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कभी राजनीति में इन पांच नेताओं का था दबदबा, पांचवां तो अब चुनाव भी नहीं लड़ सकता

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इन नेताओं को अब अपने ही दल में पूछ नहीं मिलती. वहीं इसमें से तो एक ऐसे नेता भी हैं, जिनका राजनीतिक करियर किसी परीकथा से कम नहीं रहा.

गरीबी से उठकर राजनीति में ध्रुव तारा की तरह चमके. लेकिन कानूनी चक्कर में ऐसे फंसे कि अब चुनावी राजनीति में भी नहीं उतर सकते हैं. आइए जानते हैं ऐसे पांच नेताओं की कहानी :

नेता नंबर 1 : लालकृष्ण आडवाणी

Ever since these five leaders in politics were dominant, the fifth could not even contest elections

भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक और अटल जी की सरकार में डिप्टी पीएम तक का पद संभालने वाले लालकृष्ण आडवाणी अब अपनी चमक खो चुके हैं। भाजपा मार्गदर्शक मंडल के सदस्य के तौर पर वे काम कर रहे हैं।

पार्टी उन्हें अगले लोकसभा चुनाव में टिकट दे या न दे, इस पर भी विचार कर रही है। 1984 में भाजपा के जीते दो सदस्यों में से एक आडवाणी भी थे, लेकिन भाजपा को विशाल बटवृक्ष बनाने के बाद वे खुद नेपथ्य में चले गए लगते हैं।

नेता नंबर 2 : मुलायम सिंह यादव

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समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव अब अपनी ही पार्टी के निर्णयों में शामिल नहीं हो पा रहे। उनके बेटे अखिलेश यादव ने पार्टी पर पूरी तरह से कब्जा जमा लिया है। उनकी मर्जी के खिलाफ बहुजन समाज पार्टी से समझौता किया।

सपा में अब वे भी मार्गदर्शक मंडल के सदस्य के रूप में काम कर रहे हैं। पहलवान से शिक्षक और फिर नेता बनकर उन्होंने उत्तर प्रदेश की राजनीति ही बदल दी। लेकिन, बेटे के हाथों में सत्ता जाते ही उनका कुनबा बिखरने लगा है। भाई शिवपाल सिंह यादव ने अलग पार्टी बना ली है।

नेता नंबर 3 : शरद यादव

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शरद यादव को जुझारू नेता के रूप में जाना जाता है। छात्र आंदोलन की उपज शरद यादव ने कांग्रेस के खिलाफ अपनी राजनीति कर अपना पॉलिटिकल ग्राफ ऊपर किया। वे समाजवादी आंदोलन व राजनीति की धुरी बने रहे।

जनता दल से अलग होने के बाद नीतीश कुमार के साथ मिलकर समता पार्टी बनाई। फिर जनता दल यूनाइटेड। उन्होंने मधेपुरा से लालू प्रसाद यादव जैसे कद्दावर नेता को हराया।

2015 बिहार विधानसभा चुनाव में लालू प्रसाद यादव के साथ महागठबंधन के वे मुख्य सूत्रधार थे। लेकिन, 2017 में जब महागठबंधन टूटा तो नीतीश कुमार से उनका दुराव हुआ। यहीं से उनका राजनीति ग्राफ नीचे गिरा। अभी उन्होंने नई पार्टी लोकतांत्रिक जनता दल बनाई है।

नेता नंबर 4 : अमर सिंह

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भारतीय राजनीति में जब मिडिलमैन की बात होगी तो सबसे ऊपर अमर सिंह का ही नाम आएगा। समाजवादी पार्टी में जब तक मुलायम सिंह यादव का राज रहा, अमर सिंह की तूती बोलती थी।

लेकिन, मुलायम के पतन के साथ ही अमर सिंह की राजनीति साख में गिरावट आई। 2011 में समाजवादी पार्टी से अलग किए जाने के बाद उन्होंने 2012 के विधानसभा चुनाव में अपनी पार्टी को चुनाव लड़ाया।

इसमें उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा। लोकसभा चुनाव 2014 में वे खुद चुनाव हार गए। अब वे भाजपा में शामिल होने की जुगत में हैं।

नंबर 5 : लालू प्रसाद यादव

Ever since these five leaders in politics were dominant, the fifth could not even contest elections

लालू प्रसाद यादव को कभी भारतीय राजनीति का किंगमेकर कहा जाता था। वे अपने हिसाब से प्रधानमंत्री उम्मीदवार तक तय कर देते थे। जनता दल के अध्यक्ष भी रहे। हालांकि, 1997 में चारा घोटाले में नाम आने के बाद उनकी साख गिरी।

बावजूद इसके वे देश व बिहार की राजनीति की धुरी बने रहे। 2005 में उनकी पार्टी राजद बिहार की सत्ता से बेदखल हो गई, लेकिन केंद्र की राजनीति में सक्रिय रहे। 2013 में एक कानून ने उनकी राजनीति को गहरा धक्का पहुंचाया।

जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत उनकी लोकसभा सदस्यता तो गई ही, वे चुनावी राजनीति से बाहर हो गए। दिसंबर 2017 से चारा घोटाले के विभिन्न मामलों में जेल में हैं। इस बार के लोकसभा चुनाव में उनकी चमक नहीं देखने को मिल रही है।

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