किसान सावधान पंजाब की फसलों को खतरा, कम हो सकता है उत्पादन
पंजाब में मौसम की मार से फसलें प्रभावित होने की संभावना है। कहा जा रहा है कि औसत तापमान बढ़ने से 2050 तक राज्य में उत्पादन घट सकता है। इसका एक कारण जलवायु परिवर्तन को माना जा रहा है। जानकारों का मानना है कि इस दौरान मक्का को सबसे ज्यादा नुकसान बताया जा रहा है। इसके बाद कपास और गेहूं है।
हाल ही में पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों और कृषि अर्थशास्त्रियों द्वारा एक अध्ययन किया गया। अध्ययन में पंजाब की पांच महत्वपूर्ण फसलों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव की जानकारी एकत्र की गई। इसके लिए पिछले 35 साल की बारिश और तापमान के आंकड़े लिए गए। यह अध्ययन भारतीय मौसम विज्ञान विभाग की पत्रिका ‘मौसम’ में प्रकाशित हुआ था।
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, शोधकर्ता सनी कुमार, बलजिंदर कौर सिधाना और स्माइली ठाकुर ने कहा, ‘हमारे परिणाम बताते हैं कि औसत तापमान में वृद्धि से अधिकांश फसलों की उत्पादकता में कमी आती है। कृषि उत्पादन पर जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभाव कृषक समुदाय के लिए खाद्य सुरक्षा के लिए खतरा हैं।
विशेषज्ञों ने अनुमान लगाया है कि सबसे ज्यादा नुकसान मक्का में 13 फीसदी, कपास में 11 फीसदी और गेहूं-आलू में 5-5 फीसदी हो सकता है. 35 साल के आंकड़े बताते हैं कि धान की खेती यानी जून से सितंबर के दौरान कुल बारिश में 107 मिमी की कमी आएगी। जबकि मक्का सीजन (मई से अक्टूबर) में यह आंकड़ा 257 मिमी तक पहुंच गया।
पीएयू की पांच अलग-अलग वेधशालाओं से जलवायु संबंधी आंकड़े एकत्र किए गए। इसमें लुधियाना, पटियाला, फरीदकोट, बठिंडा और एसबीएस नगर शामिल हैं।