नहीं करनी नौकरी? दिशा दिखाएँगे ये व्यापार गुरु, संभव है कि आप उनमें से एक की तरह बनें
हम में से बहुत से लोग ऐसे हैं जो अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद चाहते हैं कि,अपना कोई काम शुरू करें , ना कि किसी के अधीन रहकर नौकरी करें। लेकिन इस स्तिथि में दिक्कत ये आती है कि निर्णय नही कर पाते ,कि आखिर शुरुआत कहाँ से करें? ऐसे में बहुत आसानी हो जाती है अगर कोई हमारा मार्गदर्शन करें। हमारे देश में ऐसे बहुत से सफल बिज़नेस मैन हैं, जिनकी जीवन यात्रा और व्यापार यात्रा के बारे में पढ़कर न केवल हमें मार्गदर्शन मिलेगा बल्कि प्रोत्साहन भी मिलेगा…
धीरूभाई अंबानी:
गुजरात के एक छोटे से गाँव के एक स्कूल टीचर के घर जन्मे धीरूभाई अंबानी ने अपनी यात्रा एक मज़दूर के रूप में शुरू की जिस दौरान वो एक गैस स्टेशन पे काम किया करते थे। उन्होंने अपनी पहली कपड़ा मिल 1966 में अहमदाबाद में लगाई, और इसके बाद फिर उन्होंने कभी पीछे मुड़ कर नही देखा, और एक दिन रिलायंस एम्पायर खड़ा कर दिया। 2002 में जब उनका निधन हुआ तब वो दुनिया के 138 वे सबसे अमीर आदमी थे।
नारायण मूर्ति:
आई आई टी कानपुर से अपनी मास्टर्स डिग्री पूरी करने के बाद कुछ वर्षों तक नारायण मूर्ती ने पेरिस और पुणे में काम किया । 1981 में उन्होंने 6 और सॉफ्टवेयर इंजीनियर मित्रों के साथ मिलकर मात्र दस हज़ार रुपये में इंफोसिस कंपनी खोली।अगले दो दशकों में उन्होंने इंफोसिस को एक ग्लोबल सॉफ्टवेयर कंपनी बना दिया। यह अमेरिकन स्टॉक एक्सचेंज पे लिस्ट होने वाली पहली भारतीय कंपनी बनी। नारायण मूर्ती ने ये दिखा दिया कि एक पढ़ा लिखा साधारण हिंदुस्तानी ,कैसे एक नई इंडस्ट्री स्थापित कर सकता है।
सी पी कृष्णन नायर: होटल चेन
“लीला होटल्स” के संस्थापक सी पी कृष्णन नायर, केरला के एक छोटे से गाँव के एक साधारण से परिवार में जन्मे थे। उनका भाग्य तब बदला जब उन्हें एक अच्छी आजीवन स्कालरशिप मिली। नायर ने पढ़ाई के बाद फिर आर्मी जॉइन की और कप्तान की रैंक तक पहुंचे।1951 में उन्होंने वहां से इस्तीफा दिया और आल इंडिया हैंडलूम बोर्ड स्थापित किया। 1987 में अपनी पत्नी के नाम पर उन्होंने पहला लीला होटल मुम्बई में खोला। उसके बाद तो वो एक के बाद एक होटल और रिसॉर्ट्स खोलते गए।
करसन भाई पटेल:
“निरमा एम्पायर” के संस्थापक करसन भाई पटेल ने अपनी यात्रा, अपने घर के पिछवाड़े में डिटर्जेंट बनाकर और खुद उसे अपनी साईकल पे बेचकर की थी।अपनी सरकारी नौकरी का काम खत्म होने के बाद ,वो रोज़ स्वयं घर घर जाकर डिटर्जेंट बेचते थे। उन्होंने कम कीमत का “निरमा ब्रांड” 1969 में अपनी बेटी निरुपमा के नाम पर लांच किया। कम कीमत और उत्तम गुणवत्ता के कारण “निरमा “, निम्न और मध्यम वर्ग के घरों में बहुत प्रचलित हुआ। जो कंपनी 1969 में एक इंसान ने शुरू की थी, आज उस कंपनी में चौदह हज़ार लोग काम करते हैं।
डॉक्टर प्रताप सी रेड्डी:
चेन्नई के एक छोटे से गाँव में जन्मे डॉक्टर रेड्डी, पेशे से एक हृदय रोग विशेषज्ञ थे । उन्होंने 1979 में ,एक युवा की ,इलाज के साधनों की कमी की वजह से हुई मौत से आहत होने के बाद ,पहला अपोलो हॉस्पिटल खोलने का निश्चय किया ।चेन्नई का 150 बेड की क्षमता वाला अपोलो हॉस्पिटल भारत का पहला कॉर्पोरेट हॉस्पिटल है। आज अपोलो हॉस्पिटल ग्रुप भारत की सबसे बड़ी हॉस्पिटल्स की चेन है। रेड्डी भारत के चिकित्सा क्षेत्र में एक क्रांति सी लेकर आये। डॉक्टर रेड्डी को 1991 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।
इन सभी दिग्गज व्यापारियों को अपना गुरु मानकर , अगर इन सब से से थोड़ा- थोड़ा भी कुछ सीख लिया जाए तो निश्चित ही हमे भी कामयाबी बहुत देर तक अपने पास से भगा नही पाएगी।
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