चीकू फल खाने के लाभ

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चीकू (वानस्पतिक नाम Manilkara zapota) फल का एक प्रकार हैं।

यह भी एक विदेशी फल है जो अब स्वदेशी बन गया है। इसका मूल स्थान मध्य अमेरिका का मैक्सिको देश है। स्पेनियों ने इसे योरोप और अपने उपनिवेश देश ले गए और धीरे-धीरे यह विश्व के अधिकांश देशों में पहुंचा। इसके नाम भी अनेक हैं। भारत में इसे सफेदा, सपोटो और चीकू कहते हैं। योरोप और अमेरिका में इसे सापोडिल्ला कहते हैं। या दूसरे देशों में इसे सपोटी, सपोटा, चीको, सीकू होंग आदि कहा जाता है।
पके चीकू बहुत ही अधिक मीठे होते ही हैं। पर इसके स्वाद भी लाजवाब होते हैं। इसे खाने के बाद शरीर में स्फूर्ति और ताजगी आ जाती है। इसके फल में प्रोटीन, कार्बोहाइडे्रड, चर्बी, विटामिन ए तथा सी,फास्फोरस, लोहा आदि पोषक तत्व काफी मात्रा में होता हैं। इसमें औषधीय गुण भी है। यह पुष्टिकर है,आंतों में शक्ति लाती है, भूख बढ़ाता है, पेशाब लाता है और पेशाब की जलन दूर करता है। इससे शर्बत भी बनता है, जो ठंडक लाता है। कई देशों में इसकी सब्जी भी बनती है।

चीकू फल तो खाने के काम आता है पर पेड़ भी उपयोगी है दूध के समान रस इसके तने और छाल से निकाला जाता है जिससे गोंद और च्युंगम बनता है। समुद्री मछुआरे इसके पेड़ की छाल नाव मरम्मत के काम में लाते हैं।
मधुमेह के रोगियों के लिए यह ठीक नहीं – इसमें शक्कर की मात्रा बहुत अधिक है इसलिए मधुमेह के रोगियों के लिए यह ठीक नहीं है।

चीकू की तीन किस्मे
1.काली पत्ती – इस किस्म के फल अण्डाकार रसीले, सुगंधित व उत्तम गूददे वाले तथा 1 से 4 बीज वाले होते हैं । फल गुच्छों में नहीं अपितृ अकेले लगते हैं । फल मुख्यतः सर्दियों में पकते हैं ।

2. क्रिकेट बाल – इस किस्म के फल बहुत बड़े आकार के व गोलाकार होते हैं । गुददा सख्त व दाने दार परन्तु बहुत मीठा होता है । काली पत्ती के मुकाबले पैदावार कम परन्तु हरियाणा की जलवायु के लिए अति उपयुक्त ।

3. बारामासी – इस किस्म के फल मध्यम व गोलाकार होते हैं ।
चीकू को पेड़ नम और गर्म वातावरण में अच्छे फलते फूलते हैं । इनके लिए गहरी चिकनी मिटटी अच्छी मानी जाती है । चीकू के पौधे भेंट कलम यानि इनाचिंग या गूटी बांधकर तैयार किए जाते हैं । काली पटटी, छतरी और क्रिकेट बाल इसकी प्रमुख किस्में हैं ।

 गुण-

चीकू का पौषकमान(100ग्राम): (सभी मानक प्रतिशत में)
ऊर्जा 83 कि.कैलारी, कार्बोहाइडेट 15, प्रोटीन 1.50,
वसा 3.5, फोलेट 3.5, नायसिन 1.00
पायरोउेक्सीन 3.00 राबोफेविन 1.50 थायमिन 5.00
विटामिन ए 2.00 विटामिन सी 24.50 सोडियम 1.00
पोटेशियम 4.00 कैल्शियम 2.00 तांबा 9.00
लोहा 10.00 मैग्निशयम 3.00 फास्फोरस 2.00
सेलेनियम 1.00 जस्ता 1.00
इसके फल में शर्करा,पेक्टिन,थ्रिओनिन तथा विटामिन C पाया जाता है

चीकू शीतल, पित्तनाशक, पौष्टिक, मीठे और रूचिकारक हैं। इसमें शर्करा का अंश ज़्यादा होता है। यह पचने में भारी होता है।

चीकू एक ऐसा फल है जो हर मौसम में आसानी से मिल जाता है और बहुत स्वादिष्ट भी होता है। भोजन के बाद यदि चीकू का सेवन किया जाए तो यह निश्चित रूप से लाभ प्रदान करता है। चीकू के फल में

