क्या आप जानते है कि भगवान शिव क्यों पहनते है शेर की खाल?
भगवान शिव: हिंदू धर्म को सबसे पुराने धर्म के रूप में हम जानते हैं जिनमें अनेकों देवी-देवताओं की आराधना होती है. सभी देवी-देवताओं की अलग-अलग विशेषताएं हैं. धन की देवी माता लक्ष्मी है तो प्रथम पूज्य गणेश हैं. इसी तरह भगवान विष्णु, ब्रह्मा जी, माता दुर्गा जैसे अनेकों देवी-देवताओं की पूजा-आराधना हिंदू धर्म में की जाती है. लेकिन देवों के देव महादेव के भक्तों की संख्या सबसे अधिक है. महिला हो या पुरुष सभी भगवान भोले शंकर की भक्ति में डूबे होते हैं. लेकिन हममें से ज्यादातर लोग धर्म से जुड़े और ईश्वर से जुड़े बहुत सारे राजों के बारे में नहीं जानते हैं.
आज हम बात कर रहे हैं भगवान भोलेनाथ की, देवों के देव महादेव की जिन्हें हम संघार के देवता के रूप में भी जानते हैं और अपने नाम की तरह उनके भोलेपन के लिए भी जानते हैं. भगवान भोले शंकर के 12 नाम प्रसिद्द हैं.
सबसे अलग है भगवान शिव का रूप
आप गौर करेंगे तो भगवान शिव का रुप सभी भगवान से हटकर है. इनका रौद्र रूप और सौम्य रूप दोनों ही सुप्रसिद्ध है. सबसे ज्यादा भगवान शिव के जिस रूप को हम जानते हैं पुराणों में भी उस रुप का वर्णन विस्तार पूर्वक किया गया है वो है शिव के कंठ में सर्पों की माला, जटा में गंगा की धारा. भगवान शिव अपने पूरे बदन पर भस्म लगाए रहते हैं और शेर की खाल वाले कपड़े धारण करते हैं.
लेकिन क्या आपको इस बात की जानकारी है कि भगवान भोलेनाथ के वेश-भूषा के पीछे कौन से रहस्य छुपे हुए हैं ? क्या आप जानते हैं कि भगवान शंकर आखिर शेर की खाल क्यों पहनते हैं ? नहीं तो चलिए आज हम आपको बताते हैं भगवान शिव के शेर के खाल पहनने के पीछे की वजह के बारे में.
शिव क्यों पहनते हैं शेर की खाल ?
इस बात का जिक्र शिव पुराण में विस्तार से किया गया है. शिव पुराण में बताया गया है कि एक समय की बात है जब भोले शंकर पूरे ब्रह्मांड का भ्रमण कर रहे थे. उसी दौरान एक जंगल से वे गुजरे. जिस जंगल से भगवान भोलेनाथ गुजर रहे थे उसमें कई ऋषि-मुनि अपने पूरे परिवार के साथ रहते थे और भगवान शिव को इस बात का बिल्कुल भी अंदेशा नहीं था कि भगवान शिव बिना कोई वस्त्र धारण किए हीं जंगल से जा रहे हैं.
भगवान शिव की आकर्षक छवि को देखकर ऋषि-मुनि की धर्मपत्नियां उनकी तरफ आकर्षित होने लगी. अपने सारे कार्यों को छोड़-छाड़ कर वे भगवान भोलेनाथ को निहारने में लग गईंं. तब ऋषियों का ध्यान इस तरफ गया तो वे काफी क्रोधित हो गए. तब तक उन ऋषि मुनियों को इस बात का बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि ये कोई आम मनुष्य नहीं बल्कि भगवान भोले शंकर हैं.
क्यों क्रोधित हो गए ऋषि-मुनि
ऋषि मुनियों की धर्मपत्नी या भगवान शिव की ओर आकर्षित होने लगी उनके सौंदर्य और आकर्षक छवि को निहारने लगी तो ऋषि-मुनियों को ऐसे में लगा कि उनकी पत्नियां मार्ग से भटक रही हैं. ऐसे में सभी ऋषि-मुनियों को काफी क्रोध आ गया और भगवान शिव को इसका दंड देने का प्रण कर लिया और इसके लिए ऋषि मुनियों ने मिलकर भगवान भोले शंकर के रास्ते में एक बड़ा सा गड्ढा खोद दिया जैसे ही भगवान भोले शंकर उस रास्ते से गुजर रहे थे वह उस गड्ढे में जा गिरे और इसके बाद उन ऋषि मुनियों ने भगवान भोले शंकर को जाल में फंसा दिया. इतना ही नहीं क्रोधित ऋषि मुनियों ने भगवान शिव के गड्ढे में गिरने के बाद उस गड्ढे में एक शेर भी छोड़ दिया ताकि वह शेर भगवान शिव को अपना शिकार बना ले.
लेकिन अनजान ऋषि-मुनि जिन्हें ये नहीं पता था कि वे कोई साधारण मनुष्य नहीं बल्कि भगवान शिव, देवों के देव महादेव हैं. उन्होंने जब ये देखा कि शेर को भगवान शिव ने मार कर उस शेर की खाल को वस्त्र बनाकर पहन लिया तो सब के सब अचंभित रह गए. अब उन्हें इस बात का एहसास भी हो गया कि ये कोई साधारण मनुष्य नहीं बल्कि साक्षात ईश्वर हैं.
तो दोस्तों, है ना काफी दिलचस्प शिव के इस रुप की ये कहानी. अगर आपको अच्छी लगे तो कमेंट करके हमें बताइए और अगर आप भी इस तरह की किसी दिलचस्प कहानी को जानते हैं तो हमसे कमेंट करके शेयर कीजिए.