प्यार और दीवानगी में कैसे अंतर पता करें?
अपने रिश्ते की सच्चाई जाने
इस बात से कोई इंकार नहीं कर सकता कि रोमियो और जुलिएट की कहानी सबसे बढ़िया प्रेम कहानी थी। उन दोनों ने एक दूसरे के लिए अपनी जान दे दी। पर क्या वह वाकई में सच्चा प्यार था? अगर आप शेक्सपियर के प्रशंसक है तो अपने पड़ा होगा कि रोमियो और जुलिएट ने पहली मुलाकात में ही एक दुसरे से शादी करने का फैसला कर लिया था। दूसरे दिन उन्होंने शादी कर ली और चौथे दिन वह मर गए। चार दिन, हमारे युग की सबसे उम्दा प्रेम कहानी का समय।अब प्रश्न उठता है कि क्या यह प्यार था या दीवानगी? वैसे इस बात का पता लगाने का कोई जरिया नहीं है, लेकिन आपको इसका एहसास हो सकता है। तो हम आपको बताते है प्यार और दीवानगी के बीच का अंतर क्या है?
सबसे पहले प्यार और दीवानगी का मतलब जान ले:
प्यार- प्रेम का गहरा एहसास. किसी से जुड़ने में गहरी दिलचस्पी और संतुष्टि।
दीवानगी- गहरा लेकिन थोड़े समय का जूनून या फिर किसी के प्रति आदर।
जैसा की अपने पड़ा कि दीवानगी छोटे समय के लिए होती है वही प्यार हमेशा के लिए होता है। अब इन दोने के बारे में विस्तार में जानते है।
समय
प्यार समय के साथ धीरे धीरे होता है लेकिन दीवानगी अचानक हो जाती है। प्यार समय के साथ गहरा होता है वही दीवानगी समय के साथ बहुत थोड़ी गहरी होती है। पहली नज़र में कभी प्यार नहीं होता, वह सिर्फ दीवानगी होती है।
विशेषता
प्यार को बदले में कुछ नहीं चाहिए। प्यार में आप इंसान को उसके दोष और कमी के साथ अपनाते है। लेकिन दीवानगी में आप इंसान कि सिर्फ अच्छाई देखते है। प्यार में आप बर्दाश्त करते है लेकिन दीवानगी में आप बेचैन रहते है। प्यार में आप अपने साथी के बारे में ज़्यादा से ज़्यादा जानने कि कोशिश करते है लेकिन दीवानगी में आप अपने साथी कि पहली झलक को ही पकड़े रखते है।
दीवानगी में आप अपने साथी के साथ तुरंत शारीरिक सम्बन्ध बनाने के लिए उत्सुक रहते है लेकिन प्यार में आप सही समय का इंतज़ार करते है।
अलगाव
अलग होने से आप अपने रिश्ते का सही अर्थ समझ सकते है। अगर अलग होने से आप कमज़ोर पड़ते है या फिर किसी और चीज़ से जुड़ते है तो यह मात्र दीवानगी है। अलगाव सच्चे प्यार को मज़बूत बनाता है। अगर आपके साथी के प्रति आपकी भावना घंटे दर घंटे कमज़ोर होती जा रही है तो आप समझ जाये कि यह प्यार नहीं है।
भावनाएं
अगर आप खुद के लिए खुशियां ढूंढ़ने कि कोशिश कर रहे है तो यह प्यार नहीं है। प्यार में इंसान अपने साथी को खुश करने के लिए सोचता है।
उम्र
दीवानगी में ज़्यादातर आपका साथी आपकी उम्र का ही होगा। आप सुंदरता के आधार पर इंसान को ढूंढ़ने कि कोशिश करेंगे। लेकिन प्यार में उम्र, रंग रूप कि कोई एहमियत नहीं होती। प्यार में हम इंसान के चरित्र से प्यार करते है।
दीवानगी और प्यार में अंतर:
1 दीवानगी आपमें ईर्ष्या पैदा करती है लेकिन प्यार आपको खुश रखता है।
2 . दीवानगी मुसीबत को नकारती है और बहस होने पर घबरा जाती है लेकिन प्यार आपको मुसीबतो को ठीक करने के लिए प्रोत्साहित करता है।
3 . दीवानगी में आप अपने साथी के लिए बदलने कि कोशिश करते है लेकिन प्यार में आप पहले जैसे ही रहते है।
4 . दीवानगी किशोरावस्था में होती है लेकिन प्यार समय के साथ होता है।
अगर आप अभी भी दीवानगी और प्यार के बीच का अंतर समझ नहीं पाए तो खुद को परखने के लिए एक टेस्ट खेलिए। खुद से ये प्रश्न पूछिए और इसका जवाब तुरंत दे:
1. मैं अपने साथी से शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक या आध्यात्मिक तरीके से आकर्षित हूँ।
2. मैं उसकी असलियत के लिए उससे प्यार करती हूँ न कि वह मेरे लिए बदले उसके लिए।
3. मैं उसके सामने रो सकती हूँ ।
4. बहस होने पर मैं समस्या को सुलझाने कि कोशिश करती हूँ न कि अपने साथी को छोड़ने के बारे में सोचती हूँ।
5. अगर मेरा साथी अपना सब कुछ खोदे तो भी मैं उसके साथ रहूंगी और उसे प्यार करुँगी।
अगर आपके ज़्यादातर प्रश्नो का जवाब है है तो मुबारक हो आप प्यार में है और वह भी बिलकुल सही इंसान के साथ और अगर आपके जवाब न है तो हमारी शुभकामनाएं है कि आपको सही साथी मिले।
Author : Davinder Gadhok