71.0 प्रतिशत पानी,

1.5 प्रतिशत प्रोटीन,

1.5 प्रतिशत चर्बी और

25.5 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट होता है

14.0 प्रतिशत शर्करा भी होती है ।

इसमे विटामिन ए तथा विटामिन सी की अच्छी मात्रा होती है।

इसमें फास्फोरस तथा लौह भी काफी मात्रा में होता है।  और

क्षार का भी कुछ अंश होता है।

चीकू एक ऐसा फल है जो हर मौसम में आसानी से मिल जाता है और बहुत स्वादिष्ट भी होता है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं चीकू खाने के कुछ ऐसे ही फायदों के बारे में ….

आंखों के लिए –अच्छा चीकू में विटामिन ए अच्छी मात्रा में पाया जाता है जिसकी वजह से बुढ़ापे में होने वाली आखों की समस्यों को भी दूर किया जा सकता है।
ग्लूकोज अच्छी मात्रा – सोर्स ऑफ़ एनर्जी चीकू में ग्लूकोज अच्छी मात्रा में पाया जाता है, जो शरीर को तुरंत ऊर्जा प्रदान करता है। जो लोग रोज़ व्यायाम और कसरत करते हैं, उन्हें ऊर्जा की बहुत आवश्यकता होती है इसलिए उन लोगों को चीकू रोज़ खाना चाहिए।
बिमारिओं से बचाता – एन्टी-इंफ्लेमेटरी एजेंट चीकू में टैनिन की अच्छी मात्रा पाई जाती है जिसकी वजह से यह एक अच्छा एन्टी-इंफ्लेमेटरी एजेंट है। दूसरे शब्दों में कहा जाये तो यह कब्ज, दस्त, और एनिमिया जैसी बिमारिओं से बचाता है, साथ ही आंतों की शक्ति बढ़ता है, हृदय और गुर्दे के रोगों को भी होने से रोकता है। चीकू की छाल बुखार नाशक होती है। इस छाल में टैनिन होता है।

कैंसर के ख़तरे से बचाता है – चीकू में विटामिन ए और बी अच्छी मात्रा पाया जाता है, और इसमें एंटीऑक्सिडेंट, फाइबर और अन्य पोषक तत्व भी पाए जाते हैं जो जो कैंसर से बचाता है। विटामिन ए फेफड़ों और मुँह के कैंसर से बचाता है। चीकू में Beta-Cryptoxanthin होता है जो की फेफड़ो के कैंसर के होने के खतरे को कम करता है।

हड्डियों के लिए गुणकारी – चीकू में कैल्शियम फास्फोरस और आयरन की अतिरिक्त मात्रा पायी जाती है, जो हड्डियों के लिए आवश्यक होती है। कैल्शियम, आयरन और फास्फोरस की अच्छी मात्रा होने की वजह से हड्डियों को बढ़ने और मजबूती देने में चीकू बहुत लाभ दायक होता है।

कब्ज और अन्य संक्रमण से राहत- चीकू में फाइबर (5.6/100g) मात्रा में पाया जाता है, इस लिए इसमें अच्छी मात्र में लैक्सटिव(रेचक) पाया जाता है जो कब्ज से राहत दिलाता है और अन्य संक्रमण से लड़ने की शक्ति देता है।

गर्भावस्था के दौरान लाभदायक – कार्बोहाइड्रेट और आवश्यक पोषक तत्वों की अच्छी मात्रा पाए जाने की वजह से यह गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए चीकू बहुत फायदेमंद होता है। चीकू गर्भावस्था के दौरान होने वाली अन्य कमजोरी जैसे मतली और चक्कर जैसी दिक्कतों को भी कम करता है।

शरीर में होने वाले रक्त के नुकसान से भी बचाता है- हेमोसटाटिक प्रॉपर्टीज चीकू में हेमोसटाटिक प्रॉपर्टीज के गुण भी पाए जाते हैं मतलब यह शरीर में होने वाले रक्त के नुकसान से भी बचाता है। इस प्रकार, चीकू बवासीर और ज़ख़्म को भी जल्दी ठीक कर देता है, और इसके बीज को पीस कर उसे कीड़े के काटने की जगह पर भी लगाया जा सकता है।

