क्या आप जानते हैं कि राम ने हनुमान को मारने के लिए ब्रह्मास्त्र क्यों चलाया , पढ़ें पूरी कहानी
रावण पर विजय प्राप्त कर राम अयोध्या के राजा बन गए। विश्वामित्र उनके दरबार में राजगुरु थे। एक बार दरबारियों में बहस छिड़ गई कि कौन ज्यादा ताकतवर है; राम या फिर राम का नाम। सब कह रहे थे कि राम ज्यादा ताकतवर हैं लेकिन राजगुरु विश्वामित्र के अनुसार राम का नाम ज्यादा शक्ति वाला था।
बहस चल रही थी और हनुमान कहीं शांत बैठे थे। नारद उनके पास पहुंचे और शांत रहने का कारण पूछा। हनुमान कुछ न बोले तब नारद ने हनुमान को दरबार में जाकर सबको प्रणाम करने को कहा। उन्होंने कहा कि सबको प्रणाम करना पर राजगुरु विश्वामित्र को मत करना।
हनुमान दरबार में पहुंचे और सबको प्रणाम किया। लेकिन जब विश्वामित्र के सामने से हनुमान बिन कुछ बोले निकल गए तो विश्वामित्र क्रोधित हो गए। बात राम तक पहुंची। विश्वामित्र ने भगवान् राम को क्रोध का कारण बताया और कहा कि उनका अपमान करने वाले को सजा दी जाए। सजा के तौर पर हनुमान के प्राण राम को लेने को विश्वामित्र ने कहा।
हनुमान ने जब यह बात सुनी तो भयभीत होकर वे नारद के पास जा पहुंचे। नारद को बोले कि हे देवर्षि कृपया मार्गदर्शन करें। नारद ने उनके कान में कुछ कहा और हनुमान ख़ुशी ख़ुशी वहां से चल दिए
अगले दिन राजगुरु विश्वामित्र की आज्ञा को पूरा करने राम निकल पड़े। हनुमान को खोजा और आखिरकार एक नदिया किनारे हनुमान को बैठा पाया। जैसे ही हनुमान ने राम को देखा तो जोर जोर से राम नाम का जाप करने लगे। राम ने अपने तीर निकाले और एक के बाद एक हनुमान पर छोड़े पर हनुमान को कोई तीर छू भी न पाया। अंत में राम ने अपना ब्रह्मास्त्र निकाल हनुमान पर छोड़ा लेकिन विफलता ही हाथ लगी। हनुमान अब भी बैठे बैठे जोर जोर से राम नाम का जाप कर रहे थे।
राम युक्ति खोज ही रहे थे कि विश्वामित्र वहां पधारे और बोले,”देखिए, मैने तो पहले ही कहा था कि राम से बड़ा राम का नाम”
दरअसल विश्वामित्र ने ही नारद को सब सुझाया था। इसके माध्यम से वे अपनी बात सिद्ध करना चाहते थे कि राम नाम राम से ज्यादा शक्तिशाली है। राम ने तुरंत हनुमान को गले लगाया।