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नवजात शिशु की देखभाल कैसे करें ?

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नवजात बच्चे के प्रति माता-पिता की बहुत बड़ी जिम्मेदारी और चुनौती होती है। उसके साथ घर में खुशी और जीवन में खुशी जरूर है। घर में बसंत आता है लेकिन साथ ही माता-पिता की अच्छी भूमिका भी तय होती है।

नवजात शिशु के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के बारे में चिंतित होने से बेहतर है कि आप उचित ध्यान दें और उचित कदम उठाएं। बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए इन खास बातों का ध्यान रखना चाहिए।

  • जहां बच्चा खाता है, पीता है, खेलता है, सोता है, वहां कभी भी विवाद नहीं होना चाहिए। कठोर मत बोलो। यह आवश्यक है।
  • अगर माता-पिता या रिश्तेदार झगड़ते हैं तो बच्चे के कान, आंख, दिमाग पर बुरा असर पड़ सकता है और इसका असर उसके दिमाग पर भी पड़ सकता है। उसका मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ सकता है। बच्चा रोएगा, खाना नहीं खाएगा, खेलने और हंसने में दिलचस्पी नहीं लेगा।
  • संगीत मन को छू जाता है। संगीत का असर बच्चे के दिमाग पर भी पड़ता है। एक बच्चा मधुर संगीत के प्रति सकारात्मक प्रतिक्रिया करता है। मधुर मधुर संगीत बच्चे को शांत रखता है, शांत करता है और उसे मीठी नींद में सुला देता है।
  • बच्चे को बिल्कुल भी भूखा-प्यासा नहीं होना चाहिए। यदि बच्चा रोता है, तो यह मान लेना चाहिए कि वह कुछ कह रहा है, अपनी भावनाओं को व्यक्त कर रहा है।
  • बच्चे को लाड़ प्यार करने की बहुत जरूरत है। माता-पिता, दादा-दादी, बच्चा एरियल की तरह इन सभी की आवाज को पकड़ लेता है। वह उनकी विनती और डांट को समझता है, इसलिए इस बात का ध्यान रखना बहुत जरूरी है कि बच्चा इन आवाजों से वंचित न रहे।
  • अगर बच्चा हाथ-पैर हिलाकर खेलता है तो यह उसके लिए व्यायाम है। इससे उसका मन प्रसन्न रहता है, इसलिए उसके लिए रंग-बिरंगे खिलौने, मृदु ध्वनि यंत्र आदि की व्यवस्था करनी पड़ती है। इससे बच्चे का मानसिक विकास तेज होता है।
  • ये हैं कुछ खास बातें जो बच्चे के शारीरिक विकास से जुड़ी हैं:
    बच्चा अपना खाना ठीक से पचा पाता है या नहीं? बच्चे की पाचन क्रिया ठीक है या नहीं, बार-बार दस्त होता है? कहीं उनकी पोती नहीं रुक रही है? इन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
  • बच्चे के बिस्तर को हमेशा साफ रखना चाहिए। कहीं पलंग के घर्षण से बच्चे की पीठ पर घाव तो नहीं हो रहा है, चादर का प्रयोग सिंथेटिक तो नहीं है? क्या बिस्तर गीला नहीं है? इन सब बातों का ध्यान रखना चाहिए।
  • बच्चों के लिए तेल, साबुन, लोशन, पाउडर आदि विज्ञापनों पर ध्यान दिए बिना किसी अच्छे डॉक्टर के निर्देशानुसार ही प्रयोग करें।
  • पानी एक बच्चे के लिए एक सख्त जरूरत है। अगर वह दूध पीता भी है तो इस बारे में अपने डॉक्टर से बात करें।
  • बढ़ते बच्चे के आहार के बारे में भी आपको अपने डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
  • बच्चे को हमेशा साफ सुथरा रखना चाहिए। उसके कपड़ों को एक एंटीसेप्टिक साबुन या लोशन वाले पानी में अच्छी तरह से धोया और सुखाया जाना चाहिए।

इस तरह आप कई छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखकर बच्चे के साथ-साथ खुद को भी खुश रख सकते हैं और साथ ही बच्चे की देखभाल करने में भी कोई कमी नहीं आएगी।

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