शरीर में बैक्टीरिया को आने से रोकता है – एंटी वायरल और एंटी बैक्टीरियल गुण पॉलीफेनोलिक एंटीऑक्सीडेंट के होने के कारण चीकू में कई एंटी-वायरल, एंटी-परसिटिक और एंटी-बैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं। एंटीओक्सिडेंट होने के कारण यह शरीर में बैक्टीरिया को आने से रोकता है, विटामिन सी हानिकारक मुक्त कण को नष्ट करता है, और पोटेशियम, आयरन, फोलेट, और नियासिन पाचन तंत्र को स्वस्थ रखता है।

दस्‍त बवासीर और पेचिश से राहत – चीकू में एंटी- डाइरियल के गुण भी पाए जाते हैं। पानी में चीकू को उबाल कर बनाये गए काढ़े को पीने से दस्त से आराम मिलती है। यह बवासीर और पेचिश से भी राहत पहुंचता है।

मानसिक स्वास्थ्य – चीकू दिमाग को शांत रखने में बहुत मदद करता है। यह दिमाग की तंत्रिकाओं को शांत और तनाव को कम करने में मदद करता है। इस प्रकार, यह अनिद्रा, चिंता और अवसाद से पीड़ित व्यक्तियों के लिए बहुत लाभ दायक होता है।

सर्दी और खांसी से बचाता है – सर्दी और खांसी चीकू में कुछ खास तत्व पाए जाते हैं जो श्वसन तंत्र से कफ और बलगम निकाल कर और पुरानी खांसी में राहत देता है। इस प्रकार यह सर्दी और खांसी से बचाता है।

गुर्दे की पथरी और गुर्दे के रोगों से भी बचाता है- गुर्दे की पथरी चीकू के फल के बीज को पीस का खाने से गुर्दे की पथरी को द्वारा पेशाब निकाल देता है। यह साथ ही यह गुर्दे के रोगों के से भी बचाता है। चीकू के फल में थोड़ी सी मात्रा में सापोनीन एवं संपोटिनीन नामक कड़वा पदार्थ होता है।
चीकू के बीज मृदुरेचक और मूत्रकारक माने जाते हैं। चीकू के बीज में
चीकू के नित्य सेवन से धातुपुष्ट होती है तथा पेशाब में जलन की परेशानी दूर होती है।

वजन घटाने में सहायक – चीकू वजन घटाने में बहुत लाभ दायक होता है। यह गैस्ट्रिक एंजाइमों को खत्म करके पाचन तंत्र को मजबूत कर मोटापे से बचाता है।

विषहरण – चीकू एक मूत्रवर्धक के रूप में भी कार्य करता है, यह शरीर से पेशाब द्वारा गंदगी को निकलने में मदद करता है।

दाँत की कैविटी को भरने के – टूथ कैविटी चीकू में लेटेक्स अच्छी मात्रा में पाया जाता है इसलिए यह दाँत की कैविटी को भरने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है।चीकू के पे़ड की

छाल से चिकना दूधिया- `रस-चिकल` नामक गोंद निकाला जाता है। उससे चबाने का गोंद च्युंइगम बनता है। यह छोटी-छोटी वस्तुओं को जो़डने के काम आता है। दंत विज्ञान से संबन्धित शल्यCR या में `ट्रांसमीशन बेल्ट्स` बनाने में इसका उपयोग होता है। `

कैविटी क्या हैं?
दांतों के सड़ने पर उसकी सतह (सरफेस) पर होने वाले छिद्र (होल) को कैविटी कहते हैं. कैविटी से आसानी से बचा जा सकता हैं. आपका डॉक्टर आसानी से इसका इलाज़ कर सकता हैं बशर्ते, इसे शुरुआत में ही पहचान लिया जाए. कैविटी अगर ज़्यादा हो जाए तो दांतों में दर्द, मसूड़ों में सूजन और मुंह के अन्य हिस्से में भी दर्द हो सकता हैं.

कैविटी के लक्षण- अगर आपके दांत में काले ये भूरे धब्बे दिखाई दें और दांतों में दर्द हो, तो समझ लीजिए कि आपको कैविटी हैं. ऐसे में तुरन्त डेन्टिस्ट के पास जाएँ. अगर आप ज़ल्दी इलाज नहीं कराएंगे तो दांतों में सड़न के साथ ही, मसूड़ों में सूजन, जबड़ों में दर्द और सिरदर्द की शिकायत हो सकती हैं.

