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शारीरिक एवं मानसिक से रूप से स्वस्थ रहने का गुरु मंत्र

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आपको चाहिए कि शारीरिक एवं मानसिक रूप में स्वस्थ रहने के लिए अपना दाम्पत्य जीवन और धरेलू वातावरण मधुर तथा सहयोगपूर्ण बनाएं। इसके लिए निम्नलिखित उपायों को अपनाइए।
बच्चों की संख्या एक या दो से अधिक न रखें और परिवार नियोजन के उचित साधन अपनाएं यह आपके स्वस्थ सबसे बड़ा तरीका है । पुत्र या पुत्री प्राप्त करने के लिए एक के बाद दूसरी संतान पैदा करते जाना आज के जमाने में मूर्खता ही है। संतान चाहे पुत्र हो या पुत्री, यदि वह योग्य निकल जाती है और आपसे प्रेम करती है तो वृद्धावस्था या संकट में अवश्य सहायता करती है, अन्यथा जीवन भर के लिए एक भार बन जाती है।

पूरे परिवार के सभी सदस्यों को दिन में कम से कम एक बार साथ बैठ कर परमात्मा से प्रार्थना-अराधना करनी चाहिए। तीज-त्योहार पर सभी लोगों को आपस में मिलकर खाना-पीना और उत्सव मनाना चाहिए। एक-दूसरे के सुख दुख तथा समस्याओं के बारे में विचार करने से आपसी प्रेम में वृद्धि होती है और आप स्वस्थ भी रहेंगे।

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माता-पिता को बच्चों की शिक्षा, मनोरंजन, स्वास्थ्य आदि पर विचार करने के लिए नित्य एक घंटा समय अवश्य देना चाहिए। विशेष रूप से माता का यह प्रथम कर्तव्य है कि वह बच्चों की ओर अधिक से अधिक ध्यान दे। एक माता सौ गुरूओं के बराबर होती है। अतः उसके द्वारा प्रेमपूर्वक दी गई शिक्षा का संतान पर गहरा प्रभाव पड़ता है। माता-पिता का प्रेम और सुरक्षा पाकर बच्चे नशों या बुरी संगत से दूर रहते हैं। उनमें सुरक्षा की भावना आती है। जिससे उनका शारीरिक स्वास्थ्य औार मानसिक संतुलन अच्छा बना रहता है।

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बच्चों से शराब, सिगरेट आदि नहीं मंगवानी चाहिए। उनके सामने ऐसी हानिकारक चीजों का उपयोग भी मत करिए, अन्यथा वे आपकी नकल करेंगे और हानिकारक आदतें अपना लेंगे।

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