centered image />

EWS Reservation : EWS आरक्षण पर SC की मुहर, लेकिन CJI और जस्टिस भट्ट इसके खिलाफ

0 136
Join Telegram Group Join Now
WhatsApp Group Join Now

EWS Reservation :आला दर्जे का न्यायालय उच्च शिक्षण संस्थानों और सरकारी नौकरियों में प्रवेश के लिए देश के गरीब वर्गों के लिए 10 प्रतिशत ईडब्ल्यूएस कोटा बरकरार रखा। 5 जजों की संविधान पीठ ने कोटा के पक्ष में 3-2 से फैसला सुनाया। मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित और न्यायमूर्ति एस. रवींद्र भट्ट ने इस कोटे को गलत और संविधान की मूल भावना के खिलाफ करार दिया। न्यायमूर्ति भट्ट ने इस पर विस्तार से बताते हुए कहा कि 50 प्रतिशत की निर्धारित सीमा का उल्लंघन करना गलत है। यह संविधान की मूल भावना के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि ओबीसी और एससी-एसटी वर्ग में गरीबों की संख्या सबसे ज्यादा है। ऐसे में आर्थिक आधार पर उन्हें आरक्षण से बाहर करना भेदभावपूर्ण है।

EWS Reservation :जस्टिस रवींद्र: तो समानता के अधिकार का मतलब होगा आरक्षण का अधिकार

जस्टिस रवींद्र भट्ट ने कहा कि संविधान सामाजिक और राजनीतिक रूप से पिछड़े लोगों के लिए आरक्षण की बात करता है न कि आर्थिक आधार पर। आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों की सबसे बड़ी संख्या ओबीसी और एससी-एसटी समुदायों से है। ऐसे में उनके लिए अलग से रिजर्वेशन कराने की क्या जरूरत है। उन्होंने ईडब्ल्यूएस कोटे को संविधान की मूल भावना के खिलाफ बताते हुए कहा कि यह आरक्षण कुछ वर्गों को बाहर करता है, यह भेदभावपूर्ण है। उन्होंने 50 फीसदी की सीमा पार करने की बात को गलत बताते हुए कहा कि इस तरह से समानता के अधिकार का मतलब होगा आरक्षण का अधिकार.

आरक्षण हमेशा के लिए नहीं रह सकता: जस्टिस परदीवाला

जस्टिस जेबी ईडब्ल्यूएस कोटा के समर्थन में परदीवाला की टिप्पणी बहस का विषय बन गई है। उन्होंने ईडब्ल्यूएस आरक्षण को सही ठहराया लेकिन इस पर सलाह देते नजर आए। उन्होंने कहा कि आरक्षण हमेशा के लिए नहीं रह सकता। आरक्षण किसी भी मुद्दे का अंतिम समाधान नहीं हो सकता। यह किसी भी समस्या के अंत की शुरुआत मात्र है। गौरतलब है कि साल 2019 में संसद ने संविधान में 103वें संशोधन के लिए एक प्रस्ताव पारित किया था. इसके तहत सामान्य वर्ग के गरीबों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने का निर्णय लिया गया।

Join Telegram Group Join Now
WhatsApp Group Join Now
Ads
Ads
Leave A Reply

Your email address will not be published.