त्वचा के लिए लाभ दायक चमकदार त्वचा चीकू आपकी त्वचा की चमक बनाये रखने में भी काफी मदद करता है। इसमें विटामिन ई पाया जाता है जो आपकी त्वचा को नमी देते है और जिससे आपकी त्वचा स्वस्थ और सुंदर हो जाती है। इसलिए, चीकू आपकी त्वचा के लिए लाभ दायक है।

 बालों के लिए गुणकारी-  चीकू के बीज से निकाला गया तेल बालों को मॉइस्चराइज़ और सॉफ्ट करके बालों को नयी चमक देता है। यह घुंघराले बालों के लिए बहुत अच्छा माना जाता है। और बहुत जल्दी अब्सोर्ब हो जाता है।

बालों को झड़ने से रोकता है – चीकू के बीज का तेल सिर की त्वचा को पोषण और स्वस्थ बनाता है, और बालों को बढ़ने में भी मदद करता है। यह सर में होने वाली सूजन की वजह से बाल गिरने के उपचार में भी कारगर है।

डैन्ड्रफ भगाए – चीकू के बीज का पेस्ट बनाले और उसे अरंडी के तेल के साथ मिलाले, फिर इस मिश्रण को सिर की त्वचा पर लगाये और अगले दिन धोले। इससे आपके बाल चमकदार और डैन्ड्रफ फ्री हो जाएंगे।

डैन्ड्रफ क्या हैं?
जब खोपड़ी की त्वचा के कोष अधिक झड़ने लगे तो समझिये कि आपको डेन्ड्रफ की शिकायत है। आपके सिर और कंधों पर यह सफेद पपड़ी के रूप में दिखलायी देगी। कभी—कभी इसमें सिर में बेहद खुजली होने लगती है। यदि आपके सिर की त्वचा सूखी है तो शायद सूखे मौसम की वजह से या प्राकृतिक तेल की कमी से ऐसा होगा, लेकिन यह एक अस्थायी शिकायत है, दूर भी हो सकती है। और इसका उचित इलाज होना ही चाहिये। हार्मोन—असंतुलन, अपौष्टिक चिंता के कारण भी सिर की त्वचा के कोष बहुत अधिक झड़ने लगते है। अक्सर गंदे कंघे के इस्तेमाल या गंदे बालों के कारण या फिर खोपड़ी खुजाने से भी यह शिकायत हो जाती है। खुजाने से खोपड़ी की त्वचा पर घाव हो जाते हैं। बहुत अधिक डेन्ड्रफ होने से बाल झड़ने भी लगते हैं। इसका कारण यही है कि जब एक बार खोपड़ी में संक्रमण हो जाता है तो बालों की जड़े कमजोर हो जाती है। और बाल गिरने लगते है। सिर में बहुत अधिक डैन्ड्रफ होने और तेलीय त्वचा होने से आपके माथे, गर्दन और पीठ पर मुहांसे या फुसिया भी हो सकती है। पपड़ी द्वारा रोम छिद्र बंद होने के कारण ही ऐसा होता है। डेन्ड्रफ की शिकायत होने पर उसका इलाज फोरन होना चाहिये जिससे वह बढ़े नहीं। डैन्ड्रफ का इलाज आसान है बशर्ते आप उसे नियमित करें—

झुर्रियों को कम करे चीकू में एंटीऑक्सीडेंट अच्छी मात्रा में पाए जाते हैं। इसलिए यह उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को रोकने में सहायक है क्योंकि यह फ्री रेडिकल्स को समाप्त कर देता है, और यह झुर्रियों को भी कम कर देता है।

त्वचा के लिए ऑइन्ट्मन्ट- चीकू में विटामिन ई पाया जाता है जो त्वचा को नमी देता है।जिससे त्वचा स्वस्थ और सुंदर हो जाती है।
स्किन ऑइन्ट्मन्ट चीकू के बीज का तेल त्वचा के लिए ऑइन्ट्मन्ट के रूप में प्रयोग किया जाता है। इस बीज की छाल को गरम कर के इससे आप सिकाई भी कर सकते हैं।

त्वचा पर गाँठ और फंगल को दूर – फंगल ग्रोथ से बचाता हैचीकू के पौधे का दूधिया रस त्वचा पर गाँठ और फंगगल को दूर करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।

फोड़े व सूजन को दूर करने के लिए इस्तेमाल – कच्चे फलों को पीसकर या कूट कर फोड़ों पर लगाने से फोड़े पककर फूट जाते हैं तथा पस बाहर निकल जाती है |
इसके फल को कूट कर गर्म कर सूजन युक्त स्थान पर लगाने से सूजन दूर हो जाती है |

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