एक मुखी रुद्राक्ष के लाभ
भगवान शिव का वरदान माना जाता है शिव का एक मुखी रुद्राक्ष, और ऐसी कहा जाता है कि रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शंकर की आँखों के जलबिंदु से हुई है. रुद्राक्ष एक फल की गुठली है। इसका उपयोग आध्यात्मिक क्षेत्र में किया जाता है. इसे धारण करने से सकारात्मक ऊर्जा मिलती है. रुद्राक्ष शिव का वरदान है, जो संसार के भौतिक दु:खों को दूर करने के लिए प्रभु शंकर ने प्रकट किया है.
रुद्राक्ष के नाम और उनका स्वरूप
एकमुखी रुद्राक्ष भगवान शिव, द्विमुखी श्री गौरी-शंकर, त्रिमुखी तेजोमय अग्नि, चतुर्थमुखी श्री पंचदेव, पन्चमुखी सर्वदेव्मयी ,षष्ठमुखी भगवान कार्तिकेय, सप्तमुखी प्रभु अनंत, अष्टमुखी भगवान श्री गणेश, नवममुखी भगवती देवी दुर्गा, दसमुखी श्री हरि विष्णु, तेरहमुखी श्री इंद्र तथा चौदहमुखी स्वयं हनुमानजी का रूप माना जाता है. इसके अलावा श्री गणेश व गौरी-शंकर नाम के रुद्राक्ष भी होते हैं.
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Ek Mukhi Rudrakash Benefits
एकमुखी रुद्राक्ष
भगवान शिव ने समस्त लोगों के कल्याण के लिए अपने नेत्रों से आंसू के रूप में रुद्राक्ष उत्पन्न किए चूँकि भगवान शिव कल्याण करने वाले देवता हैं इसलिए उनकी आँख से प्रथम आंसू गिरते ही एक मुखी रुद्राक्ष उत्पन्न हुए इसलिए एक मुखी रुद्राक्ष को सबसे महत्वपूर्ण और कल्याणकारी रुद्राक्ष माना गया है. एकमुखी रुद्राक्ष को साक्षात भगवान शिव का स्वरुप माना गया है और इस ब्रह्माण्ड की कल्याणकारी वस्तुओं में एक मुखी रुद्राक्ष पहले नंबर पर आता है |
एक मुखी दो प्रकार के दाने इस धरती पर पाए गए हैं | एक गोल आकार में है और दूसरा काजू के आकार में है लेकिन जो इसमें नेपाल का गोल दाना है उसी को असली एक मुखी और कल्याणकारी रुद्राक्ष माना गया है |
एक मुखी रुद्राक्ष के लाभ
एक मुखी रुद्राक्ष धारण करने मात्र से ही गंभीर पापों से मुक्ति मिलकर, मन शांत होकर, इन्द्रियां वश में होकर व्यक्ति ब्रह्म ज्ञान की प्राप्ति की तरफ अग्रसर हो जाता है. शरीर में हाई BP इसके धारण करने से धीरे धीरे नियंत्रित होने लगता है और कम दवाई से ही BP शांत रहता है. सभी रुद्राक्षों में एक मुखी रुद्राक्ष को सर्वोत्तम स्थान दिया गया है. इसके धारण करने से शत्रुओं के षड़यंत्र से बचा जा सकता है और भक्ति, मुक्ति, युक्ति एवं धन लक्ष्मी की प्राप्ति में भी यह रुद्राक्ष सहायक है.
एक मुखी रुद्राक्ष को धारण करने का मंत्र
वैसे तो एक मुखी रुद्राक्ष को धारण करने का मंत्र “ॐ ह्रीं नमः” है लेकिन शिव का पंचाक्षर बीज मंत्र “ॐ नमः शिवाय” से भी कोई भी रुद्राक्ष धारण किया जा सकता है . इस रुद्राक्ष को धारण करने के पश्चात् नित्य प्रति “ॐ नमः शिवाय” की पाँच माला जाप करने भर से इसका प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है .