सीढ़ी चढ़ते हुए या थोड़ी देर चलते हुए कई लोगों की सांस फूलने लगती है, मगर वो इसे अंजाने में सामान्य मानकर नजरअंदाज कर देते हैं। कभी- कभी लोग इसे बढ़ती उम्र का असर भी मान लेते हैं। असल में अगर ऐसा बहुत ज्यादा मेहनत के बाद हो, तो इसे सामान्य माना जा सकता है। अगर ये मेहनत या उम्र का असर है तो सांसे थोड़ी देर में सामान्य हो जाती हैं। लेकिन अगर थोड़ी सी मेहनत से ऐसा अक्सर होता है और सांसों को सामान्य होने में काफी वक्त लगता है, तो ये आपके लिए खतरे की घंटी है।सांसों में तेज गति और उसका तेज फूलना कई कारणों से हो सकता है।कई बार फेफड़े में थोड़ी बहुत परेशानी से सांस तेज हो जाती है या सांस की नली में सूजन आने से भी सांसें छोटी हो जाती हैं। कई बार इसका कारण निमोनिया भी हो सकता है।

निमोनिया में सांस की नली में एक खास तरह का बैक्टीरिया उत्पन्न हो जाते हैं, जिन्हें स्ट्रेप्टोकोकस कहते हैं। दरअसल ये जीवाणु श्वांस की नली में एक तरह का तरल पदार्थ पैदा करता है, जिसके कारण फेफड़ों तक ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाती और सांस फूलने लगती है।विशेषज्ञों का मानना है कि कई बार सांसों का फूलना हार्ट फेल्योर या क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मॉनरी डिज़ीज़ का संकेत भी हो सकता है।इस तरह की स्थिति में सांस की नली बलगम जमा होने या सूजन आ जाने से संकरी हो जाती है। ऐसे में सामान्य गति से सांस लेना मुश्किल हो जाता है। ये बीमारी अक्सर सिगरेट पीने से या किसी ऐसी फैक्ट्री में काम करने से हो सकती है, जहां केमिकल्स का इस्तेमाल होता है।

लेकिन इस बीमारी के सबसे ज्यादा शिकार अत्यधिक पॉल्यूशन में जीवन जीने वाले लोग बनते हैं।विशेषज्ञ बताते हैं कि सांसो का फूलना दिल या फेफड़े से संबंधित बीमारी का संकेत होता हैक्योंकि दोनों ही अंग मनुष्य में सांस की प्रणाली से गहरे जुड़े हैं। ऐसी स्थिति में ज्यादातर लोग इसे उम्र बढ़ने से बढ़ी कमजोरी का कारण मानकर नजरअंदाज कर देते हैं। लेकिन आपको ये समझना होगा कि रोग का जितनी जल्दी पता चलेगा, उसका निदान उतना ही आसान होगा और खतरा भी उतना ही कम होगा। अगर सांसों का तेज फूलना एक महीने से ज्यादा समय तक जारी रहे तो ये फेफड़े की किसी गंभीर बीमारी या हार्ट फेल्योर के लक्षण हो सकते हैं। इसलिए ऐसी किसी भी स्थिति में आपको अपने डॉक्टर से तुरंत संपर्क करना चाहिए।

इस बीमारी से बचने के और भी हैं टिप्स

मन में तनाव बिलकुल न बढ़ने दें, जितना हो सके रिलैक्स रहें और अपनी सोच सकारात्मक रखें।

स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें, बाहर का खाना जितना कम लें उतना ही अच्छा होगा।

तली भुनी चीजें या मैदे से बने पकवान न खाएं, रिफाइंड तेल का उपयोग बिलकुल न करें।

रोज कम से कम आधे घंटे तेज चलने, व्यायाम करने और प्रणायाम करने का अभ्यास करें।

व्यायाम के लिए कोई ऐसी जगह न चुनें जो किसी फैक्ट्री या व्यस्त सड़क के आसपास हो।

घर से बाहर के कामों को सुबह या शाम को निपटाएं क्योंकि इस समय प्रदूषण का स्तर कम होता है।

धूम्रपान बिल्कुल न करें और न किसी को अपने आसपास ऐसा करने दें।

घर में वेंटिलेशन का ध्यान रखें। एसी का कम इस्तेमाल करें तो बेहतर है।

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